For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

देखो !

उस चिड़िया के पंख निकाल आए

अब वो अपने पंख फैलाएगी

आसमानों के गीत गाएगी

बातें करेगी-

-गगनचुम्बी उड़ानों की !

तोड़ डालेगी-

-तुम्हारी निर्धारित ऊंचाईयां !

और उसकी अंगडाईयां

कंपा देंगी तुम्हारे अंतरिक्ष को !

 

वो देख आएगी

तुम्हारे सूरज में घुटता अँधेरा !

प्रश्न उठाएगी

तुम्हारे सूर्योदय पर भी !

 

फिर कौन पूजेगा -

-तम्हारे अस्तित्व को ?
कौन मानेगा -

-तुम्हारी प्रधानता ?

 

उसे दिखाओ -
-नुचे हुए पंख

सुनाओ उसे -

-बांज की झूठी कहानियां

-पंछी और जहाज की भ्रामक कथाएँ

उसे पिंजरे का महत्त्व समझाओ ,

असमान से जुड़ने मत दो !

रोको ! उसे उड़ने मत दो !

 

 

......................................... अरुन श्री !

Views: 657

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on July 20, 2012 at 11:13am

मेरे सुझाव पर अपनी सहमति देने के लिये आपका धन्यवाद, भाई अरुणजी.  यदि आप इस रचना पर पुनः कार्य करें तो यह एक अवश्य ठनीय रचनाओं में से होगी.  

Comment by Arun Sri on July 20, 2012 at 10:48am

सौरभ सर, बस इसी की तो जरूरत थी और प्रतीक्षा भी ! फिर से पढकर इसे और नुकीला बनाने का प्रयास करता हूँ !

सादर धन्यवाद !


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on July 19, 2012 at 9:12pm

भाई अरुण जी, इस रचना ’लड़की’ पर दृष्टि अभी पड़ी है.  बहुत कुछ उभर कर सामने आया है. सामाजिक विडंबनाओं को स्वर देने का सुन्दर प्रयास हुआ है.

लेकिन ऐसा प्रतीत होता है कि असीम संभावनाओं से भरे प्रस्तुत भाव विशेष को कुछ और समय दिया गया होता.

हार्दिक शुभेच्छा.

Comment by Arun Sri on July 14, 2012 at 8:07pm

दीप्ती मैम , सराहना हेतु धन्यवाद !

Comment by Arun Sri on July 14, 2012 at 8:06pm

राजेश कुमारी मैम , आकाश खुला है बेहतर है कि पहरे हटा लिए जाएँ ! मार्गदर्शक बना जाए ! इस व्यंग को आपने पसंद किया ! धन्यवाद !

Comment by Arun Sri on July 14, 2012 at 8:04pm

सुरेन्द्र भ्रमर सर , पसंदगी के लिए धन्यवाद !

Comment by Arun Sri on July 14, 2012 at 8:04pm

संदीप जी
रेखा मैम ........... आप सब का आभारी हूँ !

Comment by Arun Sri on July 14, 2012 at 8:03pm

अलबेला सर , आपके अमूल्य सुझाव और प्रसंशा के लिए धन्यवाद !

Comment by deepti sharma on July 12, 2012 at 10:42pm

बहुत गहन चिंतन है आपकी रचना में बहुत भाव पूर्ण रचना बहुत बधाई आपको


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on July 12, 2012 at 10:28pm

बहुत उम्दा  शब्दों में बहुत गहन सोच को साकार करती रचना लड़कियों के लिए सोच को बदलना होगा उन्हें उन्मुक्त गगन में उड़ने देना होगा ...कविता में व्यंग्य के आधार से बहुत अच्छा सन्देश दिया है

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"शुक्रिया आदरणीय।"
3 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी, पोस्ट पर आने एवं अपने विचारों से मार्ग दर्शन के लिए हार्दिक आभार।"
12 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार। पति-पत्नी संबंधों में यकायक तनाव आने और कोर्ट-कचहरी तक जाकर‌ वापस सकारात्मक…"
14 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदाब। सोशल मीडियाई मित्रता के चलन के एक पहलू को उजागर करती सांकेतिक तंजदार रचना हेतु हार्दिक बधाई…"
14 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार।‌ रचना पटल पर अपना अमूल्य समय देकर रचना के संदेश पर समीक्षात्मक टिप्पणी और…"
14 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदाब।‌ रचना पटल पर समय देकर रचना के मर्म पर समीक्षात्मक टिप्पणी और प्रोत्साहन हेतु हार्दिक…"
14 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी, आपकी लघु कथा हम भारतीयों की विदेश में रहने वालों के प्रति जो…"
15 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय मनन कुमार जी, आपने इतनी संक्षेप में बात को प्रसतुत कर सारी कहानी बता दी। इसे कहते हे बात…"
15 hours ago
AMAN SINHA and रौशन जसवाल विक्षिप्‍त are now friends
15 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय मिथलेश वामनकर जी, प्रेत्साहन के लिए बहुत बहुत धन्यवाद।"
15 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय Dayaram Methani जी, लघुकथा का बहुत बढ़िया प्रयास हुआ है। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक…"
17 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"क्या बात है! ये लघुकथा तो सीधी सादी लगती है, लेकिन अंदर का 'चटाक' इतना जोरदार है कि कान…"
17 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service