For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

किसे सुनाएँ व्यथा वतन की/गजल/कल्पना रामानी

 1212212122

किसे सुनाएँ व्यथा वतन की।

है कौन बातें करे अमन की।

 

हुई हुकूमत हितों पे हावी,

हताश है, हर गुहार जन की।

 

फिसल रहे पग हरेक मग पर,

कुछ ऐसी काई जमी पतन की।

 

फरेब क़ाबिज़ हैं कुर्सियों पर,

कदम तले बातें सत वचन की।

 

निगल के खुशबू को नागफनियाँ,

कुचल रहीं आरज़ू चमन की।

 

ये किसके बुत क्यों बनाके रावण,

निभा रहे हैं प्रथा दहन की।

 

ज़मीं के मुद्दों पे चुप हैं चर्चे,

विमूढ़ चर्चा करें गगन की।

 

न जाने कब होगी “कल्पना” फिर

नवेली प्रातः नई किरन की।

मौलिक व अप्रकाशित

Views: 719

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by कल्पना रामानी on April 17, 2014 at 8:37pm

आदरणीय चन्द्रशेखर जी, जितेंद्र जी,  गिरिराज जी, शकील जी,शिज्जुजी, सचिन जी,  मीना जी, प्रिय बृजेश, मुकेश, आप सबका प्रोत्साहित करती हुई टिप्पणी से रचना का मान बढ़ाने के लिए हार्दिक धन्यवाद

Comment by बृजेश नीरज on April 16, 2014 at 11:44pm

बहुत सुन्दर ग़ज़ल! आपको बहुत-बहुत बधाई दीदी!

Comment by CHANDRA SHEKHAR PANDEY on April 16, 2014 at 12:59pm

अच्छी गजल के लिए हार्दिक बधाई।

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on April 16, 2014 at 9:08am

बहुत सुंदर गजल कही आपने आदरणीया कल्पना जी, हार्दिक बधाई आपको

फिसल रहे पग हरेक मग पर,

कुछ ऐसी काई जमी पतन की।............यह शेर बेहद पसंद आया .

Comment by Mukesh Verma "Chiragh" on April 15, 2014 at 7:55pm

आदरणीया कल्पना दीदी
अच्छी ग़ज़ल हुई है

ज़मीं के मुद्दों पे चुप हैं चर्चे,

विमूढ़ चर्चा करें गगन की।

क्या कहने..बहुत खूब


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on April 15, 2014 at 5:50pm

आदरणीया कल्पना जी , खूब सूरत ग़ज़ल के लिये आपको दिली बधाइयाँ !

Comment by शकील समर on April 15, 2014 at 4:11pm

फिसल रहे पग हरेक मग पर,

कुछ ऐसी काई जमी पतन की।

वाह! वाह! क्या कहने। दिली मुबारकबाद आदरणीया।

Comment by Sachin Dev on April 15, 2014 at 3:09pm

आदरणीय कल्पना जी, बेहद शानदार गजल पर हार्दिक बधाई आपको ! 

Comment by Meena Pathak on April 15, 2014 at 2:24pm

हमेशा की तरह एक और बेमिशाल रचना .. बधाई दी | सादर


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on April 15, 2014 at 10:41am

बेहतरीन रचना आदरणीया बहुत बहुत बधाई आपको

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185

परम आत्मीय स्वजन, ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 185 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का…See More
2 hours ago
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
2 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, प्रस्तुति पर आपसे मिली शुभकामनाओं के लिए हार्दिक धन्यवाद ..  सादर"
13 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

आदमी क्या आदमी को जानता है -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

२१२२/२१२२/२१२२ कर तरक्की जो सभा में बोलता है बाँध पाँवो को वही छिप रोकता है।। * देवता जिस को…See More
yesterday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
Monday
Sushil Sarna posted blog posts
Nov 6
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आ. भाई सौरभ जी, सादर अभिवादन। बेहतरीन गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
Nov 5
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

देवता क्यों दोस्त होंगे फिर भला- लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

२१२२/२१२२/२१२ **** तीर्थ जाना  हो  गया है सैर जब भक्ति का यूँ भाव जाता तैर जब।१। * देवता…See More
Nov 5

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey posted a blog post

कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ

२१२२ २१२२ २१२२ जब जिये हम दर्द.. थपकी-तान देते कौन क्या कहता नहीं अब कान देते   आपके निर्देश हैं…See More
Nov 2
Profile IconDr. VASUDEV VENKATRAMAN, Sarita baghela and Abhilash Pandey joined Open Books Online
Nov 1
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदाब। रचना पटल पर नियमित उपस्थिति और समीक्षात्मक टिप्पणी सहित अमूल्य मार्गदर्शन प्रदान करने हेतु…"
Oct 31
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार। रचना पटल पर अपना अमूल्य समय देकर अमूल्य सहभागिता और रचना पर समीक्षात्मक टिप्पणी हेतु…"
Oct 31

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service