For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

किस समाज में हम रह रहे है ???? क्या हम इस समाज को विकसित और सभ्य कह सकते है ??? ये तो रोज ही घटित हो रहा है समाज में | कहाँ रोक पा रही है लड़कियां ऐसी हैवानी सोच को और कहाँ रोक पा रहे है हम इन घटनाओं को | रोज ही समाचर पत्र में, टेलीविजन में हम ये खबर देख सुन रहे है कि भीड़ ने लड़की का सामूहिक दुराचार किया, लड़की का बलात्कार कर गला घोंट के मार दिया गया, अश्लील क्लिपिंग बना के दुराचार किया गया ब्लैकमेल किया गया | ताज़ा घटना गुवाहाटी में ११ वी में पढ़ने वाली लड़की के साथ छेड़छाड़ की घटना जिसमे उसके कपड़े फाड़े गए और उसे बालो से खिंचा गया और भीड़ में जिसका जो मन किया उस लड़की के साथ उसने वो किया | ये भयावह है कुछ मनचले छेड़छाड़ कर रहे है, धीरे धीरे भीड़ बढ़ रही है और हर कोई उस घृणित कृत्य में शामिल होता जा रहा है | कुछ लोग है जो जागरूक है तो वो रोक नहीं रहे है, उसका विरोध नहीं कर रहे है वो रिकोडिंग कर रहे है | क्या ये घटना रोकी नहीं जा सकती थी ???क्या इस हादसे का इतना विकराल रूप लेने से पहले ही इसका खात्मा नहीं हो सकता था | संगठन की शक्ति में तो बहुत दम होता है | तो क्या अब ये मान लिया जाए कि समाज की मानसिकता पूरी तरह से घृणित और विकृत हो गयी है | क्यूँ की वो भीड़ का हर चेहरा ही तो अपने समाज का प्रतिनिधि कर रहा था | एक एक कर के लोग आ रहे थे और उस में शामिल होते जा रहे थे | किसी ने भी विरोध नहीं किया कोई भी बचाने वाला हाथ आगे नहीं आया किसी की नजर शर्म से नहीं झुकी वो सिर्फ एक लड़की के शारीर को बेहयाई से देखती रही मनचाहे तरीके से खेलती रही |

