For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

घर ही उजाड़ दिया

------------------------

मतलब की दुनिया है

मतलब के रिश्ते हैं

कौन कहे मेले में

आज कहीं अपने हैं

-----------------------

छोटे से पौधे को

बड़ा किया  प्यार दिया

सींचा सम्हाल दिया

फूल दिया फल दिया

तूफ़ान आया जो

घर ही उजाड़ दिया

-----------------------

बिच्छू  के बच्चों ने

बिच्छू को खा लिया

इधर – उधर,  डंक लिये

'खा' लो सिखा दिया

------------------------

एक 'बाज' उड़ता था

'सौ' चिल्लाती थी

अधम को थका -डरा

बच कभी जातीं थीं

'सौ' बाज आज 'राज'

लाख उड़े चिड़िया भी

फंदा है फांस आज

'प्रेम' फंसी , जाती अकेली हैं

----------------------------------

नारी ने जना  जिसे

उसने ही लूट लिया

प्रेम-पूत बंधन को

जड़ से उखाड़ दिया

घोंप छुरा पीछे से

कायर ने नाश  किया

-----------------------------

"मौलिक व अप्रकाशित" 

सुरेन्द्र कुमार शुक्ल 'भ्रमर'५

12.35 पूर्वाह्न -01.01 पूर्वाह्न

कुल्लू हिमाचल

२ ५ .० ८ - १ ३

Views: 612

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by SURENDRA KUMAR SHUKLA BHRAMAR on September 7, 2013 at 11:40pm

प्रिय लड़ी वाला जी ..सच में छिन्न भिन्न होते हुए कमजोर पड़ते रिश्ते का बन रहे हैं ...रचना आप को अच्छी लगी लिखना सार्थक रहा
आभार
भ्रमर ५

Comment by SURENDRA KUMAR SHUKLA BHRAMAR on September 7, 2013 at 11:37pm

प्रिय भंडारी जी रचना के सभी बंद आप को अच्छे लगे और आप ने सराहा मन अभिभूत हुआ
आभार
भ्रमर ५

Comment by SURENDRA KUMAR SHUKLA BHRAMAR on September 7, 2013 at 11:36pm

प्रिय नीरज जी ..इस समय का दर्द छिपाए ये रचना आप के मन को छू सकी सुन ख़ुशी हुयी
आभार
भ्रमर ५

Comment by SURENDRA KUMAR SHUKLA BHRAMAR on September 7, 2013 at 11:35pm

प्रिय 'गीत' जी ..रचना आप को आज के परिप्रेक्ष्य में सटीक लगी सुन ख़ुशी हुयी ..विकृत हो रहा है समाज सच ...
आभार
भ्रमर ५

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on September 5, 2013 at 11:59am

घर ही उजाड़ दिया -

मतलब की दुनिया है

मतलब के रिश्ते हैं

कौन कहे मेले में

आज कहीं अपने हैं - वाह ! बहुत सुन्दर और यथार्थ क्षनिकाए भाई श्री सुरेन्द्र "भ्रमर" जी |हार्दिक बधाई 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on September 5, 2013 at 7:01am

आदरणीय सुरेन्द्र भाई जी , बहुत सुन्दर लगी पूरी रचना !! बधाई !!

नारी ने जना  जिसे

उसने ही लूट लिया

प्रेम-पूत बंधन को

जड़ से उखाड़ दिया

घोंप छुरा पीछे से

कायर ने नाश  किया --------- बहुत खूब !!

Comment by बृजेश नीरज on September 5, 2013 at 6:31am

बहुत ही सुन्दर! आदरणीय भ्रमर जी आपको हार्दिक बधाई! 

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on September 5, 2013 at 3:30am

मतलब की दुनिया है

मतलब के रिश्ते हैं

कौन कहे मेले में

आज कहीं अपने हैं.........बहुत सटीक बात कही

नारी ने जना  जिसे

उसने ही लूट लिया

प्रेम-पूत बंधन को

जड़ से उखाड़ दिया

घोंप छुरा पीछे से

कायर ने नाश  किया........ बिलकुल सच कहा,

बहुत बहुत बधाई आदरणीय सुरेन्द्र जी

Comment by SURENDRA KUMAR SHUKLA BHRAMAR on September 4, 2013 at 11:12pm

आदरणीया अन्नपूर्णा जी ..रचना के बिभिन्न विषय और भाव आप के मन को प्रभावित कर सके आप से प्रोत्साहन पा हर्ष हुआ
आभार
भ्रमर ५

Comment by SURENDRA KUMAR SHUKLA BHRAMAR on September 4, 2013 at 11:10pm

आदरणीया मीना जी ..अभिनन्दन ..रचना के भाव आप के मन को प्रभावित कर सके आप से प्रोत्साहन मिला ख़ुशी हई
आभार
भ्रमर ५

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"स्वागतम"
45 minutes ago
धर्मेन्द्र कुमार सिंह posted a blog post

देवता चिल्लाने लगे हैं (कविता)

पहले देवता फुसफुसाते थेउनके अस्पष्ट स्वर कानों में नहीं, आत्मा में गूँजते थेवहाँ से रिसकर कभी…See More
2 hours ago
धर्मेन्द्र कुमार सिंह commented on धर्मेन्द्र कुमार सिंह's blog post देश की बदक़िस्मती थी चार व्यापारी मिले (ग़ज़ल)
"बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीय,  मिथिलेश वामनकर जी एवं आदरणीय  लक्ष्मण धामी…"
3 hours ago
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185

परम आत्मीय स्वजन, ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 185 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का…See More
Wednesday
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
Wednesday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, प्रस्तुति पर आपसे मिली शुभकामनाओं के लिए हार्दिक धन्यवाद ..  सादर"
Wednesday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

आदमी क्या आदमी को जानता है -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

२१२२/२१२२/२१२२ कर तरक्की जो सभा में बोलता है बाँध पाँवो को वही छिप रोकता है।। * देवता जिस को…See More
Tuesday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
Monday
Sushil Sarna posted blog posts
Nov 6
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आ. भाई सौरभ जी, सादर अभिवादन। बेहतरीन गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
Nov 5
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

देवता क्यों दोस्त होंगे फिर भला- लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

२१२२/२१२२/२१२ **** तीर्थ जाना  हो  गया है सैर जब भक्ति का यूँ भाव जाता तैर जब।१। * देवता…See More
Nov 5

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey posted a blog post

कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ

२१२२ २१२२ २१२२ जब जिये हम दर्द.. थपकी-तान देते कौन क्या कहता नहीं अब कान देते   आपके निर्देश हैं…See More
Nov 2

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service