For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

लोग कह उठें शाबा शाबा बाबाजी

दहशत-वहशत, ख़ूनखराबा  बाबाजी

गुंडई  ने है  अमन को चाबा बाबाजी
 
काम से ज़्यादा संसद में अब होता है
हल्ला-गुल्ला, शोर-शराबा  बाबाजी

मैक्डोनाल्ड में रौनक बढती जाती है
उजड़ रहा पंजाबी ढाबा बाबाजी

मन मधुबन के भीतर सारे तीरथ हैं 
काशी-वाशी , क़ाबा-वाबा बाबाजी

देश समूचा खा कर ही पिंड छोड़ेंगे
दिल्ली पर जिनका है ताबा बाबाजी

कवि हो तो 'अलबेला' ऐसा गीत लिखो
लोग कह उठें  शाबा शाबा बाबाजी

  जय हिन्द !

Views: 868

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Albela Khatri on June 8, 2012 at 8:18pm

आपकी सराहना  और सहमति के लिए  हार्दिक आभार  योगेश शिवहरे जी.......

Comment by yogesh shivhare on June 8, 2012 at 8:01pm

काम से ज़्यादा संसद में अब होता है
हल्ला-गुल्ला, शोर-शराबा  बाबाजी

bilkul sach kaha apne ..yahi to ho raha hai

Comment by Albela Khatri on June 6, 2012 at 6:42pm

आदर्य योगराज प्रभाकर भाईजी,
यह सच है कि  आप कभी ग़ैर संजीदा  नहीं होते,  लेकिन ये भी उतना ही सच है कि मैं कभी  संजीदा नहीं होता ........फिर भी कमाल देखिये  मोहब्बत और भाईचारे का  कि  दोनों इक दूजे  को न केवल पसन्द करते हैं बल्कि  सम्मान भी देते हैं ........बहरहाल  आपकी टिप्पणी मेरे लिए बहुत मायने रखती है
धन्यवाद  आपके  द्वारा मिलने  वाली शाब्दिक ऊर्जा का .


प्रधान संपादक
Comment by योगराज प्रभाकर on June 6, 2012 at 3:26pm

अलबेला भाई जी, विश्वास रखें मैं कभी भी गैर संजीदा टिप्पणी नहीं दिया करता. रचना अच्छी लगे या बुरी, जो कहता हूँ दिल से ही कहता हूँ. सादर.

Comment by Albela Khatri on June 6, 2012 at 12:28pm

सम्मान्य योगराज प्रभाकर जी,

मेरे लिए इससे ज़्यादा ख़ुशी की बात और क्या हो सकती है कि मेरी तुकबन्दियाँ आपको  पसन्द आ रही हैं . यदि आप मन से कह रहे हैं  तो मेरे लिए सन्तोष की बात है और  यदि मेरा मन रखने के लिए कह रहे हैं  तो यह स्नेह  सदा बनाए रखिये.............

सादर


प्रधान संपादक
Comment by योगराज प्रभाकर on June 6, 2012 at 11:56am

वाह वाह वाह !!!! एक एक बंद सच्चाई बयां कर रहा है, पढ़ कर मन आनंदित हो उठा. अलबेला भाई जी, हार्दिक बधाई स्वीकार करें.

Comment by Albela Khatri on June 6, 2012 at 8:02am

आपका हार्दिक धन्यवाद  आशीष यादव जी......

Comment by आशीष यादव on June 6, 2012 at 7:37am
वाह वाह है बाबा जी।
मजेदार प्रस्तुति। आप की रचना का ढँग ही निराला है
Comment by Albela Khatri on June 5, 2012 at 11:31pm

सौरभ पाण्डेय जी,
धन्य कर दिया आपने..........दिल खोल कर दाद दी.......
ख़ून बढ़ गया .........आभारी हूँ

 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on June 5, 2012 at 11:21pm

मन मधुबन के भीतर सारे तीरथ हैं
काशी-वाशी , क़ाबा-वाबा बाबाजी.. 

वाह-वाह ! इस अंदाज़ को मेरा सलाम.  आपकी शान को नज़्र -

अलबेला तो अलबेला है, कह देगा
हर हिस्से का हाबा-काबा बाबाजी.. . 

 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर updated their profile
6 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"आदरणीया प्रतिभा जी, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। बहुत बहुत धन्यवाद। आपने सही कहा…"
Wednesday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"जी, शुक्रिया। यह तो स्पष्ट है ही। "
Tuesday
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"सराहना और उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक आभार आदरणीय उस्मानी जी"
Tuesday
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"लघुकथा पर आपकी उपस्थित और गहराई से  समीक्षा के लिए हार्दिक आभार आदरणीय मिथिलेश जी"
Tuesday
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"आपका हार्दिक आभार आदरणीया प्रतिभा जी। "
Tuesday
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"लेकिन उस खामोशी से उसकी पुरानी पहचान थी। एक व्याकुल ख़ामोशी सीढ़ियों से उतर गई।// आहत होने के आदी…"
Sep 30
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"प्रदत्त विषय को सार्थक और सटीक ढंग से शाब्दिक करती लघुकथा के लिए हार्दिक बधाई स्वीकार करें आदरणीय…"
Sep 30
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"आदाब। प्रदत्त विषय पर सटीक, गागर में सागर और एक लम्बे कालखंड को बख़ूबी समेटती…"
Sep 30
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"हार्दिक धन्यवाद आदरणीय मिथिलेश वामनकर साहिब रचना पटल पर अपना अमूल्य समय देकर प्रतिक्रिया और…"
Sep 30
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"तहेदिल बहुत-बहुत शुक्रिया जनाब मनन कुमार सिंह साहिब स्नेहिल समीक्षात्मक टिप्पणी और हौसला अफ़ज़ाई…"
Sep 30

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"आदरणीया प्रतिभा जी प्रदत्त विषय पर बहुत सार्थक और मार्मिक लघुकथा लिखी है आपने। इसमें एक स्त्री के…"
Sep 30

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service