For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

गैस होगी न कोयला होगा
चूल्हा ग़मजदा मिला होगा

पेट रोटी टटोलता हो जब
थाल में अश्रु झिलमिला होगा

भूख की कैंचियों से कटने पर
सिसकियों से उदर सिला होगा

चाँद होगा न चांदनी होगी
ख़्वाब में भी तिमिर मिला होगा

भोर होगी न रौशनी होगी
जिंदगी से बड़ा गिला होगा

लग रहा क्यूँ हुजूम अब सोचूँ
मौत का कोई काफिला होगा

बेबसी की बनी किसी कब्र पर
नफरतों का पुहुप खिला होगा

अब बता "राज"दोष है किस का
जिंदगी ने उसे छ्ला होगा

Views: 653

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on November 8, 2012 at 8:41am

प्रिय प्राची जी आपको ग़ज़ल पसंद आई मेरा लिखना सार्थक हुआ 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on November 8, 2012 at 8:40am

हार्दिक  आभार विनीता शुक्ल जी बहुत ख़ुशी है आपको ग़ज़ल पसंद आई 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on November 8, 2012 at 8:14am

ह्रदय कचोटने वाले भावों को बहुत खूबसूरती से पेश किया गया है.. इस संवेदनात्मक ग़ज़ल के लिए बधाई आदरणीया राजेश जी 

Comment by Vinita Shukla on November 8, 2012 at 4:58am

अद्भुत एवं प्रभावी अभिव्यक्ति. बधाई राजेश कुमारी जी.


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on November 7, 2012 at 6:41pm

पुनः हार्दिक आभार सौरभ जी |


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on November 7, 2012 at 6:03pm

संशोधन का उचित प्रयास हुआ है, आदरणीया राजेश जी.  बह्र पर मन जमता ज अरहा है.

वैसे क़ब्र वाले मिसरे पर कुछ विशेष हुआ क्या ?

सादर


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on November 7, 2012 at 11:45am

आदरणीय रविकर  भाई हार्दिक धन्यवाद सच में इस मंच पर हम सभी सीख रहे हैं 

Comment by रविकर on November 7, 2012 at 11:40am

छला जिंदगी ने उसे, वो नफरत का फूल ।--गजल से

सीख रहा नित गजल के, सभी जरुरी रूल ।।-रविकर के लिए

आदरणीय राजेश दी ।

शुभकामनायें ।
उन्नत भाव ।।


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on November 6, 2012 at 8:56pm

आदरणीय सौरभ जी आपके कहे के अनुसार एडिट कर रही हूँ


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on November 6, 2012 at 7:46pm

बशीर बद्र के उद्धृत मतले को देखिये, काफ़िया ’आ’ ही होगा.  उला के  ’आसरा’ और सानी के ’क्या’ में मात्र ’आ’ ही कॉमन हैं. जबकि आपके प्रस्तुत मतले में उला के ’कोयला’ और सानी के ’जला’ के हिसाब से ’अला’ कॉमन हो गये हैं. फिर हम सिर्फ़ ’आ’ को काफ़िया कैसे ले सकते हैं, है न ?

सादर

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"यूॅं छू ले आसमाॅं (लघुकथा): "तुम हर रोज़ रिश्तेदार और रिश्ते-नातों का रोना रोते हो? कितनी बार…"
Apr 30
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"स्वागतम"
Apr 29
Vikram Motegi is now a member of Open Books Online
Apr 28
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .पुष्प - अलि

दोहा पंचक. . . . पुष्प -अलिगंध चुराने आ गए, कलियों के चितचोर । कली -कली से प्रेम की, अलिकुल बाँधे…See More
Apr 28
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम मेठानी जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दयाराम जी, सादर आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई संजय जी हार्दिक आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. रिचा जी, हार्दिक धन्यवाद"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दिनेश जी, सादर आभार।"
Apr 27
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय रिचा यादव जी, पोस्ट पर कमेंट के लिए हार्दिक आभार।"
Apr 27
Shyam Narain Verma commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: ग़मज़दा आँखों का पानी
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
Apr 27

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service