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मित्रों आप सबके समक्ष है नए सालका नया तोहफा एक नए कोने के माध्यम से| प्रस्तुत है भूले बिसरे गीतों की कहानी " गीत भूले बिसरे"| प्रतिदिन साईट में दाहिनी तरफ परिवर्तित होने वाला यह कोना आप सबको ऐसी पुरानी यादों में ले जायेगा जो मष्तिष्क के किसी कोने में अब भी तरो ताज़ा
हैं| ऐसे गीत जिन्हें जिन्हें ज़माने में उडी धूल की परतों ने धुंधला कर
दिया है, जिन्हें  सुनकर पुराने दिन चोले बदल कर सिरहाने आ बैठते हैं, दिल
के कसी कोने में एक हलचल सी मचाती है| आपकी यादों के इन्ही घरौंदों को बचा
कर रखने की एक कोशिश है " गीत भूले बिसरे"|

*मुख्य पृष्ठ पर स्थान उपलब्ध करने के लिए OBO प्रबंधन को भी बहुत बहुत धन्यवाद|

आशा है आपको यह प्रयास बहुत पसंद आयेगा|

इस कोने के बारे में अपनी प्रतिक्रया से ज़रूर अवगत कराएं|

 

आपका अपना

(राणा प्रताप सिंह)


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दिल को लाख संभाला जी,
फिर भी दिल मतवाला जी,
कल तक मेरा था,
आज क्यू तेरा हो गया...
आहा! क्या रेशमी आवाज है और गीत के बोल तो ऐसे कि सीधे दिल को मतवाला कर दे, साथियों ! प्रस्तुत गीत १९५९ में प्रदर्शित फिल्म "गेस्ट हॉउस" से है, इस खुबसूरत गीत को लिखा था प्रेम धवन ने, संगीत दिया था चित्रगुप्त ने और स्वरों से सजाई थी लता मंगेशकर जी |
तो सुनते है यह मधुर गीत...
प्रस्तुति :- गणेश जी "बागी"

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