आदरणीय सदस्यगण
82वें तरही मुशायरे का संकलन प्रस्तुत है| बेबहर शेर कटे हुए हैं और जिन मिसरों में कोई न कोई ऐब है वह इटैलिक हैं|
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Nilesh Shevgaonkar
बिछड़ जाना रवायत है? नहीं तो!
बिछड़ कर दिल सलामत है? नहीं तो!
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वो दिल का टूट जाना था.. क़यामत,
ये महशर कुछ क़यामत है? नहीं तो!
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ख़ला में दिल है और दिल में ख़ला है,
तो क्या यादों से मुहलत है? नहीं तो!
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वो आँखें आप सी रखता है लेकिन
उन आँखों में शरारत है?? नहीं तो!
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जहन्नुम से कोई कम है ये दुनिया?
तो जन्नत कोई जन्नत है? नहीं तो!
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सवाल आख़िर जवाब आख़िर यही हो
‘किसी से कुछ शिकायत है? नहीं तो!’
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जिसे महसूस कर पाये या समझे
बस उतनी ही हक़ीक़त है? नहीं तो!
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रवा-दारी है हाँ में हाँ मिलाना
कहें कुछ और, इजाज़त है? नहीं तो!
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ख़ुशी का तो नहीं लगता ये आँसू
तो क्या अश्क-ए-नदामत है? नहीं तो!
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Gurpreet Singh
मिली क्या तुम को राहत है? नहीं तो
वही पहली सी हालत है? नहीं तो ॥
सुना जो क्या हकीकत हैै? नहीं तो
तो क्यों रुख़ पे नदामत हैै? नहीं तो ॥
सनम ने फेर ली हैं आज नज़रें
ये क्या रोज़-ए-क्यामत हैैै? नहीं तो ॥
मेरी बातों से सहमत हो? जी बिल्कुल
तो क्या मुझ को हिमायत हैैै? नहीं तो ॥
तू रोटी के लिए दौड़ा है फिरता
तुझे खाने की फुर्सत हैैै? नहीं तो ॥
गिला सब ही को है तुझसे, तुझे भी
"किसी से कुछ शिक़ायत हैैै? नहीं तो ॥"
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सुरेन्द्र नाथ सिंह 'कुशक्षत्रप'
किसी से भी तू सहमत है,नहीं तो
यही क्या तेरी आदत है,नहीं तो
हमेशा ज़ख्म रहता है हरा क्यूँ
हुई दिल पर सियासत है? नही तो ||
नजर आते खफ़ा से तुम हमेशा
किसी से कुछ शिकायत है? नही तो ||
रहें भूखे अगर माँ बाप बोलो
सफ़ल कोई इबादत है? नही तो ||
अकेले रह लिए, अब तो बताओ
बिना माँ घर ये जन्नत है ? नही तो ||
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Tasdiq Ahmed Khan
तुम्हें अहसासे फुरक़त है,नहीं तो |
मेरी तुम को ज़रूरत है ,नहीं तो |
मेरी जाँ यह हक़ीक़त है ,नहीं तो |
तुम्हें मुझ से मुहब्बत है , नहीं तो |
ग़लत फ़हमी में फुरक़त हो गई है
मिलन की कोई सूरत है ,नहीं तो |
निगाहें फेर लीं अपनों ने मुझ से
ये सब तेरी इनायत है ,नहीं तो |
मुहब्बत में मुझे गम देने वाले
तुझे हासिल ये दौलत है ,नहीं तो |
बताते जाओ तुम यह जाते जाते
किसी से कुछ शिकायत है ,नहीं तो |
ज़ुबा खोले सितमगर के मुखालिफ़
किसी में इतनी जुरअत है ,नहीं तो |
मुझे बटवारे में माँ देने वालो
तुम्हारे पास जन्नत है ,नहीं तो |
मुहब्बत में तिजारत हो गई है
ग़लत क्या यह कहावत है ,नहीं तो |
मिलाना हाथ खंजर को छुपा कर
पुरानी तेरी हरकत है ,नहीं तो |
जहाँ बिकते न हों तस्दीक़ मुनसिफ़
कोई एसी अदालत है ,नहीं तो |
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शिज्जु "शकूर"
ख़मोशी तेरी फितरत है? नहीं तो
या दिल में कोई दहशत है? नहीं तो
तुम्हारे क़त्ल की बातें हुई थीं
किसी दुश्मन की हरकत है? नहीं तो
फ़क़त बातों के दम पर राज करना
ये अपनी-अपनी किस्मत है? नहीं तो
बराबर सबको शीशे में उतारा
तो क्या ये भी तिजारत है? नहीं तो
हवा के रुख से घबराना या डरना
यही क्या तेरी हिम्मत है? नहीं तो
किसी पर अब भरोसा ही नहीं है
तुम्हारी भी ये हालत है? नहीं तो
किसी झूठी खबर पर कान देना
तुम्हें क्या इतनी फुर्सत है? नहीं तो
परेशाँ लगते हो, बेचैन भी, क्यों?...
