Tags:
भाई रत्नेश जी सबसे पहले तो मै धन्यवाद देना चाहता हु जो आपने इतना गंभीर मुद्दा को ओपन बुक्स ऑनलाइन के माध्यम से उठाया, आप की बातो से मै पूरी तरह सहमत हु, इस देश मे क़ानून ब्यवस्था वाकई बहुत ही लचर है, देश का पैसा जो विकाश मे लगाना चाहिये वो कसाब जैसे आतंकवादियों की सुरक्षा और उनके सेवा मे खर्च हो रहे है, अब सोचिये जब अभी निचली अदालत डेढ़ साल मे अभी फैसला देने की स्थिति मे पहुची है, उसके बाद आगे और भी सीढिया है जहा कस्साब अपील करेगा उसमे भी बिलम्ब लगेगा, जब अदालत ने दोषी करार दे दिया है तो रोज रोज सजा पर फैसला टालना, खड्यंत्र की बू आ रही है कही कोई दबाव तो नहीं ? अगर दबाव नहीं तो सजा सुनाने मे देरी क्यू ? मान लीजिये सुप्रीम कोर्ट ने फ़ासी की सजा बरक़रार रख भी दी तो क्या होगा, विलम्ब घर मे छमा याचिका पड़ेगा, और विलम्ब घर मे जब अभी तक अफजल गुरु सरीखे लोगो का फैसला पेंडिंग है, तो कसाब का भी पेंडिंग मे ही रहेगा, और राजनितिक पार्टी आराम से गोटिया सेकती रहेंगी, भले आम आदमी की भावना आहत होती है तो हो, आखिर क्यू ? क्यू ऐसा हो रहा है, क्या इन आतंकवादियों का फैसला और सजा प्राथमिकता के आधार पर नहीं होना चाहिये ? यदि इसमे कोई कानून अड़चन डालती है तो उस कानून को ही बदलने की जरूरत है, पर जितनी तेजी से आतंकवादियों के बन्दूक से गोली निकलती है, सरकार को भी उतनी ही तेजी दिखा कर इन कमीनो को ख़तम कर देना चाहिये, देश का अन्न इन कमीनो के लिये नहीं है,
जेल में अपने लिए अखबार,अछे खाने अछे कपडे और पेर्फुमे की मांग करने वाला कसाब अपने लिए पत्नी चाहता है .मैंने जैसे ही कल यह न्यूज़ मुंबई जागरण में पढ़ा मेरे तो होश ही उड़ गए.
मुंबई हमलो में दर्जनों महिलाओ को विधवा बनाने वाले कसाब ने डाक्टरों से कहा है की वह अकेलापन महसूस कर रहा है और वह सदी करना चाहता है.यह आतंकवादी डाक्टरों से यह भी कह चूका है की जरुरी नही है की लड़की पाकिस्तान की ही हो ,भारत की भी होगी तो चलेगा .हलाकि इस बात की पुष्टि जेलर ने नही किया है ,लेकिन यह सही है .
मैंने कुछ दीं पहले यह लिखा था की भारत में आतंकवादी अतिथि के सामान इज्जत पाते है ,अब कसाब को फासी की सजा हो चुकी है लेकिन पता नही हमारी सर्कार किसका इन्तेजार कर रही है ..
मुझे तो सचमुच में यह लगता है की कसाब दुल्हे रजा की तरह ही भारत से जायेगा ........आखिर हमारी भारत सरकार इतनी दयालु जो है अब देखना ये है की क्या सचमुच में कस्साब की शादी होगी या फिर फासी होगी
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
    © 2025               Created by Admin.             
    Powered by
     
    
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |