For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

भंग न तुम्हारा मौन हुआ

तुम साहसी हो,

मैं यह मानकर चला,

इसी  भाव  को,

हृदय में धारण कर,

प्रेम पथ पर आगे बढ़ा,

भावी जीवन का स्वप्न सजोयें,

परिवार, समाज, दुनिया से लड़ा,

पर देखो आज शर्मिन्दा खड़ा हूँ ,

स्वयं की नजरों में गिरा पड़ा हूँ ,

मुझे प्यार किया तुमने, पर कह ना सकीं,

मेरा जीवन होम हुआ, पर भंग न तुम्हारा मौन हुआ !!

 

© हरि प्रकाश दुबे

"मौलिक व अप्रकाशित

Views: 648

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Hari Prakash Dubey on February 17, 2015 at 7:06pm

आदरणीय मोहन सेठी जी,हार्दिक आभार आपका ! सादर 

Comment by Hari Prakash Dubey on February 17, 2015 at 7:03pm

आदरणीय उमेश कटारा जी, प्रोत्साहन हेतु आपका हार्दिक आभार ! सादर

Comment by Hari Prakash Dubey on February 17, 2015 at 1:31pm

आदरणीय मिथिलेश भाई , रचना की सराहना करने के लिए आपका ह्रदय तल से आभार ! सादर 

Comment by Hari Prakash Dubey on February 17, 2015 at 1:30pm

आदरणीय डॉ गोपाल नारायण श्रीवास्तव सर ,आपका आशीर्वाद मिल गया ,रचना सार्थक हुई ! सादर !

Comment by Hari Prakash Dubey on February 17, 2015 at 1:26pm

आदरणीय महर्षि त्रिपाठी जी, उत्साहवर्धक प्रतिक्रिया हेतु  आपका हार्दिक आभार ! सादर 

Comment by Hari Prakash Dubey on February 17, 2015 at 1:21pm

आदरणीय जितेन्द्र पस्टारिया साहब ,आपकी उत्साहवर्धक सराहना के लिए, आपका बहुत-बहुत आभार ,सादर

Comment by Hari Prakash Dubey on February 17, 2015 at 1:19pm

आदरणीय डॉ विजय शंकर सर , प्रोत्साहन हेतु आपका हार्दिक आभार ! सादर 

Comment by Hari Prakash Dubey on February 17, 2015 at 1:09pm

आदरणीय इंजी.गणेश जी “बागी” सर , रचना को स्वीकृति प्रदान करने एवं मान देने के लिए आपका बहुत बहुत आभार एवं धन्यवाद , सादर।

 

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on February 16, 2015 at 11:54am

वाह! बहुत सुंदर. छोटी किन्तु प्राभावशील रचना, बधाई आदरणीय हरिप्रकाश जी

Comment by Mohan Sethi 'इंतज़ार' on February 16, 2015 at 6:41am

कभी कभी हर साहस समाज के दबाव में हल्का पड़ जाता है ....सुंदर भाव 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
" पर्यावरण की इस प्रकट विभीषिका के रूप और मनुष्यों की स्वार्थ परक नजरंदाजी पर बहुत महीन अशआर…"
59 minutes ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"दोहा सप्तक में लिखा, त्रस्त प्रकृति का हाल वाह- वाह 'कल्याण' जी, अद्भुत किया…"
1 hour ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"आदरणीया प्राची दीदी जी, रचना के मर्म तक पहुंचकर उसे अनुमोदित करने के लिए आपका हार्दिक आभार। बहुत…"
1 hour ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"आदरणीय दयाराम मेठानी जी इस प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक धन्यवाद। सादर"
1 hour ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी बहुत बहुत धन्यवाद आपका मेरे प्रयास को मान देने के लिए। सादर"
1 hour ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"वाह एक से बढ़कर एक बोनस शेर। वाह।"
1 hour ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"छंद प्रवाह के लिए बहुत बढ़िया सुझाव।"
1 hour ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"मानव के अत्यधिक उपभोगवादी रवैये के चलते संसाधनों के बेहिसाब दोहन ने जलवायु असंतुलन की भीषण स्थिति…"
1 hour ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
" जलवायु असंतुलन के दोषी हम सभी हैं... बढ़ते सीओटू लेवल, ओजोन परत में छेद, जंगलों का कटान,…"
1 hour ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"आग लगी है व्योम में, कहते कवि 'कल्याण' चहुँ दिशि बस अंगार हैं, किस विधि पाएं त्राण,किस…"
2 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"भाई लक्षमण जी एक अरसे बाद आपकी रचना पर आना हुआ और मन मुग्ध हो गया पर्यावरण के क्षरण पर…"
2 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"अभिवादन सादर।"
3 hours ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service