For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक ३०

परम आत्मीय स्वजन,

 

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" के ३० वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है|इस बार का तरही मिसरा मुशायरों के मशहूर शायर जनाब अज्म शाकिरी साहब की एक बहुत ही ख़ूबसूरत गज़ल से लिया गया है| तो लीजिए पेश है मिसरा-ए-तरह .....

 

"रात अंगारों के बिस्तर पे बसर करती है "

२१२२ ११२२ ११२२ २२

फाइलातुन फइलातुन  फइलातुन फेलुन 

(बह्र: रमल मुसम्मन मखबून मुसक्कन.)
 
रदीफ़ :- करती है 
काफिया :- अर (दर, घर सफर, सिफर, ज़हर, ज़बर, नगर, इधर, उधर आदि)
विशेष:
अंतिम रुक्न मे २२ की जगह ११२ भी लिया जा सकता है| हालांकि इस रदीफ मे यह छूट संभव नहीं है| 

मुशायरे की शुरुआत दिनाकं २८ दिसंबर दिन  शुक्रवार लगते ही हो जाएगी और दिनांक ३० दिसंबर  दिन इतवार समाप्त होते ही मुशायरे का समापन कर दिया जायेगा | 

अति आवश्यक सूचना :-

  • "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" के इस अंक से प्रति सदस्य अधिकतम दो गज़लें ही प्रस्तुत की जा सकेंगीं |
  • एक दिन में केवल एक ही ग़ज़ल प्रस्तुत करें
  • एक ग़ज़ल में कम से कम ५ और ज्यादा से ज्यादा ११ अशआर ही होने चाहिएँ.
  • तरही मिसरा मतले में इस्तेमाल न करें
  • शायरों से निवेदन है कि अपनी रचनाएँ लेफ्ट एलाइन, काले रंग एवं नॉन बोल्ड टेक्स्ट में ही पोस्ट करें.  
  • वे साथी जो ग़ज़ल विधा के जानकार नहीं, अपनी रचना वरिष्ठ साथी की इस्लाह लेकर ही प्रस्तुत करें.
  • नियम विरूद्ध, अस्तरीय ग़ज़लें और बेबहर मिसरों वाले शेर बिना किसी सूचना से हटाये  जा सकते हैं जिस पर कोई आपत्ति स्वीकार्य नहीं होगी. . 

मुशायरे के सम्बन्ध मे किसी तरह की जानकारी हेतु नीचे दिये लिंक पर पूछताछ की जा सकती है....

 

फिलहाल Reply Box बंद रहेगा जो  २८ दिसंबर दिन  शुक्रवार लगते ही खोल दिया जायेगा, यदि आप अभी तक ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार से नहीं जुड़ सके है तो www.openbooksonline.com पर जाकर प्रथम बार sign up कर लें | 


मंच संचालक 
राणा प्रताप सिंह 
(सदस्य प्रबंधन समूह) 
ओपन बुक्स ऑनलाइन

Views: 9768

Replies are closed for this discussion.

Replies to This Discussion

आदरणीय गणेश सर जी आपको ग़ज़ल पसंद आई मेरा प्रयास सफल हुआ, ओ बी ओ मंच से इतना स्नेह मिलता है कि ह्रदय भर जाता है यह स्नेह हूँ ही बनाये रखें. सादर

वाह अरुण जी, बहुत सुन्दर ग़ज़ल कही है 

इन्तहां याद की जब पार करे हद यारों,
रात अंगारों के बिस्तर पे बसर करती है,.....बहुत अलग गिरह लगाई है 

मुश्किलें दूर कहीं छोड़ मुझे ना जाएँ,
जिंदगी मौत के कदमो पे सफ़र करती है,.................बहुत सुन्दर बात 

सामने प्यार बहुत और बुराई पीछे,
इक यही बात तेरी दिल पे असर करती है.........बहुत खूब 

इस बढ़िया ग़ज़ल के लिए हार्दिक दाद पेश है 

दीदी नमस्कार कल से आपके टिप्पणियों की प्रतीक्षा कर रहा हूँ अब जाके समाप्त हुई है, दीदी से बधाई मिले एक भाई को और क्या चाहिए, तहे दिल से आभार दी शुक्रिया.

