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मैथिली गीत-
  खनक हुश्न के देखि लेलनि....

खनक  हुश्न  के   देखि   लेलनि   जे  राजा | 
भेलन्हि देह मधुबन,  भेलन्हि  मोंन बाजा ||

अब हमरे हरदम ओ टुक- टुक तकैत छथि |
इशारा सँ  हमरे  ओ   बैसति-उठैत    छथि ||
कखनो   कहै   छथि  जे  बर्फी   अहाँ   छी,
और  कखनों  हमरा  कहै  छथि ओ  खाजा |

लहरिया  बना   क  जे  हम  चाल  चललौं |
त  हम बनि  क रानी सबहक मोंन बसलौं ||
सपना   में   दुनिया   ई   देखैअ   हमरा,
कहैत अछि -   मेरी  जान  बाँहों  में आजा |

जखन   सँ   भेंटल  जिस्म  के  ई  जवानी |
बदलि    गेल    जीवन   के   पूरा   कहानी ||
जों  हम बर्फ  छूबी  त  बनि  जाई ओ भाप,
जों  बसिया  के  छूबी  त  भ   जाई   ताज़ा |
         
            गीतकार-अभय दीपराज


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Replies to This Discussion

bahut badhiya. aur kichu geet bhejab.

मनगर गीत सँ देखार टा भेल, अभयजी, आ मोंन त बुझियैय जे उल्फुल्ल भ गेल ई पढ़ि के.

उपमान के प्रयोगो टा सटीक अछि आ साथय में मनोरंजको अछि.  मुदा -

//कखनो कहै छथि जे बर्फी अहाँ छी,

और कखनों हमरा कहै छथि ओ खाजा//  ...  मिठास सँ मधुर आ रसबंत भेलौं.

चाहे

//जों बसिया के छूबी त भ जाई ताज़ा// .. खूब नीक लागल भिनसरा क टटका ओस जकाँ.

बधाई स्वीकारू.

 

Ahaank Dhanyavaad Pandey Jee prosaahan lel....

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