For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

अफ़सोस है दुनिया में दीवाने कहाँ जायें.
शम्मा से भला बचकर परवाने कहाँ जायें.

यातना वंचना असह्य हो,
सहचरी वेदना बनी सदा.
निर्जन पथ निर्मम मीत मिला,
व्याकुल करती मदहोश अदा.
उलझन में पड़ा जीवन सुलझाने कहाँ जायें.
शम्मा से भला बचकर परवाने कहाँ जायें.

पल में विचलित कर देती हैं,
ये प्यार मुहब्बत की बातें.
नयनों मे कोष अश्रुओं का,
क्यूँ काटे नहीं कटती रातें.
राँझा की तरह बोलो मिट जाने कहाँ जायें..
शम्मा से भला बचकर परवाने कहाँ जायें.

विधु रश्मि शूल सी लगती है,
उर अबुध शलभ सम छला गया.
मन व्यथित थकित तन मूक नयन
मनमीत निठुर हो चला गया.
क्रन्दन जो करे सरगम फिर गाने कहाँ जायें..
शम्मा से भला बचकर परवाने कहाँ जायें...
*************************************************************
शैलेन्द्र सिंह “मृदु”

Views: 497

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by CA (Dr.)SHAILENDRA SINGH 'MRIDU' on January 12, 2013 at 12:24pm

आदरणीय आशीष नैथानी 'सलिल' जी प्रयास को सराहने हेतु बहुत बहुत आभार

Comment by आशीष नैथानी 'सलिल' on January 12, 2013 at 12:02pm

वाह सुन्दर रचना भाई !!!

Comment by CA (Dr.)SHAILENDRA SINGH 'MRIDU' on January 12, 2013 at 12:01pm

आदरणीया Anwesha Anjushree मैम सराहना हेतु कोटिशः आभार

Comment by CA (Dr.)SHAILENDRA SINGH 'MRIDU' on January 12, 2013 at 12:00pm

आदरणीय PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA सर स्नेहिल प्रतिक्रिया के लिए बहुत बहुत आभार

Comment by CA (Dr.)SHAILENDRA SINGH 'MRIDU' on January 12, 2013 at 11:58am

आदरणीय SANDEEP KUMAR PATEL जी सराहना के लिए बहुत बहुत आभार

Comment by CA (Dr.)SHAILENDRA SINGH 'MRIDU' on January 12, 2013 at 11:56am

आदरणीया प्राची मैम सराहना हेतु आभार

लिख डाली थी प्रेम कहानी कभी बड़े अरमानों से.

नहीं क्लेश किंचित था मुझको विस्फोटी सामानों से.

              और अब आपके बहुमूल्य सुझाव पर एक कविता आक्रोश..................अगली ब्लॉग पोस्ट

देश व्यथित हो गया आज जब अपनों औ बेगानों से.

टीस उठी तो कलम उठाई निकले तीर कमानों से..

                 सादर

Comment by Anwesha Anjushree on January 11, 2013 at 7:02pm

Virah ki vedna....achchha prayas...likhte rahe

Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on January 11, 2013 at 4:09pm

स्नेही मृदु जी,

सादर 

सुन्दर भाव , रचना हेतु बधाई. 

Comment by SANDEEP KUMAR PATEL on January 11, 2013 at 3:51pm

बहुत सुन्दर बंधुवर म्रदु जी बधाई हो इस रचना के लि


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on January 11, 2013 at 12:32pm

भावों को सुन्दर अभिव्यक्ति शैलेन्द्र जी ....इस हेतु हार्दिक बधाई.

पर आज विश्व के साथ साथ देश जिन ज्वलंत समस्याओं से जूझ रहा है उसमें दीवानगी को एक सही दिशा देने की जरूरत है, न कि परवानों की तरह शम्मा के पीछे भटकते रहने की.

यदि युवा शक्ति इन व्यर्थ बातों में अपना कीमती वक़्त और ऊर्जा जाया न कर इसे सही दिशा दे, तो निश्चय ही प्रवाह की दिशा उलट दे.

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .प्रेम
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी सृजन पर आपकी मनोहारी प्रशंसा का दिल से आभार आदरणीय"
yesterday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .मजदूर

दोहा पंचक. . . . मजदूरवक्त  बिता कर देखिए, मजदूरों के साथ । गीला रहता स्वेद से , हरदम उनका माथ…See More
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post कहूं तो केवल कहूं मैं इतना: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय सुशील सरना जी मेरे प्रयास के अनुमोदन हेतु हार्दिक धन्यवाद आपका। सादर।"
yesterday
Sushil Sarna commented on मिथिलेश वामनकर's blog post कहूं तो केवल कहूं मैं इतना: मिथिलेश वामनकर
"बेहतरीन 👌 प्रस्तुति सर हार्दिक बधाई "
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .मजदूर
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी सृजन पर आपकी समीक्षात्मक मधुर प्रतिक्रिया का दिल से आभार । सहमत एवं…"
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .मजदूर
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन आपकी मनोहारी प्रशंसा का दिल से आभारी है सर"
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया. . .
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी सृजन आपकी स्नेहिल प्रशंसा का दिल से आभारी है सर"
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया. . .
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय"
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक ..रिश्ते
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी के भावों को आत्मीय मान से सम्मानित करने का दिल से आभार आदरणीय"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: ग़मज़दा आँखों का पानी
"आ. भाई आजी तमाम जी, अभिवादन। अच्छी गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: उम्र भर हम सीखते चौकोर करना
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। उत्तम गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on AMAN SINHA's blog post काश कहीं ऐसा हो जाता
"आदरणीय अमन सिन्हा जी इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई स्वीकार करें। सादर। ना तू मेरे बीन रह पाता…"
Sunday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service