For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

जय जय श्री हनुमान, शरण हम तेरी आये |
हे अंजनि के लाल, कुसुम श्रद्धा के लाये ||
जग में सारे दीन, एक तुम ही हो दाता |
तेरा सच्चा भक्त, सदा सुख को ही पाता || (१)

हे रघुवर के दूत, जगत है तेरी माया |
कण-कण में हे नाथ, रूप है तेरा पाया ||
शंकर के अवतार, देव तुम हो बजरंगी |
दुष्टों के हो काल, दीन-हीनों के संगी || (२)

किसका ऐसा तेज, फूँक दे क्षण में लंका |
कर दानव संहार, बजाये जग में डंका ||
हे हनुमत, श्रीराम, सदा हैं उर में तेरे |
तेरा मुख बस राम, नाम की माला फेरे || (३)

हे मेरे बजरंग, जपा जब नाम तिहारा |
कलि का भारी ताप, लगा है शीतल धारा ||
मैं बालक मतिमूढ़, न जानूँ पूजा तेरी |
इतनी विनती नाथ, क्षमा हों भूलें मेरी || (४)

Views: 2630

Replies to This Discussion

रोला छंद पर सुखद प्रयास हेतु हार्दिक बधाई, अजीतेन्दुजी.

शंकर के अवतार, देव तुम हो बजरंगी |
दुष्टों के हो काल, दीन-हीनों के संगी ||

बहुत बढिया पंक्तियाँ. बहुत खूब.. .


शिल्प के स्तर पर रचना शुद्ध है. थोड़ा प्रयास इस पदों में प्रवाह ले आयेगा. यथा,

जग में सारे दीन, एक तुम ही हो दाता |
तेरा सच्चा भक्त, सदा सुख ही को पाता ||

आपको गंभीर प्रयास करते देखना एक सुखद अहसास है, अजीतेन्दुजी

शुभेच्छाएँ.

आदरणीय गुरुदेव सौरभ सर...........आपका हार्दिक आभार......आपने शिल्प के स्तर पर शुद्धता की बात कही......ये मेरे लिए एक अच्छा संकेत है.......हाँ सर आपसे एक बात ये कहना चाहता हूँ कि जैसा की आदरणीया प्राची दीदी ने कहा है की सभी छंदों की गेयता अलग-अलग होती है तो जो लोग नये-नये इन छंदों को सीख रहे हैं उनकी सुविधा के लिए सभी छंदों की गेयता की भी जानकारी उपलब्ध कराई जाये.......अगर ऐसा संभव है तो अवश्य किया जाना चाहिए जिससे इन छंदों को लिखते समय उनकी गेयता के अनुसार ही प्रवाह के साथ लिखा जा सके......इससे मुझ जैसे सभी नये लोगों को काफी लाभ हो सकता है.......पुनः आभार.......

सबसे पहले तो अंतर-गेयता को साधना उचित है जो शब्दों के उचित क्रम से संभव है. यह किसी तुकांत पद्य के लिये एक जैसा हुआ करती है. यानि, सम के बाद सम या विषम के बाद विषम मात्रिक शब्दों का यथसंभव प्रयोग. और फिर, उनका स्पष्ट उच्चारण के साथ पढ़ना.

//सम के बाद सम या विषम के बाद विषम मात्रिक शब्दों का यथासंभव प्रयोग//

आदरणीय गुरुदेव थोडा इसके बारे में विस्तार से समझा देते तो आसानी होती.......कहीं-कहीं इसी में अटक जाता हूँ.......

आप प्रसिद्ध तुकांत कविताओं की मात्राएँ गिनें और देखिये उनका क्रम क्या है. आप दिनकर, मैथिली शरण गुप्त, बच्चन, प्रसाद जैसे आधुनिक कवियों की तुकांत रचनाएँ देखिये. आशा है, आपको उत्तर अत्यंत आसानी से मिल जायेगा.

प्रिय कुमार गौरव अजितेंदु जी,

हार्दिक बधाई इस सुन्दर बजरंग बली वंदन के लिए.

