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ये रिश्तों की अनमोल दुनिया .....

ये रिश्तों की दुनिया है बड़ी ही निराली
प्यार और विश्वास से खिलती है ये क्यारी
त्याग और समर्पण मांगे ये दुनिया हमारी
खुशियों में लगती है ये दुनिया जन्नत हमारी
गम के सायों में हौसला देती है ये दुनिया हमारी
ये रिश्तों की दुनिया है बड़ी ही निराली

अपनों के संग सजती है ये दुनिया हमारी
प्यार से महकती है ये दुनिया हमारी
विश्वास से मजबूत होती ये दुनिया हमारी
वैर - भावना नहीं है इसके लिए हितकारी
द्वेष भाव से जल जाती है ये दुनिया हमारी

बहुत याद आती है ये रिश्तो की दुनिया निराली
सुख हो जाये यहाँ दुगना और गम हो जाये कम
ऐसी है हमारी रिश्तों की ये दुनिया निराली


अपनों के संग महकती है ये रिश्तों की दुनिया निराली

हर पल बढती है ये दुनिया निराली
रिश्तों की होती है ये अनमोल कहानी
अपनों का अपनापन है इसकी निशानी
कांच से भी नाजुक होती है ये रिश्तो की दुनिया
जरा सी भूल से बिखर जाती है ये रिश्तों की दुनिया
हमारी ज़िन्दगी में बहुत अहमियत रखती है रिश्तों की दुनिया

मौलिक एवं अप्रकाशित

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Comment

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Comment by Parveen Malik on February 13, 2013 at 12:28pm

आदरणीय डॉ साहब एवं सौरभ पाण्डेय जी हम कोशिश करेंगे अच्छा लिखने की आप बस ऐसे ही हौसला बढ़ाते रहें...

धन्यवाद...


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on February 12, 2013 at 11:08pm

आपका स्वागत है आदरणीया. विश्वास है आपकी मंच पर उपस्थिति रचनाकर्म के नये आयाम देखेगी.

Comment by Dr.Ajay Khare on February 12, 2013 at 2:49pm

MALIK MAM RISHTO KI SAMICHHA KA SUNDER TAREEKA BADHAI

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