For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

चलो मयकदे मेँ जमाने मेँ क्या हैँ ।
अगर लुत्फ है तो उठाने मेँ क्या है ।

न पाया जमाने मेँ कुछ भी रहकर ,
अब मयकदा आजमाने मेँ क्या है ।

भर जायेगी जब पैमानोँ मेँ मय ,
फिर उसको पीने पिलाने मेँ क्या है ।

खुदा का तसव्वुर जब हर जगह है ,
फिर सर यहाँ भी झुकाने मेँ क्या है ।

जब राज दिल के सब खुल गये होँ ,
परदा नजर का गिराने मे क्या है ।

न इन्सान समझे जब दिल की कीमत ,
दिल मयकशी से लगाने मेँ क्या है ।

सिवा तेरे तू ही बता मेरे दिलबर ,
इस जिन्दगी के फसाने मेँ क्या है ।

अगर चाहिये जिन्दगी को बहाना ,
कि इस खूबसूरत बहाने मेँ क्या है ।

मौलिक व अप्रकाशित
नीरज मिश्रा

Views: 808

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Neeraj Nishchal on September 19, 2014 at 3:01pm

आदरणीय हरिबल्लभ जी बहुत बहुत धन्यवाद | 

Comment by Neeraj Nishchal on September 19, 2014 at 2:59pm

आदरणीय खुर्शीद जी बहुत बहुत धन्यवाद 

Comment by Neeraj Nishchal on September 19, 2014 at 2:58pm

आदरणीय गोपाल नारायण जी बहुत बहुत शुक्रिया 

Comment by Neeraj Nishchal on September 19, 2014 at 2:56pm

आदरणीय गुमनाम जी बहुत बहुत आभार 

Comment by Neeraj Nishchal on September 19, 2014 at 2:54pm

आदरणीय गिरिराज भंडारी जी आपका बहुत बहुत आभार


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on September 17, 2014 at 3:24pm

हमने देखे  २१२२ / हैँ तुम्ही मेँ २१२२ / अपने दोनो २१२२ / ही जहाँ २१२

आदरणीय नीरज भाई , इस मिसरे की तक्तीअ  , २१२२  २१२२ २१२२  २१२  होगी , जो एक मान्य  बहर है | आपने भी सही तक्तीअ की है |

Comment by Neeraj Nishchal on September 17, 2014 at 3:07pm
हमने देखे हैँ तुम्ही मेँ अपने
2 1 2 2 2 1 2 2 2 2
दोनो ही जहाँ
2 2 2 1 2

आदरणीय भण्डारी वो जो आपने कहा मेरी समझ मेँ आ गया आपका सह्रदय आभार आप आप इस पंक्ति मे मैने जो वजन दिया है उसपर मार्गदर्शन करने की कृपा करेँ ।
Comment by Neeraj Nishchal on September 17, 2014 at 3:06pm
हमने देखे हैँ तुम्ही मेँ अपने
2 1 2 2 2 1 2 2 2 2
दोनो ही जहाँ
2 2 2 1 2

आदरणीय भण्डारी वो जो आपने कहा मेरी समझ मेँ आ गया आपका सह्रदय आभार आप आप इस पंक्ति मे मैने जो वजन दिया है उसपर मार्गदर्शन करने की कृपा करेँ ।
Comment by Neeraj Nishchal on September 17, 2014 at 3:06pm
हमने देखे हैँ तुम्ही मेँ अपने
2 1 2 2 2 1 2 2 2 2
दोनो ही जहाँ
2 2 2 1 2

आदरणीय भण्डारी वो जो आपने कहा मेरी समझ मेँ आ गया आपका सह्रदय आभार आप आप इस पंक्ति मे मैने जो वजन दिया है उसपर मार्गदर्शन करने की कृपा करेँ ।

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on September 17, 2014 at 12:48pm

आदरणीय नीरज भाई , ' मैं ' का मूल वजन २  होता है , लेकिन आपके जो शे र उदाहरण स्वरुप लिखा है  , उसमे मैं  की मत्रा गिराई गयी है , और १ मात्रा ली गयी है , जो नियमानुसार सही है --

मैं खुद से १२२  / कभी ये  १२२ /सिफारिश १२२ / करूंगा १२२ /

तुम्हें भू १२२ / लने की १२२ / गुजारिश १२२ / करूंगा १२२ 
 

आपकी ग़ज़ल में  ---  भर , फिर , अब , जब , पर्दा ( २२ ) , दिल , और इस  , ये सभी  २ मात्रा वाले शब्द हैं  , इन्हें गिरा कर १ मात्रा नहीं किया जा सकता  , इन्ही के कारण मिसरे बे बहर हो रहे हैं |

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Gajendra shrotriya replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"//उसकी तारीफ़ में जो कुछ भी ज़ुबां मेरी कहेउसको दरिया-ए-मुहब्बत की रवानी लिखना// वाह! नयापन है इस…"
25 minutes ago
Gajendra shrotriya replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी ! अच्छी ग़ज़ल से मुशाइरा आरंभ किया आपने। बहुत बधाई! // यूँ वसीयत में तो बेटी…"
39 minutes ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"हर कहानी को कई रूप रुहानी लिखना जाविया दे कहीं हर बात नूरानी लिखना मौलवी हो या वो मुल्ला कहीं…"
1 hour ago
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"सहृदय शुक्रिया आदरणीय ग़ज़ल पर इस ज़र्रा नवाज़ी का"
2 hours ago
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"सहृदय शुक्रिया आदरणीय दयाराम जी ग़ज़ल पर इस ज़र्रा नवाज़ी का"
2 hours ago
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"सादर आदरणीय सौरभ जी आपकी तो बात ही अलग है खैर जो भी है गुरु जी आदरणीय समर कबीर ग़ज़ल के उस्ताद हैं…"
2 hours ago
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"जी शुक्रिया आदरणीय मंच के नियमों से अवगत कराने के लिए"
2 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"आदरणीय मिथलेश जी, गलती से ऐसा हो गया था। आपकी टिप्पणी के पश्चात ज्ञात हुआ तो अब अलग से पोस्ट कर दी…"
2 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"ग़ज़ल - 2122 1122 1122 22 काम मुश्किल है जवानी की कहानी लिखनाइस बुढ़ापे में मुलाकात सुहानी लिखना-पी…"
2 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"मेरी समर साहब से तीन दिन पहले ही बातें हुई थीं। उनका फोन आया था। वे 'दुग्ध' शब्द की कुल…"
3 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"आदरणीय आज़ी तमाम जी, आपने शानदार ग़ज़ल कही है। गिरह भी खूब लगाई है। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई…"
3 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"आदरणीय लक्ष्मण धामी मुसाफ़िर जी, आपने बहुत बढ़िया ग़ज़ल कही है। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई…"
3 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service