For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

"चित्र से काव्य तक" प्रतियोगिता -अंक १ (एक रपट)

आदरणीय साथिओ,

आप सब जानते ही हैं कि ओबीओ पिछले एक वर्ष से साहित्य सेवा में पूरी तन्मयता से कार्यरत है ! न केवल इसने नए पुराने साहित्य-धर्मियों को एक उत्तम मंच ही प्रदान किया है, वरण अपने विभिन्न आयोजनों द्वारा रचनाकर्मियों को अपने फन को चमकाने का अवसर भी प्रदान किया है ! ओबीओ द्वारा आयोजित "लाईव तरही मुशायरा" ओर "लाईव महा-उत्सव" अपनी सफलता के झंडे पहले ही अंतर्जाल की दुनिया में गाड़ चुका है ! इसी सिलसिले की अगली कड़ी रही "चित्र से काव्य तक" प्रतियोगिता, जिसके पहले अंक का आयोजन दिनांक १६ अप्रैल से २० अप्रैल २०११ तक बहुमुखी प्रतिभा के मालिक श्री अम्बरीश श्रीवास्तव के योग्य संचालन में किया गया !

इस प्रतियोगिता के लिए रचनाधर्मियों को एक देकर उसपर अपनी रचनाएँ लिखने को कहा गया !  कलकत्ता शहर की तपती सड़क पर, लुंगी गंजी पहने, भारी भरकम रिक्शा में सवारी लादे हुए, तमाम भव्यता से बेखबर, अपनी धुन में मस्त उस तस्वीर का कर्मवीर रिक्शावाला अंतत: प्रतियोगिता में सम्मिलित लगभग सभी साहित्यकारों का महानायक हो निपटा ! अक्सर ऐसे विषयों पर लिखते हुए किसी लेखक का भावुक हो जाना बड़ी आम सी बात है, और अक्सर यह भी देखा गया है कि भावुकता में बह गए साहित्य में से कला का पुट कहीं खो जाया करता है ! किन्तु मुझे यहाँ बताते हुए अत्यंत हर्ष हो रहा है कि इस आयोजन के दौरान भावुकता मानवीय संवेदना की सीमा रेखा में ही रही और बहुत ही सार्थक रचनायों से हमारा साक्षात्कार हुआ !  

क्योंकि "चित्र से काव्य तक" प्रतियोगिता पहली बार आयोजित की गई थी, इसलिए इसकी सफलता को लेकर हम लोग थोड़ा चिंतित ज़रूर थे! अक्सर देखने में आया है कि "प्रतियोगिता" शब्द को लेकर रचनाधर्मियों में काफी सारी अवधारणायें है, जिसके चलते पहले दो दिन इस आयोजन की गति साधारण से थोड़ा ऊपर रही ! लकिन बाद में जिस उल्लेखनीय ढंग से इसने तेज़ी पकड़ी, उससे हमारा आत्मविश्वास यकीनन बढ़ा ! उसके बाद साहित्यकारों से जिस प्रकार इस में बढ़ चढ़ भाग लिया उसने इस प्रतियोगिता को सफलता  प्रदान की ! गद्य और पद्य दोनों ही से रचनाधामियों ने इस आयोजन को सराबोर किया ! जहाँ एक तरफ प्रचलित काव्य विधायों - स्वतंत्र कविता, तुकांत वाली कविता, ग़ज़ल तथा  नवगीत ही पेश किए गए. वहीँ दूसरी ओर सनातन भारतीय काव्य बानगियों - दोहा, कुंडली, छंद एवं सवय्ये भी यहाँ देखने को मिले ! कुछेक बहुत ही रुचिकर संस्मरणनुमा लघुकथाएं भी पाठकों को पढने को मिलीं ! रचनाधर्मियों ने ना केवल इस दौरान अपनी स्तरीय रचनाएँ ही पेश की बल्कि अन्य साथियों की रचनायों की खुले दिल से समीक्षा व प्रशंसा भी की !

इस अवसर मैं यदि भाई अम्बरीश श्रीवास्तव जी के बारे में कुछ ना कहूँ तो यह सरासर गलत होगा ! श्री अम्बरीश श्रीवास्तव जी ने जिस कुशलता से इस आयोजन को संचालित किया, वह वन्दनीय है ! कोई भी रचना आने के बाद सबसे पहली प्रतिक्रया आप ही की होती थी ! प्रतिक्रिया भी आधे अधूरे मन से नहीं बल्कि एक सम्पूर्ण विश्लेषण की तरह की जो आपके उच्च स्तरीय साहित्यक सोच समझ की परिचायक है ! अधिकाँश रचनायों पर तो आपने उन रचनायों कि एक एक पंक्ति पर अपनी सार्थक समीक्षा दी जिसे देखकर मन गदगद हो गया ! उनकी कार्यकुशलता और सफल संयोजन प्रतिभा ही इस आयोजन की सफलता का कारण रही है ! जिसके लिए मैं दिल की गहराईओं से भाई अम्बरीश श्रीवास्तव जी को मुबारकबाद देता हूँ ! ओबीओ में उनको अपने शाना-बशाना पाकर मैं फूला नहीं समा रहा हूँ, उनकी अदम मौजूदगी हम सब के लिए बायस-ए-मसर्रत भी है और बायस-ए-फख्र भी ! अंत में मैं श्री गणेश जी बागी एव भाई प्रीतम तिवारी सहित उन सब साहित्यकारों और साहित्य प्रेमियों का भी शुक्रिया अदा करता हूँ जिन्होंने अपनी रचनायों और टिप्पणियों से इस आयोजन को सफल बनाया ! जय ओबीओ ! सादर !

