For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

आदरेया प्राची जी के द्वारा दिए गए निर्देशों का पालन करते हुए मैंने फिर कुछ हाइकु लिखने का प्रयास किया है, आशा करता हूँ की आप सभी मार्गदर्शन करेंगे.

 

मित्र मित्रता
शिव भोले श्री राम
सत्य सत्यता

गंगा स्नान
सुन्दर हो विचार
अंतर ध्यान

व्याकुल मन
अशांत सरोवर
राम भजन

कर्म प्रधान
सम्पूर्ण परमात्मा
आत्म सम्मान

भीषण ज्वर
होनी हो अनहोनी
श्री गिरधर

गीता का सार
लोक व परलोक
जीत में हार

जग कल्याण
ब्रम्हा - विष्णु - महेश
आत्मा है प्राण

Views: 439

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by अरुन 'अनन्त' on December 17, 2012 at 11:59am

आभार आदरणीय अशोक सर

Comment by Ashok Kumar Raktale on December 17, 2012 at 9:21am

अरुण जी

               सादर, सुन्दर प्रयास किया है हाइकू पर आपने बधाई स्वीकारें.खामियों पर मिली सलाह पर अवश्य ध्यान दें.

Comment by अरुन 'अनन्त' on December 9, 2012 at 10:56am

आदरणीय बागी सर तहे दिल से आभार बिलकुल ठीक रहेगा


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on December 9, 2012 at 10:28am

गंगा स्नान.......एक वर्ण कम है ......गंगा में स्नान ....क्या यह ठीक होगा |

हाईकू में पहला शर्त कि तीनों पक्तियां स्वतंत्र हो ..उसका पालन निश्चित रूप से किया गया है |

जैसा कि डॉ प्राची जी ने भी कहा , कथ्य कई जगहों पर स्पष्ट होकर नहीं उभर रहें |

बहरहाल इस प्रयास पर बहुत बहुत बधाई |

Comment by अरुन 'अनन्त' on December 8, 2012 at 11:20am

आदरेया प्राची जी सराहना व हौंसला आफजाई हेतु अनेक-2 धन्यवाद मुझे भी खामियां प्रतीत हो रही हैं मात्रा भी ज्यादा है दुसरे हाइकु में, इसी तरह के स्नेह व सहयोग की आकांक्षा आपसे सदैव रहेगी आपका अनेक-2 धन्यवाद.


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on December 7, 2012 at 6:29pm

प्रिय अरुण जी,

आपनें शिल्प को पकड़ा , और हाइकू लिखे, उच्च भावों को शब्द देने का यह प्रयास सराहनीय है, परन्तु इस बार आपके कथ्य बहुत स्पष्ट प्रतीत नहीं होते..

दूसरे हाइकू की प्रथम पंक्ति की मात्रा गणना दुबारा कर लें.

ओबीओ पर ही हाइकू विधा पर एक विस्तृत आलेख भी उपलब्ध है, आप उसे भी ज़रूर पड़ें. 

सभी सदस्यों का परस्पर सीखना सिखाना ही इस मंच की परिपाटी है.. 

हार्दिक शुभकामनाएं 

Comment by अरुन 'अनन्त' on December 7, 2012 at 12:13pm

ठीक करने हेतु बहुत-2 शुक्रिया आ. एडमिन महोदय.

Comment by अरुन 'अनन्त' on December 7, 2012 at 11:45am

आदरणीय एडमिन महोदय आपसे गुजारिश है की मैंने दो जगह लिखने में गलती की है कृपया ठीक कर दें

1. मैं फिर से कुछ हाइकु लिखने का प्रयास किया है में "मैं" की जगह मैंने कर दें
2. गीता का सार
लोक व परलोक
गीत में हार
गीत की जगह जीत कर दें 

सादर
अरुन शर्मा

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on मिथिलेश वामनकर's blog post कहूं तो केवल कहूं मैं इतना: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय मिथिलेश भाई, निवेदन का प्रस्तुत स्वर यथार्थ की चौखट पर नत है। परन्तु, अपनी अस्मिता को नकारता…"
14 hours ago
Sushil Sarna posted blog posts
yesterday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार ।विलम्ब के लिए क्षमा सर ।"
yesterday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया .... गौरैया
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय जी । सहमत एवं संशोधित ।…"
yesterday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .प्रेम
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी सृजन पर आपकी मनोहारी प्रशंसा का दिल से आभार आदरणीय"
Monday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .मजदूर

दोहा पंचक. . . . मजदूरवक्त  बिता कर देखिए, मजदूरों के साथ । गीला रहता स्वेद से , हरदम उनका माथ…See More
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post कहूं तो केवल कहूं मैं इतना: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय सुशील सरना जी मेरे प्रयास के अनुमोदन हेतु हार्दिक धन्यवाद आपका। सादर।"
Monday
Sushil Sarna commented on मिथिलेश वामनकर's blog post कहूं तो केवल कहूं मैं इतना: मिथिलेश वामनकर
"बेहतरीन 👌 प्रस्तुति सर हार्दिक बधाई "
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .मजदूर
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी सृजन पर आपकी समीक्षात्मक मधुर प्रतिक्रिया का दिल से आभार । सहमत एवं…"
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .मजदूर
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन आपकी मनोहारी प्रशंसा का दिल से आभारी है सर"
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया. . .
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी सृजन आपकी स्नेहिल प्रशंसा का दिल से आभारी है सर"
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया. . .
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय"
Sunday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service