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नवगीत :: शेष धर संजीव 'सलिल'

नवगीत ::

शेष धर

संजीव 'सलिल'
*
किया देना-पावना बहुत,
अब तो कुछ शेष धर...
*
आया हूँ जाने को,
जाऊँगा आने को.
अपने स्वर में अपनी-
खुशी-पीर गाने को.

पिया अमिय-गरल एक संग
चिंता मत लेश धर.
किया देना-पावना बहुत,
अब तो कुछ शेष धर...
*
कोशिश का साथी हूँ.
आलस-आराती हूँ.
मंजिल है दूल्हा तो-
मैं भी बाराती हूँ..

शिल्प, कथ्य, भाव, बिम्ब, रस.
सर पर कर केश धर.
किया देना-पावना बहुत,
अब तो कुछ शेष धर...
*
शब्दों का चाकर हूँ.
अर्थों की गागर हूँ.
मानो ना मानो तुम-
नटवर-नटनागर हूँ..

खुद कर साधन तू
साध्य 'सलिल' देश धर.
किया देना-पावना बहुत,
अब तो कुछ शेष धर...
*******
*

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Comment by sanjiv verma 'salil' on December 23, 2010 at 2:56pm
dhanyavad.

सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Rana Pratap Singh on November 14, 2010 at 8:20am
बहुत सुन्दर
खुद को कर साधन तू
साध्य 'सलिल' देश धर.
किया देना-पावना बहुत,
अब तो कुछ शेष धर...
Comment by sanjiv verma 'salil' on November 11, 2010 at 5:42pm
बहुत-बहुत आभार.
'खुद कर साधन तू', के स्थान पर 'खुद को कर साधन तू' पढ़िये.

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