किसी से कुछ शिकायत है? नहीं तो
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सतविन्द्र कुमार राणा
तुम्हारे दिल में चाहत है?नहीं तो।
नहीं कहने की आदत है?नहीं तो।
कोई इंकार होता है इशारा
समझ लूँ ये ही उल्फत है?नहीं तो।
उलझ जाता हूँ टेढ़ी बात में मैं
मेरी खातिर मुसीबत है?नहीं तो।
कभी देकर गया हो कोई धोका?
*किसी से कुछ शिकायत है?नहीं तो।*
नहीं है आग जब होगा धुआँ क्या?
कहो तो मुझको राहत है?नहीं तो।
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बासुदेव अग्रवाल 'नमन'
रहें चुप क्या शराफ़त है? नहीं तो,
जुबाँ खोलें जलालत है? नहीं तो।
करें हासिल किसी से हक़ झगड़ के,
ये झगड़ा क्या अदावत है? नहीं तो।
किये वादों से मुकरो बन के नादाँ,
कोई ये भी सियासत है? नहीं तो।
दिखाए आँख हाथी को जो चूहा,
भला उसकी ये हिम्मत है? नहीं तो।
है आमादा कोई गर जंग पर ही,
किसी से कुछ शिकायत है? नहीं तो।
अगर है फ़िक्र मजलूमों की दिल में,
हमारी क्या ये रहमत है? नहीं तो।
'नमन' जुल्म-ओ-सितम पर चुप ही रहना,
यही दुनिया की फ़ितरत है? नहीं तो।
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योगराज प्रभाकर
गमो की कोई किल्लत है? नही तो!
ये क्या छोटी सहूलत है? नही तो!
मेरे घर को जलाकर हँसने वालेे,
तेरा छप्पर सलामत है? नहीं तो!
जिधर भी देखिए, नफरत की नफरत,
ये गांधी जी का भारत है? नहीं तो!
क़लम हाकिम की लौंडी हो चुकी है,
तो इम्काने बगावत है? नहीं तो?
जहाँ जनता पड़ी हो हाशिये पेे,
वो जनता की हुकूमत है? नहीं तो!
हमारे दौर में पैसा बहुत है
मगर पैसे में बरकत है? नही तो!
किसी का हँस के मिलना, मुस्कुराना
ये आगाज़े मोहब्बत है? नही तो,
तेरे हाथों में लरज़िश क्यों है क़ातिल?
मेरे चेहरे पे दहशत है? नही तो!
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वफ़ा देकर ज़फ़ा पाई है, फिर भी
किसी से कुछ शिकायत है? नहीं तो!
