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हंसी ठिठोली

सबको मुबार‍क 

रंगों की होली ।

 

 बढ़ता मेल 

कोई गोरा न काला 

समझो न खेल ।

 

सावन बीता

तुम न आये प्रिये 

फागुन आया ।

 

होली का जोश

मन हुआ मयूर 

खोना न होश ।

 

होली का रंग

एक से मिले एक 

राजा न रंक ।

 

भीगी चुनर 

गोरी खड़ी लजाये 

झुकी नज़र ।

 

बुरा न मानो

होली की हुड़दंग 

अपना जानो ।

 

रंगों से सजे 

मस्ती में सराबोर

बच्चे क्या बूढ़े ।

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Comment

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Comment by दिगंबर नासवा on March 31, 2013 at 1:02pm

वाह जी वाह ... मधुर हाइकू ...

Comment by अरुन 'अनन्त' on March 31, 2013 at 11:37am

सभी के सभी हाइकू बेहद उम्दा हैं आदरणीय बहुत बहुत बधाई

Comment by नादिर ख़ान on March 30, 2013 at 10:20pm

आदरणीय

बृजेश कुमार जी, डॉ प्राची जी, सौरभ पांडे जी, लक्ष्मण प्रसाद जी 

आप सब ने रचना को सराहा बहुत शुक्रिया ।

आभार ..

Comment by बृजेश नीरज on March 30, 2013 at 9:47pm

आ० नादिर खान जी बहुत सुन्दर हायकू !


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on March 30, 2013 at 2:44pm

बहुत सुन्दर हायकू आ० नादिर खान जी 

हर हायकू ने बहुत खूबसूरत शब्द चित्र उकेरा है... बहुत बहुत बधाई 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on March 29, 2013 at 11:54pm

होली के अवसर पर आपकी हाइकू ने खूब रंग जमाया है, नादिर भाई.

बधाई स्वीकारें

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on March 29, 2013 at 10:27am

होली पर सुन्दर हाइकू की लिए बधाई श्री नादिर खान भाई, 

 होली त्यौहार 

 रंगों से सरोबार 

 लाये खुशिया - आपको भी होली की हार्दिक शुभ कामनाए 

कृपया ध्यान दे...

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