योगराज प्रभाकर
(प्रधान संपादक)

Views: 1788

Reply to This

Replies to This Discussion

इस मंच के माध्यम से सम्मिलित प्रस्तुतियों पर अपने सांगोपांग वर्णन और बेलौस तबसीरे के लिये आपका सादर अभिनन्दन.  पढ़ना कठिन नहीं पढ़े पर विचार देना सदा ही कठिन हुआ करता है. मगर आपकी यह खूबी नवोदितों के लिये अनुकरणीय बने यही अपेक्षा है. पुनः धन्यवाद और अभिनन्दन.
Shree Saurabh panday sahib,aapane sahi pharmaya padhakar raay denaa dushkar kaary hein.Badhai,aabhaar
जनाब पूनिया साहिब, किसी लेखक की रचना पर अपनी राये देना और उसकी हौसला अफजाई करना लेखक को भविष्य में और बेहतर करने के लिए प्रेरित करता है ! ओबीओ पर जब इन आयोजनों का सिलसिला शुरू हुआ था तब इस खाकसार ने ग़ज़ल के एक-एक शेअर पर समीक्षा देने का रिवाज़ शुरू किया था ! आज अपने सुधि साथियों को उसका अनुसरण करता देख दिल बाग़ बाग़ हो उठता है !

आदरणीय सौरभ भाई जी, आपकी रचनाएँ तो हमेशा उच्च स्तरीय होती ही हैं लेकिन आपकी टिप्पणियां भी कम रुचिकर नहीं होतीं ! "सांगोपांग वर्णन" और "बेलौस तबसीरे" की इस जुगलबंदी ने आपकी टिप्पणी को एक विलक्षण बुलंदी दे दी है ! आपको रपट पसंद आई - मेरा श्रम सार्थक हुआ ! 

 

जग से मिलती रही सियाही

जग में होती रही पढ़ाई.

जो कुछ जाना जितना सीखा,

चाहे मीठा चाहे तीखा

मुझमें क्या है, मुझमें क्या था?

जँचा तुझे जो मेरा क्या था..!? 

ना ’मैं’ मुझमें, मुझमें ’तुम’ है

तेरा ’सुन्दर’ मुझमें गुम है.

 

भाई योगराजजी,  और क्या कहूँ?.. . सादर अभिनन्दन.

किसी शायर ने फ़रमाया है :

//चमन में इख्तिलात-ए-रंग-ओ-बू से बात बनती है,
हम ही हम हैं तो क्या हम हैं, तुम ही तुम हो तो क्या तुम हो //


आदरणीय प्रमुख संपादक जी ! आपके द्वारा प्रस्तुत विस्तृत रिपोर्ट पढ़कर आनंद आ गया ! वाकई! यह दिल से लिखी गयी है .......जो कि भविष्य में "चित्र से काव्य तक" प्रतियोगिता में काफी बड़ी संख्या में प्रतिभाग करने हेतु हमारे साहित्यकार मित्रों को एक बेहतरीन टानिक बनकर प्रेरित करेगी ....आपका बहुत-बहुत आभार सहित हृदय से अभिनन्दन ........व इस हृदयस्पर्शी रिपोर्ट हेतु बधाई .....:))
o.be.o.ka ye ayojan safal raha ,behtar sanchalan ke liye ambrish jee ko haardik shubhkaamnayen | rachnayen leek se hatkar raheen |
धन्यवाद "अभिनव" जी ! आपका हृदय  से आभार मित्र !

अम्बरीषजी,  अभिनन्दन.

आपको सफल मंच-संचालन हेतु हार्दिक शुभकामनाएँ.

आदरणीय पाण्डेय जी ! आपको मेरा नमन ............

‎"चित्र से काव्य तक" ये सुहाना सफ़र.
ओ बी ओ मित्र सारे बने हमसफ़र..
कोलकाता को पहली थी ट्रिप ये चली-
कर्मवीरों से रौनक थी आयी नजर..

RSS

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Sushil Sarna posted blog posts
1 hour ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आ. भाई सौरभ जी, सादर अभिवादन। बेहतरीन गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

देवता क्यों दोस्त होंगे फिर भला- लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

२१२२/२१२२/२१२ **** तीर्थ जाना  हो  गया है सैर जब भक्ति का यूँ भाव जाता तैर जब।१। * देवता…See More
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey posted a blog post

कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ

२१२२ २१२२ २१२२ जब जिये हम दर्द.. थपकी-तान देते कौन क्या कहता नहीं अब कान देते   आपके निर्देश हैं…See More
Sunday
Profile IconDr. VASUDEV VENKATRAMAN, Sarita baghela and Abhilash Pandey joined Open Books Online
Saturday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदाब। रचना पटल पर नियमित उपस्थिति और समीक्षात्मक टिप्पणी सहित अमूल्य मार्गदर्शन प्रदान करने हेतु…"
Oct 31
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार। रचना पटल पर अपना अमूल्य समय देकर अमूल्य सहभागिता और रचना पर समीक्षात्मक टिप्पणी हेतु…"
Oct 31
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . सागर प्रेम

दोहा सप्तक. . . सागर प्रेमजाने कितनी वेदना, बिखरी सागर तीर । पीते - पीते हो गया, खारा उसका नीर…See More
Oct 31
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदरणीय उस्मानी जी एक गंभीर विमर्श को रोचक बनाते हुए आपने लघुकथा का अच्छा ताना बाना बुना है।…"
Oct 31

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय सौरभ सर, आपको मेरा प्रयास पसंद आया, जानकार मुग्ध हूँ. आपकी सराहना सदैव लेखन के लिए प्रेरित…"
Oct 31

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय  लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर जी, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार. बहुत…"
Oct 31

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहजाद उस्मानी जी, आपने बहुत बढ़िया लघुकथा लिखी है। यह लघुकथा एक कुशल रूपक है, जहाँ…"
Oct 31

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service