For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

महुआ ,
एगो उ दिन रहे ,
एगो आज के दिन बा ,
इ ओह दिनों पुछात रहे ,
आजो पुछात बा,
अंतर एतने बा ,
कलह घर बसवात रहे ,
आज घर उजारत बा ,
महुआ ,
एगो उ दिन रहे ,
एगो आज के दिन बा ,
महुआ टपकल ,
घरे आइल ,
लपसी बनल
मजा आइल ,
अब लपसी कहा भेटात बा .
महुआ ,
एगो उ दिन रहे ,
एगो आज के दिन बा ,
महुआ सुखल ,
खूब भुजाइल ,
तीसी के संगे ,
लाटा कुटाइल ,
अब लाटा कहा भेटात बा ,
महुआ ,
एगो उ दिन रहे ,
एगो आज के दिन बा ,
अब महुआ ,
हाड़ी पर चढत बा ,
अब लपसी ना ,
दारू बनत बा ,
अब केहू के पेट नइखे भरत ,
जेब खाली होत बा ,
बबुआ मस्ती में बारन ,
परिवार रोआत बा ,
महुआ ,
एगो उ दिन रहे ,
एगो आज के दिन बा ,

Views: 360

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on May 1, 2010 at 3:33pm
Guru jee aap apaney kavita aur mahuwa key madhyam sey kal aaj aur kal ki tulana bahut hi achey sey ki hai,bahut badhiya hai aapki rachna,
Comment by PREETAM TIWARY(PREET) on April 30, 2010 at 10:22pm
bahut badhiya likhle bani guru jee.....admin jee bilkul sahi kahni....
kail bhi kaa jaa sakela ee debe wala log samjho tab nu.....
klhair chodi blog badhiya likhle bani...maja aa gail padh ke
Comment by Admin on April 30, 2010 at 5:50pm
बहुत बढ़िया गुरु जी, सब समय समय की बात है , समय के साथ सब कुछ का स्वरुप बदल जाता है,महुआ भी उससे अछुता नहीं रहा,अब देखिये न नया न्यूज़ आया है की विजय माल्या की नजर मुजफरपुर बिहार की प्रसिद्ध लिच्ची पर पड़ गया है वो किसानो के बागीचो को लिज पर लेकर लिच्ची से शराब बनायेगे , अब महुआ की तरह कुछ दिनों मे लिच्ची का भी स्वाद भूल जाना पडेगा |
बहरहाल बहुत ही बढ़िया कविता है, धन्यवाद आपका ,

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"यूॅं छू ले आसमाॅं (लघुकथा): "तुम हर रोज़ रिश्तेदार और रिश्ते-नातों का रोना रोते हो? कितनी बार…"
Tuesday
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"स्वागतम"
Sunday
Vikram Motegi is now a member of Open Books Online
Sunday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .पुष्प - अलि

दोहा पंचक. . . . पुष्प -अलिगंध चुराने आ गए, कलियों के चितचोर । कली -कली से प्रेम की, अलिकुल बाँधे…See More
Sunday
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम मेठानी जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दयाराम जी, सादर आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई संजय जी हार्दिक आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. रिचा जी, हार्दिक धन्यवाद"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दिनेश जी, सादर आभार।"
Apr 27
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय रिचा यादव जी, पोस्ट पर कमेंट के लिए हार्दिक आभार।"
Apr 27
Shyam Narain Verma commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: ग़मज़दा आँखों का पानी
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
Apr 27

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service