अक्सर लोग कहते है की लड़किया इक्कीसवी सदी की है कब तक डर कर और चुप रहोगी | खामोश बैठ जाना ऐसी घृणित मानसिकता के लोगो को बढ़ावा देना होगा |
ये भी कहा जाता है कि चूँकि हम विरोध नहीं करते है तो इनका हौसला बढ़ता है |
कैसे किया जाय इन घृणित मानसिकता के लोगो का विरोध, हम वो मजबूत प्रतिरोध कहाँ से लाये \ दोषी ठहरा दिया जाता है इस समाज में लड़कियों को गुवाहाटी में जो सभ्य समाज को शर्मसार कर देने वाली घटना घटी | उसमे भी दोष लड़की का निकला दिया जायेगा | क्यों वो लड़की अकेले निकली, लड़की के कपड़ो को दोष दे दिया जायेगा कि क्यों उसने ऐसे कपड़े पहने थे| उस लड़की के साथ क्यूँ कोई मर्द नाम का जीव नहीं था जो उसको प्रोटेक्ट करता या उस मर्द के साथ होने से ठप्पा लग जाता की इस लड़की का खेवनहार साथ है | अभी लड़की मजबूर और कमजोर नहीं है उसके साथ एक मर्द जो है | वो उसे मजबूत सुरक्षा देगा |
सभ्य समाज में छूट लड़कियों को नहीं मिलनी चाहिए कतई भी नहीं |
समाज के ठेकेदारों ने जब निर्धारित कर ही दिया है कि लड़कियों की सुरक्षा सिर्फ मर्दों के ही हाथों में है तो क्यों वो लड़की मातृसत्तात्मक समाज से होते हुए भी असहाय हो जाती है, मर्दों के सामने गुहार लगाती है छोड़ देने की, याद दिलाती है घर में माँ बहनों की, जिस समाज में सत्ता औरतो की है उस समाज में जब इतना घिनौना कृत्य होता है तो हमारे मर्दों के समाज (पितृसत्तात्मक) का हम समझ ही सकते है क्या हाल होगा |
वहाँ भीड़ में कोई किसी को नहीं पहचानता था | एक कि देखा देखी सभी पर हैवानियत सवार हो रही थी उस भीड़ में |
ये है असली चेहरा समाज का जहाँ सब लोग बड़ी -बड़ी बाते तो करते है मगर मौका मिलने पर हाथ साफ़ करने से परेहज नहीं है |
देखा है ऐसी भीड़ को मैंने जब लड़की हौसला करके ऐसे छिछोरे मनचलों को जवाब दे रही होती है तो भीड़ सिर्फ चटपटी मसालेदार घटना को देखने के लिए जमा हुई होती है और घिनौनी हंसी हँस रहे होते है उस भीड़ के लोग, क्यों कोई नहीं आता लड़की का साथ देने के लिए ये ही भीड़ को कहते हुए सुना है सती सावित्रि के कपड़े देखो | तो क्या आप को ये परमिशन मिल गयी है आओ बतमीजी करो अपनी नियत को क्यूँ नहीं साफ़ रखते | नंगापन ऐसे वाहियात लोगो की नजर में होता है |
ये वो ही वाहियात लोग है जो एक गरीब माँ को खुले में अपने बच्चे को स्तनपान कराते हुए देखते है तो अपने मतलब की चीज देख कर अपनी ओछी मानसिकता को तुष्ट करते हुए देखा है मैंने |
मैंने सलवार सूट पहने लड़की के साथ भी भद्दे इशारे करते लोगो को देखा है और छोटी तरुणी के अंगों को गंदी नजरो से देखते हुए भी देखा है |
आप साड़ी में हो या सूट में हो या पूरी तरह से पर्दे से ढकी हो गंदी मानसिकता के लोग आप को बिना छुए ही चीर- हरण कर सकते है | यहाँ पर जब तक पांडव अपनी पत्नी को दाव में लगाते रहेंगे तब तक ऐसे दु:शासन ज़िन्दा रहेंगे | यहाँ जब तक पिता धृतराष्ट्र की तरह रहेंगे तब तक दु:शासन चीरहरण करते रहेंगे यहाँ जब तक माताएँ गांधारी बनी रहेगी तब तक दु:शासन जैसे पुत्र से समाज की हर एक लड़की इनकी गंदी नियत से बची नहीं रहेगी |
दोष तो पूरे समाज का ही है जो धृतराष्ट बना हुआ है |
हम नारियाँ गांधारी बनी हुई है |
उस लड़की का दोष इस तरह भी निकाला जा सकता है कि वो रात को पब से निकली थी | शरीफ घरों की लड़कियां यूँ अकेले घर से नहीं निकलती वो भी रात को इस तरह तो सिर्फ शरीफ घरों के लड़के निकलते है | अकेले और रात में भी सिर्फ शरीफ घरों के लड़कों को निकलने की छूट है |
वो लड़की रात को निकली थी पब से तो क्या दिन के उजास में लड़कियों को बक्स दिया जाता है ?????????????????? लड़कियां सुरक्षित कहाँ है यहाँ पर | कहीं सगा सम्बन्धी ही बुरी नियत रखता है लड़की पर और मौका मिलने में जाहिर भी कर देता है अपनी कामलोलुप नज़रों से, शरीर को सहलाते गंदे और लिजलिजा स्पर्श से जतला देते है कि लड़की होना दोष है तुम्हारा | बसों में सफ़र करते समय पुरुषों द्वारा छेड़खानी, अश्लील फ़ब्तियाँ और शीलहनन की कोशिशें महिलाओं के रोज़मर्रा के जीवन का हिस्सा है।
स्कूल, कॉलेज, रास्तों में ऑफिस में, सिनेमाहाल में ट्रेन, बस टेम्पो ओटो कहीं भी तो सुरक्षा की गारंटी नहीं देता ये समाज लड़कियों को |
और फिर दोष भी मढ़ दिया जाता है लड़कियों पर कि लड़कियां पहन क्या रही है, लड़कियों कि गतिविधियाँ क्या है, लड़कियों कि बोलचाल और व्यवहार क्या है?
मैंने अपने ही समाज में देखा है कि छ साल की बच्ची से लेकर ८० साल कि वृद्धा तक यहाँ सुरक्षित नहीं है |
जागरण में परिवार के साथ गयी एक ६ साल की लड़की को एक टेंट लगाने वाला दुराचार का शिकार बना देता है, ६० साल कि वृद्धा अकेले घर जा रही थी रास्ते में कुछ शराबियों ने अपनी गंदी नियत का शिकार बना दिया, पिकनिक में परिवार के साथ आई नाबालिक लड़की जो खेलते खेलते परिवार की आँखों से ओझल हो गयी तो एक अनजान व्यक्ति ने उसका दुराचार करके मार दिया घर के आंगन में खेल रही बच्ची को पड़ोसी युवक ने दुराचार का शिकार बनाया | इन घटनाओं कि फ़ेहरिस्त लंबी है ये घटना यहाँ घटित हुई और सब जगह घटित हो रही है तो क्या जो लोग ये सोचते है की लड़कियों के पहनावे के कारण लड़कियों के साथ छेड़छाड़ बतमीजी बलात्कार होता है तो ये छोटी बच्चियां जिनको देख कर मन में सिर्फ वात्सल्य ही उमड़ता है उन बच्चियों का क्या दोष या वो ६० साल कि वृद्धा जो माँ दादी की उम्र की है उनके कपड़ो में क्या दोष था |
माँ बहन की गलियां तो सभी देते है तो इज़्ज़त कौन करेगा नारियों की लड़की रूप में ही जन्म लेना मुश्किल हो गया है अगर लड़कियां जन्म ले भी लेती है तो उसका दिनों दिन बढ़ना चिंता का विषय हो जाता है जब तक लड़कियों को भोग्या समझा जायेगा तब तक दयनीय स्थिति रहेगी हमारे समाज में लड़कियों की, जहाँ नारियों को पूजा जाता है वहाँ देवता निवास करते है तो मान लेना चाहिए कि अब हमारे समाज में दानव राज है |
पहले अपनी घृणित सोच को बदलना होगा
धृतराष्ट और गांधारी बनाना छोड़ना होगा की हमारा पिता पति बेटा ऐसा नहीं कर सकता, सिखाना होगा परिवार से ही, सिखाना होगा लड़कियों औरतों का सम्मान करना आदर करना तभी जा कर बदली जा सकती मानसिकता और तभी जा कर हम अपने समाज को सभ्य समाज कह सकते है |

