For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

मैं क्या लिखूँ

कहाँ से पकड़ू

कहाँ से जोड़ू

न भाव है 

न आधार है 

अंतहीन है  सिलसिला 

गुजरता जाता है 

सब कुछ इस जहां मे

निराकार  है, निराधार है 

लालसाए हैं 

न ठिकाना है, न ठहरना है 

फैले हुये शब्दों के जंजाल 

महत्वाकांक्षाएं, मौलिकता 

सब दिखावा है 

क्या लिखूँ 

यह व्यथा की कथा है 

शब्दों का सूनापन है 

क्या लिखूँ 

न भाव हैं ... न ही आधार है .... 

मौलिक व अप्रकाशित 

Views: 367

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Amod Kumar Srivastava on July 11, 2013 at 9:55pm

बहुत बहुत आभार आदरणीय महिमा श्री जी, गीतिका वेदिका जी, मुकर्जी जी, जितेंद्र जी अपने अपने आशीर्वचन बनाए रखिएगा ..... धन्यवाद ....

Comment by MAHIMA SHREE on July 7, 2013 at 3:30pm

अंतर्द्वंद की अच्छी अभिवयक्ति .. बधाई आपको

Comment by वेदिका on July 7, 2013 at 6:26am

"क्या करूं और क्या न करूं" की स्थिति अच्छे से दर्शायी है! 

Comment by coontee mukerji on July 6, 2013 at 4:45pm

इंसान जब किंकर्तव्यमूढ़ हो जाता है तब उसके सम्मुख यहीं परिस्थिति आ जाती है . बहुत अच्छी अभिव्यक्ति की है.

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on July 6, 2013 at 3:17pm
आदरणीय..अमोद जी, व्यथा की परिकाष्ठा बतलाती हुई रचना में, कुछ नहीं कहते हुय़े भी ब हुत कुछ स्पष्ट कर दिया "" फै लेहुयेशब्दों के जंजाल
महत्वाकांक्षाएं, मौलिकता

सब दिखावा है

क्या लिखूँ

यहव्यथा की कथा है

शब्दों का सूनापन है""......सुंदर रचना के प्रस्तुतिकरण पर हार्दिक बधाई

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"यूॅं छू ले आसमाॅं (लघुकथा): "तुम हर रोज़ रिश्तेदार और रिश्ते-नातों का रोना रोते हो? कितनी बार…"
Tuesday
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"स्वागतम"
Apr 29
Vikram Motegi is now a member of Open Books Online
Apr 28
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .पुष्प - अलि

दोहा पंचक. . . . पुष्प -अलिगंध चुराने आ गए, कलियों के चितचोर । कली -कली से प्रेम की, अलिकुल बाँधे…See More
Apr 28
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम मेठानी जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दयाराम जी, सादर आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई संजय जी हार्दिक आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. रिचा जी, हार्दिक धन्यवाद"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दिनेश जी, सादर आभार।"
Apr 27
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय रिचा यादव जी, पोस्ट पर कमेंट के लिए हार्दिक आभार।"
Apr 27
Shyam Narain Verma commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: ग़मज़दा आँखों का पानी
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
Apr 27

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service