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आदरणीय एडमिन महोदय,

मंच पर हर माह छंदोत्सव का आयोजन होता है, जिसका उद्देश्य ही सभी रचनाकारों का परस्पर सनातनी छंद सीखना और सिखाना है... जिसे सभी सदस्य एक साहित्यिक कार्यशाला की तरह लेते हैं..आदरणीय, लेकिन इस कार्यशाला का उद्देश्य तभी सार्थकता पायेगा, जब हर रचनाकार अपनी प्रविष्टि की हर त्रुटि को जान कर एक दूसरे के सहयोग से उसे सुधार सके.

जो सुधि रचनाकार सुधारना चाहते हैं, वो हर हाल में सीख कर आगे बढ़ जाते है, पर कई रचनाकार अपनी एक रचना की त्रुटियों को ही नजरअंदाज कर एक के बाद दूसरी, फिर तीसरी भी प्रविष्टि प्रस्तुत कर देते हैं....तीसरे दिन की समाप्ति के बाद जब प्रविष्टियों का संकलन पड़ने को मिलता है, उसमें रचनाएँ त्रुटियुक्त ही संकलित हो जाती है..कोइ नवरचनाकार यदि उदाहरण के तौर पर इस संकलन को पड़ता है.. तो छंद विधान पर कुछ कुछ गलत उदाहरण भी उसे पड़ने को मिलते हैं..

इसलिए,  मेरा यह सुझाव है, कि संकलन में उन्हीं प्रविष्टियों को शामिल किया जाना चाहिए जिनका शिल्प पूर्णतः निर्दोष हो.

अब क्योंकि यह छंदोत्सव है, प्रतियोगिता नहीं है, इसलिए रचनाकारों द्वारा अपनी त्रुटियों को तीसरे दिन की समाप्ति से पहले एडिट करवा लिया जाना चाहिए, ताकि पूर्णतः शुद्ध संकलन सबके सामने एक उदाहरण के तौर पर प्रस्तुत हो सके.

सादर.

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//रचनाकारों द्वारा अपनी त्रुटियों को तीसरे दिन की समाप्ति से पहले एडिट करवा लिया जाना चाहिए, ताकि पूर्णतः शुद्ध संकलन सबके सामने एक उदाहरण के तौर पर प्रस्तुत हो सके.//

डॉ. प्राची, जानने वाले इस तथ्य को जानते हैं और तदनुरूप सुधार को स्वीकार कर अशुद्ध या सलाह पायी रचनाओं में मोडिफ़िकेशन करवाते भी हैं. ऐसा मुशायरे और लाइव काव्य महाउत्सव में होता ही है. इस आयोजन में भी होता है. यह अवश्य है कि जब यह आयोजन प्रतियोगिता की तरह आयोजित होता था तो किसी सलाह या सुझाव के अनुसार प्रविष्टियों में किसी परिवर्तन की मनाही थी.

आपका अन्य सुझाव भी समीचीन है.

सादर

प्रिय प्राची जी आपका सुझाव बिलकुल सही है |

आपका सुझाव उपयुक्त है।

अनुमोदन

छंदोत्सव की प्रविष्टियों में से सिर्फ निर्दोष रचनाओं के संकलन किये जाने के सुझाव पर आप सभी सुधिजनों के अनुमोदन हेतु सादर आभार.

सहमत हूँ डॉ प्राची जी !

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