सुन्दर गजल अरुण जी सादर, बधाई स्वीकारें.

हार्दिक आभार आदरणीय अशोक सर

बहुत खूबसूरत ग़ज़ल कही है अरुण भाई

दिल से ढेरों दाद क़ुबूल करें
भाई क्या बात है

आइये मित्रवर आपका इंतज़ार था थोडा समय निकालिए आपकी अनुपस्थिति ओ बी ओ पर खलती है, आप रहते हैं तो हौंसला और उत्साह बना रहता है. आपको ग़ज़ल पसंद आई तहे दिल से आभार.

bahut khoobsoorat ghazal ke liye bahut bahut mubarakbad arun ji

बात जब भी हो सलीके से तो घर करती है,
अच्छे-अच्छों के वो जेहन में असर करती है।

हमने देखा है यहाँ लोकतंत्र के घर में,
सियासत,हुक्मरां के साथ डिनर करती है!


बात उठती है जहाँ भी ये शाने-औरत पे,
शर्म भी शर्म से यूँ नीची नज़र करती है।

जिनकी नस नस में लहू करता है बाँकी बातें,
वही कौमे तो यार बढ़ के ग़दर करती है।

कोई भी हस्ती हो वो रह नहीं सकती कायम,
जाने-अनजाने जब वो बात लचर करती है।

होगी जब सुबह तो सब कुछ ही सुहाना होगा,
रात अंगारों के बिस्तर पे बसर करती है।
-----------------------------------
अविनाश बागडे

क्या कहने
वाह वा
शानदार गिरह
और बेहतरीन अशआर

मतला तो आपने वो लिख दिया है कि मैं अपनी ग़ज़ल पोस्ट करूँगा तो आप मुझ पर यह आरोप लगा सकते हैं कि मैंने आपका मतला ही चुरा लिया है .... हा हा हा

वीनस केसरी जी ये मेरी खुशकिस्मती है की आप ये बात कह रहे है।शुक्रिया जनाब।

 वाह आदरणीय वाह आपने तो महफ़िल ही लूट ली गजब के शेर हैं बिलकुल नए अंदाज में मजा आ गया भाई अविनाश जी वाह 

RSS

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sushil Sarna posted a blog post

दोहा दशम. . . . उल्फत

दोहा दशम - ..... उल्फतअश्कों से जब धो लिए, हमने दिल के दाग ।तारीकी में जल  उठे, बुझते हुए चिराग…See More
22 hours ago
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-171

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
23 hours ago
Sushil Sarna commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहा दसक - सपने
"उत्तम प्रस्तुति सर हार्दिक बधाई"
Monday
Sushil Sarna commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहा दसक -वाणी
"वाह बेहतरीन 👌 प्रस्तुति सर हार्दिक बधाई"
Monday
Sushil Sarna commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहा दसक- झूठ
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी झूठ पर आधारित सुन्दर दोहावली का सृजन हुआ है ।हार्दिक बधाई ।सर क्या दोहे में…"
Monday
Sushil Sarna posted blog posts
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted blog posts
Sunday
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

दोहा चतुर्दशी (महाकुंभ)

दोहा चतुर्दशी (महाकुंभ)-----------------------------देवलोक भी जोहता,चकवे की ज्यों बाट।संत सनातन संग…See More
Sunday
सुरेश कुमार 'कल्याण' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post दोहा अष्टक (प्रकृति)
"बहुत बहुत धन्यवाद आदरणीय मुसाफ़िर जी "
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post दोहा अष्टक (प्रकृति)
"आ. भाई सुरेश जी, सादर अभिवादन। उत्तम दोहे रचे हैं हार्दिक बधाई।"
Feb 6
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post छः दोहे (प्रकृति)
"आ. भाई सुरेश जी, सादर अभिवादन। उत्तम दोहे रचे हैं हार्दिक बधाई।"
Feb 6
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post शर्मिन्दगी - लघु कथा
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी प्रस्तुति को मान देने का दिल से आभार आदरणीय जी ।हार्दिक आभार "
Feb 5

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service