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नन्हीं नन्हीं

ख़वाहिशें जन्मी है

जैसे पतझड़ के बाद

नन्हीं कलियाँ

नन्ही कोपले

 

बड़े आग़ाज़ का

छोटा सा ख़ाका

बड़ी उम्मीदों की

छोटी सी किरन

 

उगने दो इन्हें

पनपने दो

कल की धूप के लिए

इनके साये बनने दो

 

करो तैयारी

खूबसूरत शुरुआत कि

सजाओ बस्ती

अपने जहान कि

के फिर

मौसम ने करवट ली है

फिर क़िस्मत ने दवात दी है

फिर खुशियों ने रहमत की है

 

जगने दो ख्वाहिशें

पकने दो ख्वाहिशें

के नया कुछ होने को है

परिवर्तन होने को है

 

इंतज़ार ख़त्म होने को है ……..

(मौलिक और अप्रकाशित)

प्रियंका.....

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Comment

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Comment by Priyanka singh on July 6, 2014 at 12:48am

बहुत बहुत आभार ब्रजेश सर .... 

Comment by बृजेश नीरज on July 5, 2014 at 8:24pm

आपकी रचनाओं में आशा की किरण दिखती है, जो सकारत्मक सोच का परिणाम है और पाठक को भी सुकून प्राप्त होता है. इस सुन्दर रचना के लिए आपको हार्दिक बधाई!

Comment by Priyanka singh on April 22, 2014 at 9:24pm

बहुत बहुत आभार सौरभ सर ...आपकी प्रतिक्रिया मिली ...अच्छा लगा ....जी सर आपकी सलाह का ध्यान रखूंगी... 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on April 16, 2014 at 11:36pm

नये हौसलों तथा आशाओं को शब्दबद्ध करना कविकर्म का सदा से एक रोचक पहलू रहा है. इन आशाओं और उम्मीदों को नये ढंग से प्रस्तुत करने की हमेशा से कोशिश होती रही है. आपकी प्रस्तुति भी उसी पहलू की एक नयी कड़ी मालूम हुई.

बधाई व शुभकामनाएँ ..

की और कि को क्रमशः कि तथा के  लिखना तो अखरा है. आप इस तरह की त्रुटियों से बचें तो उचित ही होगा.

शुभ-शुभ

Comment by Priyanka singh on April 15, 2014 at 4:31pm

आदरणीया प्राची मैम ....आपके शब्द मेरे लिए अनमोल है, मेरी रचना पर आपकी नज़र पड़ी और सराहना मिली ...मुझे ख़ुशी हुई ...बहुत बहुत आभार आपका .....यूँही सराहती रहिएगा.... 

Comment by Priyanka singh on April 15, 2014 at 4:06pm

आदरणीया कल्पना मैम...... बहुत बहुत आभार आपका मेरी रचना को अपनी नज़र देने के लिए ...

Comment by Priyanka singh on April 15, 2014 at 4:05pm

शिज्जु सर ...मेरी रचना आपको पसंद आयी और इसे आपकी प्रशंसा मिली .....बहुत ख़ुशी हुई ...बहुत बहुत धन्यवाद आपका ...

Comment by Priyanka singh on April 15, 2014 at 4:04pm

आदरणीय विजय सर
आपकी प्रशंसा ह्रदय को आनंदित कर देती है, बहुत बहुत आभार आपका ...यूँही आशीर्वाद बनाये रखें....

Comment by Priyanka singh on April 15, 2014 at 4:02pm

आदरणीय गिरीराज सर .....आपकी प्रशंसा से अभिभूत हूँ ....बहुत बहुत आभार आपका.... 

Comment by Priyanka singh on April 15, 2014 at 4:01pm

आदरणीया अन्नपूर्णा जी .....आपकी पसन्दगी का शुक्रिया ...

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सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post कहूं तो केवल कहूं मैं इतना: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीया प्राची दीदी जी, आपको नज़्म पसंद आई, जानकर खुशी हुई। इस प्रयास के अनुमोदन हेतु हार्दिक…"
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सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
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"आदरणीय, यह द्वितीय प्रस्तुति भी बहुत अच्छी लगी, बधाई आपको ।"
17 hours ago

मुख्य प्रबंधक
Er. Ganesh Jee "Bagi" replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"वाह आदरणीय वाह, पर्यावरण पर केंद्रित बहुत ही सुंदर रचना प्रस्तुत हुई है, बहुत बहुत बधाई ।"
17 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
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18 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"आ. भाई हरिओम जी, सादर अभिवादन। प्रदत्त विषय पर बेहतरीन कुंडलियाँ छंद हुए है। हार्दिक बधाई।"
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"आ. भाई तिलक राज जी, सादर अभिवादन। आपकी उपस्थिति और स्नेह से लेखन को पूर्णता मिली। हार्दिक आभार।"
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लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
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18 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
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