For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

रोटी (लघु कथा )

---------------------

ऑफिस में लंच का वक़्त होते ही आज़ाद ने खाना खाने के बाद रोज़ की तरह बाहर  आकर एक मिट्टी के बर्तन में पानी भरके पास में बाजरे के दाने डाल दिए ,ताकि चिड़ियाँ भी अपनी भूक और प्यास बुझ सकें | सामने दो कुत्ते भी इंतज़ार में खड़े हुए थे , आज़ाद ने बची हुई रोटी के दो टुकड़े करके उनकी तरफ फेंक दिए | ....... अचानक बड़ा कुत्ता एक टुकड़ा मुंह में दबा कर दूसरे टुकड़े की तरफ बढ़ने लगा , यह देख कर छोटा कुत्ता फ़ौरन आगे बढ़ा ,...... देखते ही देखते दोनों कुत्ते आपस में झगड़ने लगे ,कभी रोटी के टुकड़े बड़े कुत्ते के मुंह कभी छोटे कुत्ते के मुंह में और कभी ज़मीन पर। ....... आसमान पर एक उड़ती हुई चील यह मंज़र देख कर फ़ौरन नीचे आई और मौक़ा मिलते ही रोटी के टुकड़े लेकर उड़ गई | ..... हैरतज़दा आज़ाद ख़ामोश कभी उड़ती चील की तरफ देखता है कभी दोनों कुत्तों को जो रोटी मुंह में आकर भी नहीं खा सके। --------------

( मौलिक व  अप्रकाशित )

Views: 916

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Tasdiq Ahmed Khan on April 5, 2016 at 8:04pm

मोहतरम जनाब लछ्मण रामानुज  साहिब ,लघु कथा को पसंद करने और  हौसला अफ़ज़ाई का तहे दिल से शुक्रिया ,महरबानी

Comment by Tasdiq Ahmed Khan on April 5, 2016 at 8:02pm

मोहतरमा रेखा  साहिबा ,लघु कथा को पसंद करने और  हौसला अफ़ज़ाई का तहे दिल से शुक्रिया ,महरबानी

Comment by Tasdiq Ahmed Khan on April 5, 2016 at 8:00pm

मोहतरमा राजेश कुमारी साहिबा ,लघु कथा को बारीकी से देखने और आपकी हौसला अफ़ज़ाई का तहे दिल से शुक्रिया ,महरबानी

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on April 5, 2016 at 6:36pm

छिना झपटी की बढती आदत पर बहुत सुंदर लघु कथा हुई  है  जो सीयास की राजनीती करने वालों के  लिए सन्देश है |

Comment by Rekha on April 5, 2016 at 12:00pm

 प्रेरणादायक कथा |बधाई |


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on April 4, 2016 at 9:34pm

प्रतीकों के माध्यम से आज के वक़्त पर मानव के व्यवहार पर सटीक कटाक्ष किया है आ० तस्दीक जी इसमें कोई दो राय नहीं होगी अगर कहूँ की आज की सियासत में भी यही सब देखने को मिल रहा है और आजकल हमारे  देहरादून में तो बिलकुल यही हो रहा है :))))

Comment by Tasdiq Ahmed Khan on April 4, 2016 at 7:19am

जनाब विजय  साहिब ,लघु कथा में गहरायी से शिरकत करने और हौसला अफ़ज़ाई का बहुत बहुत शुक्रिया ,महरबानी

Comment by Tasdiq Ahmed Khan on April 4, 2016 at 7:18am

जनाब सुनील वर्मा साहिब ,लघु कथा में गहरायी से शिरकत करने और हौसला अफ़ज़ाई का बहुत बहुत शुक्रिया ,महरबानी

Comment by vijay nikore on April 3, 2016 at 3:39pm

बहुत खूब। लघु कथा अच्छी लिखी है। बधाई।

Comment by Tasdiq Ahmed Khan on April 2, 2016 at 10:56pm

मोहतरमा राहिला  साहिबा  , लघु कथा को गहराई से देखने और हौसला अफ़ज़ाई का  ,  तहेदिल से आपका  शुक्रिया ,महरबानी

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"आ. भाई दयाराम जी, सादर अभिवादन। रचना पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए आभार।"
4 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"सहर्ष सदर अभिवादन "
11 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, पर्यावरण विषय पर सुंदर सारगर्भित ग़ज़ल के लिए बधाई।"
14 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"आदरणीय सुरेश कुमार जी, प्रदत्त विषय पर सुंदर सारगर्भित कुण्डलिया छंद के लिए बहुत बहुत बधाई।"
14 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"आदरणीय मिथलेश जी, सुंदर सारगर्भित रचना के लिए बहुत बहुत बधाई।"
14 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, प्रोत्साहन के लिए बहुत बहुत धन्यवाद।"
14 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"आ. भाई दयाराम जी, सादर अभिवादन। अच्छी रचना हुई है। हार्दिक बधाई।"
17 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"आ. भाई सुरेश जी, अभिवादन। प्रदत्त विषय पर सुंदर कुंडली छंद हुए हैं हार्दिक बधाई।"
19 hours ago
सुरेश कुमार 'कल्याण' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
" "पर्यावरण" (दोहा सप्तक) ऐसे नर हैं मूढ़ जो, रहे पेड़ को काट। प्राण वायु अनमोल है,…"
21 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। पर्यावरण पर मानव अत्याचारों को उकेरती बेहतरीन रचना हुई है। हार्दिक…"
21 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"पर्यावरण पर छंद मुक्त रचना। पेड़ काट करकंकरीट के गगनचुंबीमहल बना करपर्यावरण हमने ही बिगाड़ा हैदोष…"
22 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"तंज यूं आपने धूप पर कस दिए ये धधकती हवा के नए काफिए  ये कभी पुरसुकूं बैठकर सोचिए क्या किया इस…"
yesterday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service