हम नवरचनाकारों के छंद प्रयास सीखने के क्रम में पहला कदम मात्रा  गणना को समझना, दूसरा कदम शिल्प को समझना, तीसरा कदम शिल्प निभाते हुए भावों से न्याय करना, व चौथा कदम अंतर्गेयता को साधना है...  

चौथा कदम अत्यंत श्रमसाध्य है, जिसके लिए स्वाध्याय, विस्तृत शब्द संग्रह, व सतत प्रयास ही एक मात्र मार्ग है.

जैसा कि आदरणीय सौरभ सर नें बताया है , सम शब्दों के बाद सम तथा विषम शब्दों के बाद विषम शब्दों का प्रयोग गेयता को निखारता है... अब हमें इस चौथे चरण को आत्मसात करना है व प्रयासरत रहते हुए आगे के चरणों को जानना है.

इस लगन और समर्पित प्रयास के लिए आपको बधाई..

शुभकामनाएं 

प्राची 

आदरणीया प्राची दीदी........आपका बहुत-बहुत धन्यवाद.........आपने छंद लिखने से सम्बंधित जो उपयोगी बातें बताई उनके लिए आपका आभारी हूँ.....

//सम शब्दों के बाद सम तथा विषम शब्दों के बाद विषम शब्दों का प्रयोग//

इसका अर्थ थोडा जानना चाहता हूँ......क्या इसका अर्थ ये है कि पहली पंक्ति में हम जिस क्रम में सम और विषम शब्दों का प्रयोग करें ठीक वैसा ही प्रयोग अगली पंक्ति में भी यथासंभव हो?

पहली पंक्ति में हम जिस क्रम में सम और विषम शब्दों का प्रयोग करें ठीक वैसा ही प्रयोग अगली पंक्ति में भी यथासंभव हो.... मात्रिक विन्यास यदि पंक्तियों में एक सामान रहे तो भी गेयता बढ़ती है 

 

//सम शब्दों के बाद सम तथा विषम शब्दों के बाद विषम शब्दों का प्रयोग//

मेरे लिए भी इसका अर्थ समझना मुश्किल था...

किन्तु, अर्थ समझना आसान है पर इसपर प्रयास करना ज्यादा ज़रूरी है..

सम शब्दों के बाद सम शब्द का अर्थ है, 

जय=२  जय=२  श्री=२  हनुमान =५ , शरण=३ हम=२  तेरी=४ आये=४  |
हे=२  अंजनि=४  के=२  लाल=३ , कुसुम=३ श्रद्धा=४ के=२  लाये=४  ||

 

उदाहरणतः  पहली पंक्ति में शब्द हैं    २ २ २ ५ , ३ २ ४ ४  मात्रा के क्रम में

और          दूसरी पंक्ति में शब्द हैं  २ ४ २ ३ , ३ ४ २ ४ के मात्रा क्रम में 

 अर्थात २ के बाद २,४,६ मात्रा गणना वाले शब्द आयें और ३ के बाद ३,५ मात्रा गणना वाले शब्दों का हम लिखते वक़्त चयन करें तो नाद सौन्दर्य में वृद्धि होती है 

 

यह पंक्ति में लिखे जाने वाले शब्दों के चयन  व शब्द क्रम से सम्बंधित है.

 

संभवतः मैंने इसे ठीक समझा है, और जितना समझा उसे आप तक भली प्रकार संप्रेषित कर पा रही हूँ . 

बिल्कुल सही समझा है आपने,  डॉ.प्राची.  मेरे कहे को विधानुसार सोदाहरण संप्रेषित करने के लिये सादर बधाई.

पद्य रचना के क्रम में इस मूल मात्रिक विधा के बाद किसी छंद का शिल्प आता है. यानि सामान्य कविता में तक जो मात्रिकता निभायी जाती है, वही मात्रिकता भरसक छंदों में भी निभायी जानी चाहिये, उस छंद के शिल्प को निभाते हुए.

सादर

हार्दिक आभार आदरणीय सौरभ जी 

अर्थात मात्रा क्रम निर्धारण दूसरा कदम है, जिसे मैं चौथा कदम समझ रही थी.....