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Manan Kumar singh
कभी थमती खिलाफत है?नहीं तो
कहो थकती सियासत है?नहीं तो।1
छुपे थे जो,चले ख़ंजर गलों पे
कहीं कोई अदावत है?नहीं तो।2
यहाँ पर घाव अपनों ने दिये हैं
रही कुछ भी किफ़ायत है?नहीं तो।3
कभी हम ने लुटायी जां दिलों पे
जरा भी वह रवायत है?नहीं तो।4
बँटी थीं रोटियाँ भी मुफ़लिसी में
अभी वह सब मलामत है?नहीं तो।5
सरेबाजार बिकता हुश्न कबसे
किसी से कुछ शिकायत है?नहीं तो।6
सताते हैं हमें गुर्गे यहीं के
कहीं कोई 'विलायत'है?नहीं तो।7
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Samar kabeer
मिरी आँखों में शहवत है ? नहीं तो
ये पाकीज़ा मुहब्बत है? नहीं तो
पसन्दीदा हुकूमत है? नहीं तो
कहीं कोई बग़ावत है? नहीं तो
किया करता है बातें दीन की जो
उसे पास-ए-शरीअत है? नहीं तो
सुकूत-ए-मर्ग तारी है सभी पर
रखी क्या कोई मय्यत है? नहीं तो
ग़ज़ल के नाम पर बकवास करना
बुज़ुर्गों की रिवायत है? नहीं तो
कहो मुँह किस लिये फूला हुआ है
"किसी से कुछ शिकायत है? नहीं तो"
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नादिर ख़ान
शिकायत ही बगावत है? नहीं तो
नसीहत भी मुसीबत है? नहीं तो
दिखावा है ये हमदर्दी तुम्हारी
तुम्हें हमसे मुहब्बत है? नहीं तो
करे है हर कोई अब होशियारी
समय की ये ज़रूरत है? नहीं तो
सभी कमियाँ को मेरी गिन रहे हैं
बची इनमें शराफत है? नहीं तो
अगर गम बाँटना चाहूँ किसी से
यहाँ इसकी इजाजत है? नहीं तो
जो हम सदियों से लड़ते आ रहे हैं
किसी की ये वसीयत है ? नहीं तो
ठगा सबने तुम्हें है दोस्त बनकर
किसी से कुछ शिकायत है? नहीं तो
मुझे तुमसे बहुत कुछ बोलना है
तुम्हें सुनने की फुर्सत है? नहीं तो
दिखा दूँ आईना तुमको अगर मै
तो क्या तुमसे अदावत है? नहीं तो
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Ravi Shukla
तुम्हें मेरी जरूरत है ? नहीं तो,
तो क्या कोई शिकायत है? नहीं तो।
तुम्हें मुझसे मुहब्बत है? नहीं तो,
तो क्या फिर ये अदावत है? नहीं तो।
नहीं तुमको अगर अफ़सोस तो फिर
ये क्या अश्क-ए-मसर्रत है, नहीं तो।
बज़ाहिर तो नहीं कुछ काम लेकिन
घड़ी भर की भी फ़ुर्सत है, नहीं तो।
तो फिर इसके मआनी और क्या हैं,
रकीबों से मुहब्बत है? नहीं तो।
सरे मक़तल मैं पूछूँ जुर्म अपना
मुझे इतनी रिआयत है? नहीं तो।
तुझे क्या हो गया खामोश क्यूँ है,
"किसी से कुछ शिकायत है? नहीं तो"
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Hemant kumar
ये सच कहने की हिम्मत है?नही तो,
कोई दिल में बगावत है? नही तो।
सदा-ए-दिल ही चाहत है?नही तो
मुहब्बत इक जियारत है?नही तो,
अकेला घर, अकेले कैद हो तुम
बुढ़ापा की ये कीमत है?नही तो
मेरी आँखें है गहरा इक समन्दर
तुम्हे लहरों की आदत है?नही तो
बहुत खमोश है वो कुछ दिनों से
किसी से कुछ शिकायत है? नहीं तो
हैं जिंदा लाशें हम सब इस जहाँ में,
ये सच सुनने की जुरअत है?नही तो
मै अपने घर मे इक घर ढूँढता हूँ,
यही क्या मेरी नक्बत है ?नही तो
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अजय गुप्ता
ये शिकवा क्यों? मुहब्बत है नहीं तो
ये गुस्सा क्यों जो नफरत है नहीं तो!
'जिगर' की सुन ये दरिया आग का है
न करना इश्क़ ज़ुर्रत है नहीं तो!
अमाँ कुछ तो हमें भी दो तवज़्ज़ो
बुलाया क्यों था फुर्सत है नहीं तो!
बड़े लोगों की दावत में न जाना
छुरी-कांटे की आदत है नहीं तो!
किसी शै का नशा होगा तुझे भी?
हो ज़िंदा क्यों! कोई लत है नहीं तो
मेरी गलती पे मुझको दाद देना
ये क्या है गर अदावत है नहीं तो?