Views: 676

Replies to This Discussion

गौहाटी जैसे काण्ड के लिए, राजतन्त्र, पुलीस तंत्र, के साथ ही हम्मरे यहाँ नैतिक ह्वास के चलते अब तो संचार माध्यम (मीडिया)
और न्याय तंत्र (विलंबित न्याय के कारन) भी बराबर के दोषी है |अब विक्रमिदित्य या शेर शाह सूरी जैसे न्यायवादी की आशा करना 
व्यर्थ है | यद्यपि एक साहित्य प्रेमी सदा धनात्मक सोच रख लिखता और चेतना जाग्रत करना का अविरल प्रयास  करता रहता है |

Laxmanprasad Ladiwala

RSS

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - ताने बाने में उलझा है जल्दी पगला जाएगा
"हा हा हा.. कमाल-कमाल कर जवाब दिये हैं आप, आदरणीय नीलेश भाई.  //व्यावहारिक रूप में तो चाँद…"
9 hours ago
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - तमन्नाओं को फिर रोका गया है
"धन्यवाद आ. रवि जी ..बस दो -ढाई साल का विलम्ब रहा आप की टिप्पणी तक आने में .क्षमा सहित..आभार "
15 hours ago
Nilesh Shevgaonkar commented on अजय गुप्ता 'अजेय's blog post ग़ज़ल (हर रोज़ नया चेहरा अपने, चेहरे पे बशर चिपकाता है)
"आ. अजय जी इस बहर में लय में अटकाव (चाहे वो शब्दों के संयोजन के कारण हो) खल जाता है.जब टूट चुका…"
17 hours ago
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - ताने बाने में उलझा है जल्दी पगला जाएगा
"आ. सौरभ सर .ग़ज़ल तक आने और उत्साहवर्धन करने का आभार ...//जैसे, समुन्दर को लेकर छोटी-मोटी जगह…"
18 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . लक्ष्य
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय जी ।  अब हम पर तो पोस्ट…"
19 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on शिज्जु "शकूर"'s blog post ग़ज़ल: मुराद ये नहीं हमको किसी से डरना है
"आ. भाई शिज्जू 'शकूर' जी, सादर अभिवादन। खूबसूरत गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - ताने बाने में उलझा है जल्दी पगला जाएगा
"आदरणीय नीलेश नूर भाई, आपकी प्रस्तुति की रदीफ निराली है. आपने शेरों को खूब निकाला और सँभाला भी है.…"
yesterday
अजय गुप्ता 'अजेय posted a blog post

ग़ज़ल (हर रोज़ नया चेहरा अपने, चेहरे पे बशर चिपकाता है)

हर रोज़ नया चेहरा अपने, चेहरे पे बशर चिपकाता है पहचान छुपा के जीता है, पहचान में फिर भी आता हैदिल…See More
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - वो कहे कर के इशारा, सब ग़लत ( गिरिराज भंडारी )
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। अच्छी गजल हुई है हार्दिक बधाई।"
Tuesday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - ताने बाने में उलझा है जल्दी पगला जाएगा
"आ. भाई नीलेश जी, सादर अभिवादन।सुंदर गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
Tuesday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . लक्ष्य
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। अच्छे दोहे हुए हैं हार्दिक बधाई।"
Monday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167 in the group चित्र से काव्य तक
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। इस मनमोहक छन्दबद्ध उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक आभार।"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service