For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

है ज़मी पर शोर कितना [ग़ज़ल]

है ज़मी पर शोर कितना , आसमाँ खामोश है ।

मन में लाखों हलचलें हैं , आत्मा खामोश है ।

ना कभी करता सवाल , ना कभी देता जवाब ,

हमको देकर ज़िन्दगी , परमात्मा खामोश है ।

आदमीयत सड़ रही , लुट रहा बागे जहाँ ,

पर कहीं चुप चाप बैठा , बागबाँ खामोश है ।

चाहतें दुनिया की ज्यादा , देर तक चलती नहीं,

ताज़ की बरबादियों पर , शाहजहाँ खामोश है ।

जो हकीकत थे कभी, बनकर फ़साने रह गए ,

वक्त के हाथों लुटा , हर कारवाँ खामोश है ।

देके अपनी ज़िन्दगी, हमने बनाये थे कभी,
आज मय्यत पर मेरी , वो हर मकाँ  खामोश है ।

देवता जो थे गुनाहों , के सफ़ाई दे रहे ,

उसकी महफ़िल में खडा, हर बेगुनाह खामोश है ।

व्यापार चलते हैं यहाँ , बाज़ार चलते हैं यहाँ ,

पर दिलों में प्यार की, हर दास्ताँ खामोश है ।

मौलिक व अप्रकाशित

नीरज

Views: 943

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Neeraj Nishchal on July 26, 2013 at 6:31pm

आदरणीय वीनस जी
कोशिश कर रहा ग़ज़ल की राह पर सभल कर चलने की ।
अभी तो ग़ज़ल कक्षा भी ज्वाइन कर ली है ........
आगे के प्रयास में ध्यान रखने की कोशिश करूँगा ।
बहुत बहुत आभार ।

Comment by वीनस केसरी on July 26, 2013 at 3:39am

नीरज जी,
किसी रचना को ग़ज़ल होने के लिए रचना में मूल रूप से जिन तत्वों का होना अनिवार्य होता है उनके प्रति आपको और आग्रही होना होगा ...
शुभकामनाएं

Comment by Neeraj Nishchal on July 24, 2013 at 10:14pm

अभिषेक भाई बहुत बहुत आभार ।

Comment by Neeraj Nishchal on July 24, 2013 at 10:12pm

आदरणीय आशुतोष जी तहे दिल से शुक्रिया ।

Comment by Neeraj Nishchal on July 24, 2013 at 10:10pm

केतन परमार जी बहुत बहुत आभार

Comment by Neeraj Nishchal on July 24, 2013 at 9:50pm

आदरणीय राजेश जी
आपके सुझावों के लिए बहुत बहुत अनुग्रह ....
मै पूरी कोशिश करूंगा कि ऐसा कर पाऊं ।

Comment by Neeraj Nishchal on July 24, 2013 at 9:37pm

अनुपमा जी बहुत बहुत धन्यवाद ।

Comment by Neeraj Nishchal on July 24, 2013 at 9:32pm

अमन कुमार जी बहुत बहुत शुक्रिया ।

Comment by Neeraj Nishchal on July 24, 2013 at 9:30pm

बहुत बहुत आभार केवल प्रसाद जी ।

Comment by Neeraj Nishchal on July 24, 2013 at 9:28pm

बहुत बहुत अनुग्रह कुन्ती जी ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186

ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 186 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का मिसरा आज के दौर के…See More
22 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"  क्या खोया क्या पाया हमने बीता  वर्ष  सहेजा  हमने ! बस इक चहरा खोया हमने चहरा…"
23 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"सप्रेम वंदेमातरम, आदरणीय  !"
23 hours ago
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

Re'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
Saturday
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"स्वागतम"
Friday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आदरणीय रवि भाईजी, आपके सचेत करने से एक बात् आवश्य हुई, मैं ’किंकर्तव्यविमूढ़’ शब्द के…"
Friday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
Wednesday
anwar suhail updated their profile
Dec 6
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

न पावन हुए जब मनों के लिए -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

१२२/१२२/१२२/१२****सदा बँट के जग में जमातों में हम रहे खून  लिखते  किताबों में हम।१। * हमें मौत …See More
Dec 5
ajay sharma shared a profile on Facebook
Dec 4
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"शुक्रिया आदरणीय।"
Dec 1
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी, पोस्ट पर आने एवं अपने विचारों से मार्ग दर्शन के लिए हार्दिक आभार।"
Nov 30

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service