For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

कर्त्तव्यो की अजब कहानी...

कर्त्तव्यो की अजब कहानी, जीवन भर करता नादानी।

भूख लगे तो चिल्लाता यों, सारे जग का मालिक है वो।
शोषण का अपराध हृदय में, खोखल तना घना लगता वो।।
हाथ, पैर, मुख कर्म करे पर, अॅखियॉं मूंद करे बचकानी।
कर्त्तव्यो की अजब कहानी, जीवन भर करता नादानी।। 1

दया-करूण की ममता देवी, निश्छल अन्तर्मन की वेदी।
नहीं जरा भी रूक पाती है, करूणा-ममता बरसाती है।।
जीवन भर उल्लास बॉंट कर, पीती सदा नयन से पानी।
कर्त्तव्यो की अजब कहानी, जीवन भर करता नादानी।। 2

बड़ा हुआ तो तेरा मेरा, सम्बन्धों का जाल घनेरा।
छिछले, लिजलिज अवयव से नित, काम लोभ के साधे निज हित।।
देह रिक्त बिन प्राण पखेरू, फिर भी पंख नोचता दानी।
कर्त्तव्यो की अजब कहानी, जीवन भर करता नादानी।। 3

प्रकृति-नारि से सब जग जन्मा, मगर अजन्मा अक्षुण्ण आत्मा।
जीवन में सद् कर्म सुझाता, संस्कृति हित संस्कार बनाता।।
फिर भी मानव द्वेष भाव में, प्रगति चक्र पर फेरे पानी।
कर्त्तव्यों की अजब कहानी, जीवन भर करता नादानी।। 4

के0पी0सत्यम / मौलिक एवं अप्रकाशित

Views: 326

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on May 6, 2015 at 12:47pm

बहुत ही सुन्दर गीत 

दया-करूण की ममता देवी, निश्छल अन्तर्मन की वेदी।
नहीं जरा भी रूक पाती है, करूणा-ममता बरसाती है।।
जीवन भर उल्लास बॉंट कर, पीती सदा नयन से पानी।
कर्त्तव्यो की अजब कहानी, जीवन भर करता नादानी।। 2----इस बंद के तो क्या ही कहने 

बहुत बहुत बधाई लेवल प्रसाद जी 

Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on April 29, 2015 at 9:25pm

आ0 जितेंद्र भाई जी,  आपके स्नेह के लिये आपका हार्दिक आभार,  सादर

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on April 27, 2015 at 11:48am

बहुत सुंदर सार्थक प्रस्तुति, आदरणीय केवल जी. बहुत-बहुत बधाई आपको

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"शेर क्रमांक 2 में 'जो बह्र ए ग़म में छोड़ गया' और 'याद आ गया' को स्वतंत्र…"
15 hours ago
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"मुशायरा समाप्त होने को है। मुशायरे में भाग लेने वाले सभी सदस्यों के प्रति हार्दिक आभार। आपकी…"
15 hours ago
Tilak Raj Kapoor updated their profile
15 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. भाई दयाराम जी, सादर अभिवादन। अच्छी गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
15 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. भाई जयहिन्द जी, सादर अभिवादन। अच्छी गजल हुई है और गुणीजनो के सुझाव से यह निखर गयी है। हार्दिक…"
15 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. भाई विकास जी बेहतरीन गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
15 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. मंजीत कौर जी, अभिवादन। अच्छी गजल हुई है।गुणीजनो के सुझाव से यह और निखर गयी है। हार्दिक बधाई।"
15 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. भाई दयाराम जी, सादर अभिवादन। मार्गदर्शन के लिए आभार।"
15 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आदरणीय महेन्द्र कुमार जी, प्रोत्साहन के लिए बहुत बहुत धन्यवाद। समाँ वास्तव में काफिया में उचित नही…"
15 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. मंजीत कौर जी, हार्दिक धन्यवाद।"
15 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. भाई तिलक राज जी सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति, स्नेह और विस्तृत टिप्पणी से मार्गदर्शन के लिए…"
15 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आदरणीय तिलकराज कपूर जी, पोस्ट पर आने और सुझाव के लिए बहुत बहुत आभर।"
15 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service