किया मैने भरूंगा मैं ही, सच है
किसी से कुछ शिकायत है? नही तो
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rajesh kumari
यहाँ आसाँ मुहब्बत है? नहीं तो
कहीं इसकी इजाजत है ? नहीं तो
फलो के वास्ते पत्थर से मारें
सही क्या ये रिवायत है? नहीं तो
किसी के काट के पर फिर उड़ाना
कहो क्या ये शराफत है? नहीं तो
यहाँ तो दिल सुलगते नफरतों में
शरारों की जरूरत है? नहीं तो
जहाँ कटते मुहब्बत के शज़र हैं
वहाँ क्या दिल सलामत है? नहीं तो
हुई है लाल फिर से देख सरहद
सहन करने की हिम्मत है ? नहीं तो
पराया घर जले क्यूँ बंद रहती
तेरी आँखों की आदत है ? नहीं तो
पतंगे जो उड़ी ऊँची कटीं हैं
हुनर की क्या ये कीमत है? नहीं तो
अदालत में खुदा की बोल दे अब
किसी से कुछ शिकायत है? नहीं तो
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अरुण कुमार निगम
तुम्हारे पास दौलत है ? नहीं तो
ये दौलत ही इबादत है ? नहीं तो |
अजी खुद को समझते ऊँट जैसा
कभी देखा भी पर्वत है ? नहीं तो |
हमें उलझाए रक्खा भाषणों में
शराफत या शरारत है ? नहीं तो |
कहो दिल पे जरा तुम हाथ रख के
तुम्हें हमसे मुहब्बत है ? नहीं तो |
हमारी कट रही है मुफलिसी में
तुम्हारी रोज दावत है ? नहीं तो |
तुम्हारे रंग-महलों में कहीं पे
हमारी भी जरुरत है ? नहीं तो |
सभी से खा रहे हो रोज गाली
किसी से कुछ शिकायत है ? नहीं तो |
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डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव
तो गोया ये इनायत है ?, नहीं तो
अरे तो फिर रियायत है ? नहीं तो
बड़ा मुंह मारते यां वां सुना था
क्या पुश्तैनी रवायत है ? नहीं तो
अभी जो है पढ़ा तुमने यहाँ पर
गलत कुरआन की आयत है ? नहीं तो
बड़ी ख्वाहिश वहां आजाद हैं सब
यहाँ कैदे विलायत है ? नहीं तो
बखूबी गर उसे हो जानते तुम
कमीना वह निहायत है ? नहीं तो
बड़े खामोश बैठे हो मियाँ तुम
किसी से कुछ शिकायत है ? नहीं तो
किसी सूरत उसे बचना नहीं था
तुम्हारी ही हिमायत है ? नहीं तो
रहे हो लूट महफ़िल तुम, पता है
कि चोरी की रुबायत है ? नहीं तो
लगे चलने झुका कर नज्र कब से
किसी की ये हिदायत है, नहीं तो
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surender insan
उसे मुझसे मुहब्बत है? नहीँ तो।
मुझें कोई शिकायत है? नहीँ तो।।
समय के साथ बदला नज़रिया है।
उसे पहले सी उल्फ़त है? नहीँ तो।।
ग़ज़ल अब जिंदगी मेरी बनी है।
किसी को कोई दिक्कत है? नहीँ तो।।
सुनी है बात तुमने एक तरफा।
पता तुमको हकीक़त है? नहीँ तो।।
हुआ है इश्क़ तो सब पूछते हैं।
कोई आई मुसीबत है? नहीँ तो।।
बुरा है वक़्त रहना तुम सँभल कर।
कहीं दिखती शराफ़त है? नहीं तो।।
सही रस्ते मिलेगी कामयाबी।
ग़लत रस्ते में बरक़त है? नहीँ तो।।
सभी यह पूछते मुझसे भला क्यों।
"किसी से कुछ शिकायत है? नही तो"
भरी हैं नफ़रतें सबके दिलों में।
किसी को होती हैरत है? नहीं तो।।
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munish tanha
गलतफह्मी शिकायत है ? नहीं तो !
तुम्हें उससे मुहब्बत है ? नहीं तो !
चले हो आइना लेकर बताओ
तुम्हें इसकी जरूरत है? नहीं तो !
कहे तू जो वही क्यूँ लोग माने !
