For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल : सोन मछली आपको रोहू नज़र आने लगे

बहर : २१२२ २१२२ २१२२ २१२

----------------------------

जिस घड़ी बाजू मेरे चप्पू नज़र आने लगे

झील सागर ताल सब चुल्लू नज़र आने लगे

 

झुक गये हम क्या जरा सा जिंदगी के बोझ से

लाट साहब को निरा टट्टू नज़र आने लगे

 

हर पुलिस वाला अहिंसक हो गया अब देश में

पाँच सौ के नोट पे बापू नज़र आने लगे

 

कल तलक तो ये नदी थी आज ऐसा क्या हुआ

स्वर्ग जाने को यहाँ तंबू नज़र आने लगे

 

भूख इतनी भी न बढ़ने दीजिए मेरे हुजूर

सोन मछली आपको रोहू नज़र आने लगे

 ---------------------

स्वरचित एवं अप्रकाशित

Views: 780

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by धर्मेन्द्र कुमार सिंह on April 1, 2013 at 7:25pm

बहुत बहुत शुक्रिया संदीप साहब

Comment by धर्मेन्द्र कुमार सिंह on April 1, 2013 at 7:24pm

rajesh kumari जी, बहुत बहुत शुक्रिया मोहतरमा। स्नेह यूं ही बनाये रखें। ग़ज़ल में घमंडी शेर भी चल जाते हैं :)

Comment by धर्मेन्द्र कुमार सिंह on April 1, 2013 at 7:22pm

विजय मिश्र जी, बहुत बहुत धन्यवाद जनाब, आगे भी स्नेह यूँ ही बना रहे।

Comment by धर्मेन्द्र कुमार सिंह on April 1, 2013 at 7:22pm

वीनस केसरी जी, जनाब आपको पसंद आई तो मन को थोड़ा सुकून मिला। बहुत बहुत धन्यवाद

Comment by धर्मेन्द्र कुमार सिंह on April 1, 2013 at 7:21pm

सौरभ जी आपके स्नेह से अभिभूत हूँ। स्नेह बनाये रखें। बहुत बहुत धन्यवाद

Comment by धर्मेन्द्र कुमार सिंह on April 1, 2013 at 7:19pm

बहुत बहुत धन्यवाद आशीष नैथानी 'सलिल' जी

Comment by धर्मेन्द्र कुमार सिंह on April 1, 2013 at 7:19pm

बहुत बहुत धन्यवाद बृजेश कुमार सिंह जी 

Comment by धर्मेन्द्र कुमार सिंह on April 1, 2013 at 7:16pm

बहुत बहुत शुक्रिया Dr.Prachi Singh जी

Comment by धर्मेन्द्र कुमार सिंह on April 1, 2013 at 7:15pm

 बहुत बहुत धन्यवाद Laxman Prasad Ladiwala जी,रोहू एक मछली है जो खाई जाती है।

Comment by SANDEEP KUMAR PATEL on April 1, 2013 at 2:50pm

वाह वाह आदरणीय धर्मेन्द्र सर जी सादर प्रणाम
बहुत ही खूबसूरत ग़ज़ल क्या बात है
इक इक शेर मे आपकी छाप साफ नज़र आती है
हर शेर पे ढेरों दाद क़ुबूल फरमाइए

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Shyam Narain Verma commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: ग़मज़दा आँखों का पानी
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
2 hours ago
Shyam Narain Verma commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: उम्र भर हम सीखते चौकोर करना
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
2 hours ago
Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दिनेश जी, बहुत धन्यवाद"
2 hours ago
Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम जी, बहुत धन्यवाद"
2 hours ago
DINESH KUMAR VISHWAKARMA replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम जी सादर नमस्कार। हौसला बढ़ाने हेतु आपका बहुत बहुत शुक्रियः"
2 hours ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"बहुत बहुत धन्यवाद आदरणीय "
3 hours ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"जी ठीक है  मशविरा सब ही दे रहे हैं पर/ मगर ध्यान रख तेरे काम का क्या है ।"
3 hours ago
DINESH KUMAR VISHWAKARMA replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय संजय शुक्ला जी सादर अभिवादन स्वीकार करें। अच्छी ग़ज़ल हेतु बधाई।"
3 hours ago
DINESH KUMAR VISHWAKARMA replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय मिथिलेश जी सादर नमस्कार। बहुत बहुत आभार आपका।"
3 hours ago
DINESH KUMAR VISHWAKARMA replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"सादर नमस्कार। बहुत बहुत शुक्रियः आपका"
3 hours ago
DINESH KUMAR VISHWAKARMA replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय अमित जी सादर अभिवादन स्वीकार करें। अच्छी ग़ज़ल हेतु बधाई आपको।"
3 hours ago
DINESH KUMAR VISHWAKARMA replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"सम्माननीय ऋचा जी । बहुत बहुत आभार"
3 hours ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service