For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

था कभी जो गाँव अपना शहर पुराना लगता है ( गीत )

बीती बातें याद कर मुस्कराना अच्छा लगता है
था कभी जो गाँव अपना शहर पुराना लगता है

मेड पर गिरते पड़ते छुप जाते थे खेतों में
नदी किनारे बनाते घरोंदे मिटाते थे रेतों में
बरसते पानी में छप छपाना अच्छा लगता है
बीती बातें याद कर मुस्कराना अच्छा लगता है

कूकती कोयल अमरिया आसमा की अरुणाई
तप्त दुपहरिया पेड़ तले सालन रोटी खाई
माँ के हाथों घूंघट ओट मुस्कराना अच्छा लगता है
बीती बातें याद कर मुस्कराना अच्छा लगता है

वो रहट की आवाजें वो गन्ने के खेत
दूर कहीं छुप जाते होती किसी से न भेंट
मिल जुल के सपने सुनाना अच्छा लगता है
बीती बातें याद कर मुस्कराना अच्छा लगता है

बाग़ में झूलते सावन के मौसम में
भीगते छुप जाते माँ के आँचल में
बीन बीन के आम खाना अच्छा लगता है
बीती बातें याद कर मुस्कराना अच्छा लगता है

दूर तलक छायी हरियाली पक्षियों की उड़ान
बस्ता बांधे स्कूल जाते लेने बढ़िया ज्ञान
घर आते बिस्तर में घुस जाना अच्छा लगता है
बीती बातें याद कर मुस्कराना अच्छा लगता है

कठपुतली का नाच और गाँव के मेले
नाचते फिरते घर घर थे न कोई झमेले
सखियों के संग बैठ गाना अच्छा लगता है
बीती बातें याद कर मुस्कराना अच्छा लगता है

भेज दिया बाबुल ने पीहर से मोरे पिया के संग
जब लौट के आई वापस देख के रह गयी दंग
बदला मंजर देख कर अब रोना लगता है
बीती बातें याद कर मुस्कराना अच्छा लगता है

दूर तलक छाई हरियाली अब नहीं दिखती
प्यार था हर दिल में अब सब चीज यहाँ बिकती
था कभी मौसम हंसी अब हर शक्श बेगाना लगता है
बीती बातें याद कर मुस्कराना अच्छा लगता है

सांझ ढले लौटते पग घुंघरू छन छन की आवाज
सन्नाटे को चीरते दूर तलक झींगुर के वो साज
बदल गया सब कुछ इतना सब अनजाना लगता है
बीती बातें याद कर मुस्कराना अच्छा लगता है

बरसात की शीतल बयरिया बाग़ में नाचे मयुरिया
मुरली की धुन पे नाचे गोरी छम छम बाजे पायलिया
अब कहाँ वो सब अब तो डी जे गाना लगता है
बीती बातें याद कर मुस्कराना अच्छा लगता है

Views: 944

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on June 16, 2012 at 5:08pm

आदरणीय योगेश जी , सादर 

आपके आनंद में ही मेरा परमानंद है. 

पुनः धन्यवाद 

Comment by yogesh shivhare on June 15, 2012 at 6:39pm

सांझ ढले लौटते पग घुंघरू छन छन की आवाज
सन्नाटे को चीरते दूर तलक झींगुर के वो साज
बदल गया सब कुछ इतना सब अनजाना लगता है
बीती बातें याद कर मुस्कराना अच्छा लगता है

बहुत सुन्दर आदरणीय प्रदीप जी जितनी बार पढ़ी उतनी बार एक नया आनंद प्राप्त हुआ ..बधाई हो

Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on June 15, 2012 at 3:20pm

आदरणीय अलबेला खत्री जी, सादर 

इतनी सुन्दर टिप्णी है की रचना फीकी पड़ गयी. धन्यवाद. 

Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on June 15, 2012 at 3:18pm

आदरणीय भाई उमा शंकर जी, सादर 

गुनगुनाइए . धन्यवाद.

Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on June 15, 2012 at 3:16pm

आदरणीय अरुण कान्त जी सादर 

धन्यवाद.

Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on June 15, 2012 at 3:15pm

आदरणीय भाई जी, शुक्रिया. सादर 

Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on June 15, 2012 at 3:13pm

बहुत बहुत धन्यवाद आदरणीय बिश्वजीत जी सादर 

Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on June 15, 2012 at 3:11pm

धन्यवाद आदरणीय बाली जी, सादर 

Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on June 15, 2012 at 3:10pm

आदरणीय योगी जी, सादर 

धन्यवाद. 

Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on June 15, 2012 at 3:08pm

आदरणीय योगेश जी, सादर 

धन्यवाद 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"दीपोत्सव क्या निश्चित है हार सदा निर्बोध तमस की? दीप जलाकर जीत ज्ञान की हो जाएगी? क्या इतने भर से…"
45 minutes ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"धन्यवाद आदरणीय "
3 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"ओबीओ लाइव महा उत्सव अंक 179 में स्वागत है।"
3 hours ago
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"स्वागतम"
3 hours ago
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
5 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' left a comment for मिथिलेश वामनकर
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। जन्मदिन की शुभकामनाओं के लिए हार्दिक आभार।"
20 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post साथ करवाचौथ का त्यौहार करके-लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन।गजल पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक आभार।"
20 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post साथ करवाचौथ का त्यौहार करके-लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, करवा चौथ के अवसर पर क्या ही खूब ग़ज़ल कही है। इस बेहतरीन प्रस्तुति पर…"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

साथ करवाचौथ का त्यौहार करके-लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

२१२२/२१२२/२१२२ **** खुश हुआ अंबर धरा से प्यार करके साथ करवाचौथ का त्यौहार करके।१। * चूड़ियाँ…See More
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post गहरी दरारें (लघु कविता)
"आदरणीय सुरेश कुमार कल्याण जी, प्रस्तुत कविता बहुत ही मार्मिक और भावपूर्ण हुई है। एक वृद्ध की…"
yesterday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
Wednesday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर left a comment for लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार की ओर से आपको जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनाएं।"
Tuesday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service