For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

कुण्डलिया (एक प्रयास)
 
 
आँखों में सपने सजा, होंठों पर मुस्कान
साजन औ सजनी चले, प्रेम डगर अंजान
प्रेम डगर अंजान, संग हों जीवन साथी
रौशन हर इक राह, बने जो दीपक बाती    
नैया होती पार, भले हो तूफाँ लाखों
निष्ठा और कर्तव्य, बसे हों जिनकी आँखों....

Views: 840

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on May 24, 2012 at 11:46am

आदरणीय गणेश बागी जी, कुण्डलिया पर मेरे प्रयास को सरह्कर प्रोत्साहित करने के लिए हार्दिक आभार.. कृपया आपके द्वारा इंगित अंतिम भाग (आँखों..) में यथोचित संशोधन कर के मुझे भी उदाहरण द्वारा समझाने का कष्ट करें कि अटकन कैसे दूर की जाए

आभार. सादर


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on May 24, 2012 at 11:42am

आदरणीय अशोक कुमार जी, आदरणीय अविनाश बागडे जी, कुण्डलिया पर मेरे प्रथम प्रयास को सराहने के लिए हार्दिक आभार


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on May 22, 2012 at 12:53pm

डॉ साहिबा अच्छी रचना , उचित प्रयास किन्तु अंतिम पक्ति अटक रही है , (आँखों वाला पार्ट) 

Comment by Ashok Kumar Raktale on May 20, 2012 at 8:46am

प्राची जी
सादर, बहुत सुन्दर छंद काव्य सार्थक प्रयास. बधाई.

Comment by AVINASH S BAGDE on May 18, 2012 at 9:08pm

प्रेम डगर अंजान, संग हों जीवन साथी
रौशन हर इक राह, बने जो दीपक बाती    sunder kundaliya Dr Prachi ji


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on May 18, 2012 at 9:34am
हार्दिक आभार अजय कुमार बोहाट जी .

सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on May 18, 2012 at 9:33am

हार्दिक आभार आदरणीया राजेश कुमारी जी, आपके द्वारा इस कुंडली छंद का अनुमोदन मेरे लिए बहुमूल्य है


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on May 18, 2012 at 9:31am
हार्दिक आभार भावेश राजपाल जी

सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on May 18, 2012 at 9:31am
हार्दिक आभार आशीष यादव जी
Comment by AjAy Kumar Bohat on May 17, 2012 at 9:08pm

नैया होती पार, भले हो तूफाँ लाखों
निष्ठा और कर्तव्य, बसे हों जिनकी आँखों....

bahut sundar... 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"स्वागतम"
3 hours ago
धर्मेन्द्र कुमार सिंह posted a blog post

देवता चिल्लाने लगे हैं (कविता)

पहले देवता फुसफुसाते थेउनके अस्पष्ट स्वर कानों में नहीं, आत्मा में गूँजते थेवहाँ से रिसकर कभी…See More
5 hours ago
धर्मेन्द्र कुमार सिंह commented on धर्मेन्द्र कुमार सिंह's blog post देश की बदक़िस्मती थी चार व्यापारी मिले (ग़ज़ल)
"बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीय,  मिथिलेश वामनकर जी एवं आदरणीय  लक्ष्मण धामी…"
6 hours ago
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185

परम आत्मीय स्वजन, ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 185 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का…See More
Wednesday
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
Wednesday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, प्रस्तुति पर आपसे मिली शुभकामनाओं के लिए हार्दिक धन्यवाद ..  सादर"
Wednesday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

आदमी क्या आदमी को जानता है -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

२१२२/२१२२/२१२२ कर तरक्की जो सभा में बोलता है बाँध पाँवो को वही छिप रोकता है।। * देवता जिस को…See More
Tuesday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
Monday
Sushil Sarna posted blog posts
Nov 6
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आ. भाई सौरभ जी, सादर अभिवादन। बेहतरीन गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
Nov 5
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

देवता क्यों दोस्त होंगे फिर भला- लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

२१२२/२१२२/२१२ **** तीर्थ जाना  हो  गया है सैर जब भक्ति का यूँ भाव जाता तैर जब।१। * देवता…See More
Nov 5

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey posted a blog post

कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ

२१२२ २१२२ २१२२ जब जिये हम दर्द.. थपकी-तान देते कौन क्या कहता नहीं अब कान देते   आपके निर्देश हैं…See More
Nov 2

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service