यहाँ तेरी रियासत है? नहीं तो !
जरा सी बात पे तुम रूठ जाओ
पुरानी कोई आदत है ? नहीं तो !
बड़े चुपचाप से दिखते हमेशा
किसी से कुछ शिकायत है ? नहीं तो !
बने हो आजकल सबके मसीहा
छुपी इसमें सियासत है ? नहीं तो !
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sunanda jha
दिलों में अब मुहब्बत है? नहीं तो !
बुजुर्गों की भी इज्जत है ?नहीं तो !
कली खामोश है सहमी हुई सी ।
फ़िज़ाओं में वो रंगत है ? नहीं तो !
किताबों के तले बचपन दबा है ।
वही भोली शरारत है ? नहीं तो !
निगाहों में मचलता क्यों समंदर ।
कहीं खुद से बगावत है ? नहीं तो !
दुआ माँ बाप की मिलती रहे बस ।
बड़ी इससे इनायत है ? नहीं तो !
रहें सब प्यार से इकसाथ मिलकर ।
कहीं फिर और जन्नत है ? नहीं तो !
बिके है प्यार अब तो कौड़ियों में ।
दिलों में कुछ इबादत है ? नहीं तो ।
लिखा था जो लकीरों में मिला है ।
किसी से कुछ शिकायत है ? नहीं तो !
शहादत को बना मुद्दा परोसें ।
बुरी इससे सियासत है ?नहीं तो !
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Mahendra Kumar
तुम्हें मुझसे शिकायत है? नहीं तो
तो फिर मुझसे मुहब्बत है? नहीं तो
बदन ये प्यार में तड़पे, जले है
छुओ देखो हरारत है? नहीं तो
कहीं लगता नहीं क्यूँ ये मेरा दिल
तुम्हारी भी ये हालत है? नहीं तो
मेरी इन चूड़ियों की खनखनाहट
तेरे दिल पे क़यामत है? नहीं तो
ये मौसम आशिक़ाना है? ज़रा सा
दिवानी सी तबीयत है? नहीं तो
किसी को इस तरह ऐसे सताना
कहो क्या अच्छी आदत है? नहीं तो
मेरे जी की मुसीबत ये मुहब्बत
तुम्हारी ही इनायत है? नहीं तो
'नहीं तो' रट के बैठे हो, कहाँ से?
"किसी से कुछ शिकायत है? नहीं तो"
सुनो अब मान भी जाओ, न रूठो
चलो भी कह दो उल्फ़त है? नहीं तो
यही है हाल तो फिर मर ही जाऊँ
तुम्हें रोने की फ़ुर्सत है? नहीं तो
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अजीत शर्मा 'आकाश'
चमन में अपने रंगत है ? नहीं तो ।
मगर, कोई बग़ावत है ? नहीं तो ।
नज़ारे देखकर बर्बादियों के
किसी को कोई हैरत है ? नहीं तो ।
वतन के बारे में कुछ सोचना है
किसी को थोड़ी फ़ुरसत है ? नहीं तो ।
बहानों पर बहाने रोज़ गढ़ना
ये कोई अच्छी आदत है ? नहीं तो ।
दिखाना गेरूए कपड़े पहनकर
वतन की ये ही खि़दमत है ? नहीं तो ।
हमें ख़ामोश रहने की है आदत
[[किसी से कुछ शिकायत है ? नहीं तो]]
न सच बुलवाओ अब ‘आकाश’ हमसे
वतन अपना ये जन्नत है ? नहीं तो ।
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जिन गजलों में मतला या गिरह का शेर नहीं है उन्हें संकलन में जगह नहीं दी गई है इसके अतिरिक्त यदि किसी शायर की ग़ज़ल छूट गई हो अथवा मिसरों को चिन्हित करने में कोई गलती हुई हो तो अविलम्ब सूचित करें|
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जनाब राना प्रताप सिंह साहिब, ओ बी ओ लाइव तरहीमुशायरा अंक 82के संकलन के लिए मुबारकबाद क़ुबूल फरमायें
जनाब राण प्रताप सिंह जी आदाब,'ओबीओ लाइव तरही मुशायरा'अंक-82 के संकलन के लिए बधाई स्वीकार करें ।
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