For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

(1)
झेला   हमने   इसलिए,  हर  काँटे   का  दंश । 
ताकि चमन में खिल सकें, फूलों के सब वंश ॥ 
फूलों  के   सब   वंश,  महक   वे   सारे  पाएँ । 
गुलशन का हर द्वार, प्यार से जो  खटकाएँ ॥ 
कहें  'शून्य' कविराय, लगे खुशियों का मेला । 
पाएँ  सब  आनंद,  कष्ट  इस  कारण  झेला ॥ 
 
(2)
सपनों  में  यह  गगन भी, तभी बजाए शंख । 
दीप  जला  हो  आस का, हों  साहस के पंख ॥
हों  साहस के पंख, न  डर  हो  कड़ी  धूप का । 
जानो सबका मोल, मिले जल सिंधु/कूप का ॥ 
गैरों  से  कर  प्रेम, न   दूरी   रख  अपनों  में । 
हो जमीन का ध्यान, उड़ो जब भी सपनों में ॥  
 
- शून्य आकांक्षी 
अप्रकाशित एवं मौलिक 

Views: 745

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by C.M.Upadhyay "Shoonya Akankshi" on February 21, 2014 at 5:33pm

Meena Pathak जी,

छंद की सराहना करने और बधाई देने के लिए आपका बहुत-बहुत धन्यवाद । 

Comment by C.M.Upadhyay "Shoonya Akankshi" on February 18, 2014 at 11:32pm

आपकी आकर्षक टिप्पणी ने मुझे आनंदित किया है । छंद की सराहना करने और बधाई देने के लिए आपका बहुत-बहुत धन्यवाद अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव जी । 

Comment by C.M.Upadhyay "Shoonya Akankshi" on February 16, 2014 at 11:52pm

मेरे कुण्डलिया छंद आपको पसंद आए, यह जानकर प्रसन्नता हुई । मनभावन टिप्पणी करने के लिए आपका धन्यवाद  Shyam Narain Verma जी । 

Comment by C.M.Upadhyay "Shoonya Akankshi" on February 11, 2014 at 7:29pm

प्रशंसा और उत्साहरुपी शब्दोँ की बारिश मेँ आपने भिगो दिया श्री  Saurabh Pandey जी ! आपकी टिप्पणी ने सार्थक लेखन के लिए मुझे सम्बल प्रदान किया है । सादर आभारी हूँ । 

             

            ट्रेड यूनियन और सामाजिक दायित्वों में अत्यधिक व्यस्त रहने के कारण मैं नेट पर कम समय दे पाता हूँ, ख़ास तौर से ब्लॉग लेखन में । OBO को देखने के बाद इसने मुझे काफी प्रभावित किया । प्रयत्न करूँगा कि माह में कम-से-कम  दो बार अपनी रचनाएँ यहाँ पोस्ट कर सकूँ । 

 

सादर :

शून्य आकांक्षी 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on February 7, 2014 at 12:04pm

उत्कृष्ट कथ्य को प्रस्तुत करती बहुत सुन्दर संदेशपरक कुण्डलियाँ

दोनों ही बहुत पसंद आयीं 

हृदय से बधाई आ० सी० एम० उपाध्याय जी 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on February 6, 2014 at 1:29am

आदरणीय शून्य आकांक्षीजी, सर्वप्रथम आपका इस मंच पर हार्दिक स्वागत है. आपकी इस मंच पर कोई पहली दो रचनाएँ देख रहा हूँ जो शिल्प और कथ्य की दृष्टि से सुगढ़ कुण्डलिया छंदों में हैं.
अपनी भावनाओं को जिस अधिकार से आपके छंद प्रस्तुत कर रहे हैं वह श्लाघनीय और अनुकरणीय है. विशेषकर दूसरी कुण्डलिया तो अत्यंत संदेशपरक बन पड़ी है.
हृदय से बधाइयाँ और शुभकामनाएँ
सादर

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on February 3, 2014 at 7:00pm

वाह ! बहुत सुन्दर कुंडलिया छंद | सुस्न्दर भाव | हार्दिक बधाई श्री से एम् उपाध्याय जी 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on February 3, 2014 at 6:47pm

आदरणीय उपाध्याय भाई , लाजवाब कुंडलिया रचना के लिये आपको हार्दिक बधाइयाँ ॥

Comment by Meena Pathak on February 3, 2014 at 2:23pm

बहुत सुन्दर कुण्डलियाँ .. बधाई | 

Comment by अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव on February 3, 2014 at 12:22pm

आदरणीय उपाध्यायजी, 

क्या कहने,  बहुत सुंदर , हार्दिक बधाई॥

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

कुर्सी जिसे भी सौंप दो बदलेगा कुछ नहीं-लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

जोगी सी अब न शेष हैं जोगी की फितरतेंउसमें रमी हैं आज भी कामी की फितरते।१।*कुर्सी जिसे भी सौंप दो…See More
7 hours ago
Vikas is now a member of Open Books Online
yesterday
Sushil Sarna posted blog posts
Monday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा दशम्. . . . . गुरु
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय । विलम्ब के लिए क्षमा "
Monday
सतविन्द्र कुमार राणा commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"जय हो, बेहतरीन ग़ज़ल कहने के लिए सादर बधाई आदरणीय मिथिलेश जी। "
Monday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
"ओबीओ के मंच से सम्बद्ध सभी सदस्यों को दीपोत्सव की हार्दिक बधाइयाँ  छंदोत्सव के अंक 172 में…"
Sunday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय सौरभ जी सादर प्रणाम, जी ! समय के साथ त्यौहारों के मनाने का तरीका बदलता गया है. प्रस्तुत सरसी…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
"वाह वाह ..  प्रत्येक बंद सोद्देश्य .. आदरणीय लक्ष्मण भाईजी, आपकी रचना के बंद सामाजिकता के…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अशोक भाई साहब, आपकी दूसरी प्रस्तुति पहली से अधिक जमीनी, अधिक व्यावहारिक है. पर्वो-त्यौहारों…"
Sunday
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय सौरभ भाईजी  हार्दिक धन्यवाद आभार आपका। आपकी सार्थक टिप्पणी से हमारा उत्साहवर्धन …"
Sunday
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी छंद पर उपस्तिथि उत्साहवर्धन और मार्गदर्शन के लिए हार्दिक आभार। दीपोत्सव की…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय  अखिलेश कॄष्ण भाई, आयोजन में आपकी भागीदारी का धन्यवाद  हर बरस हर नगर में होता,…"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service