अर्थात छंद रचना में 

पहला कदम मात्रा  गणना को समझना, दूसरा कदम मात्रिक क्रम अनुसार सम के बाद सम शब्दों व विषम के बाद विषम शब्दों को प्रयुक्त करना,  तीसरा कदम शिल्प को समझना, व चौथा कदम शिल्प निभाते हुए भावों से न्याय करना है...

तो दीदी, इसका अर्थ ये हुआ कि किसी भी छंद की पंक्तियों के शब्दों का मात्रिक विन्यास सभी पंक्तियों में जहाँ तक संभव हो समान रखने की कोशिश की जानी चाहिए.........इसके अलावा किसी भी पंक्ति में लिखे गए सम अथवा विषम शब्द के अनुसार ही उस पंक्ति में अगले शब्द का चयन करने की चेष्टा की जानी चाहिए......अगर ऐसा है तो मैंने सही तरह से आपकी कही बातों को समझ लिया......

भाई अजीतेन्दुजी, उदाहरण के लिये आप घनाक्षरी छंद को ही लें जो कि एक वर्णिक छंद है. 16 और 15 के वर्णों पर इसका एक रूप चलता है. यदि कुछ शब्दों के समूह इस वर्ण नियम और यति को संतुष्ट कर दें तो क्या छंद पूर्ण माना जाय ?  

अभी मैं वीनसजी द्वारा ओबीओ के प्रति कृतज्ञता-ज्ञापन के तौर पर पोस्ट हुई घनाक्षरी का लिंक देता हूँ, उसे और उसपर आये संशोधन को देख जाइये.

http://www.openbooksonline.com/profiles/blogs/5170231:BlogPost:284043

विश्वास है, वीनसजी को भी मेरा इस तरह समझाना एक उचित कदम लगेगा.

सधन्यवाद

RSS

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीया प्रतिभा जी।सार्थक सुंदर दोहावली की हार्दिक बधाई। छिपन छिपाई खेलता,सूूरज मेघों संग। गर्मी…"
31 minutes ago
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167 in the group चित्र से काव्य तक
"आभार लक्ष्मण भाई"
34 minutes ago
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167 in the group चित्र से काव्य तक
"रचना पर अपनी उपस्थिति और उपयोगी सुझाव देने के लिए अनेक आभार आदरणीय"
34 minutes ago
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167 in the group चित्र से काव्य तक
"क्या बात है मिथिलेश भाई, बहुत रोचक दोहे। चेहरे पर बरबस एक मुस्कान आ गई। जेठ ने तो मज़ा बाँध दिया। अब…"
36 minutes ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167 in the group चित्र से काव्य तक
"आ. भाई अजय जी, सादर अभिवादन। प्रदत्त चित्रानुरूप सुंदर दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
41 minutes ago
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अजयभाई जी।सार्थक सुंदर दोहावली की हार्दिक बधाई।चंदा के लिए मामा सर्व मान्य है लेकिन…"
46 minutes ago
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय सौरभ भाईजी, इस दोहावली में कुछ नये शब्दों का संयोजन और उसमें निहित भावों को समझने के बाद…"
48 minutes ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167 in the group चित्र से काव्य तक
"आ. 12 दोहे के तीसरे चरण को इस प्रकार किया है देखिएगा - प्यासे सूरज के लिए, सागर बदली भेज।"
1 hour ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167 in the group चित्र से काव्य तक
"आ. भाई अखिलेश जी, सादर अभिवादन। प्रदत्त चित्र को बहुत सुंदर वर्णन दोहों में किया है। हार्दिक बधाई।"
1 hour ago
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय शिज्जु शकूर जी चित्र पर सुंदर दोहे हुए हैं , हार्दिक बधाई।"
1 hour ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अखिलेश कृष्ण भाईजी, आपकी इस सार्थक प्रस्तुति के कई भाव-शब्द तार्किक हैं। जबकि कुछ छंदों की…"
1 hour ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167 in the group चित्र से काव्य तक
"दोहा छंद गर्मी में है वायरल, नया नवेला ट्रेंड।प्यास कहे बोतल सुनो,तुम ही सच्ची फ्रेंड।। पानी भी…"
2 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service