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कुण्डलियाँ [ माँ ]

मैया दस्तक दे रही ,खोलो मन के द्वार
मात कृपा से हो सदा ,हर सपना साकार //
हर सपना साकार ,जा कर द्वार पर कर लो
देती माँ आशीष , झोलियाँ खाली भर लो
सरिता करे पुकार ,तार माँ सबकी नैया
दे दर्शन चढ़ शेर ,सदा जगदम्बे मैया//

तेरे दर पर हूँ खड़ी,नतमस्तक कर जोड़
सर पर रखना हाथ माँ, दुख जाएँ दर छोड़
दुख जाएँ दर छोड़ ,हो साकार हर सपना
रहे न पारावार दो आशीष माँ अपना
भेंट करो स्वीकार, कब से लगाती फेरे
दर्शन देदो मात ,दर पर खड़ी मैं तेरे //

...............................................

          मौलिक व अप्रकाशित 

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सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on October 17, 2013 at 12:00am

छंदोत्सव आयोजन में कुण्डलिया छंद का शाब्दिक विन्यास आप ही से साझा किया था हमने न ? आपको ध्यान देना था, आदरणीया. देखिये कई सुधीजन प्रवाह में व्यवधान की बात कर रहे हैं. खैर .. .

शुभ-शुभ

Comment by Sarita Bhatia on October 9, 2013 at 6:31pm

आदरणीया प्राची जी शुक्रिया मार्गदर्शन करती रहें 

Comment by Sarita Bhatia on October 9, 2013 at 6:29pm

आदरणीय सुशील जोशी जी आपने बिलकुल सही कहा 

मैंने पर के स्थान पर पे हि लिखा था जब किसी मित्र को जांचने के लिए कहा तो उन्होंने बदल दिया यहाँ मुझे भी थोड़ी बाधा लग रही है 

Comment by Sarita Bhatia on October 9, 2013 at 6:27pm

आदरनीय दिलीप जी शुक्रिया 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on October 9, 2013 at 2:52pm

आ० सरिता जी 

माँ दुर्गा को समर्पित सुन्दर छंद.

प्रवाह कहीं कहीं बाधित है.. थोड़ा सा और साधने की आवश्यकता प्रतीत हो रही है.

शुभकामनाएं 

Comment by Sushil.Joshi on October 9, 2013 at 5:23am

नवरात्र महोत्सव में सुंदर कुण्डलिया हैं आदरणीया सरिता जी..... शिल्प के साथ यदि थोड़ा प्रवाह पर भी ध्यान दिया जाए तो मज़ा दुगुना हो जाए....

हर सपना साकार ,जा कर द्वार पर कर लो......  इसको यदि 'हर सपना साकार, जा कर द्वार पे कर लो' लिखा जाए तो शायद अधिक प्रवाहमय हो जाता है, ऐसा मुझे लगता है..... इसी प्रकार कुछ अन्य स्थान पर भी ध्यान देने की आवश्यकता है..... बधाई इस कृति के लिए.....

Comment by दिलीप कुमार तिवारी on October 9, 2013 at 12:11am

आदरणीया सरिता जी बहुत सुन्दर कुन्डलिया ,,,,बधाई आपको

Comment by Sarita Bhatia on October 8, 2013 at 6:42pm

आदरणीय भाई विजय मिश्र जी हार्दिक अभिनन्दन ,स्नेह बनाए रखें 

Comment by Sarita Bhatia on October 8, 2013 at 6:41pm

आदरणीय गिरिराज शुक्रिया 

Comment by Sarita Bhatia on October 8, 2013 at 6:40pm

आदरणीय  राज बुन्देली जी हार्दिक आभार 

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