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मुझे दुनिया नहीं, मुझे तुम्हारा साथ चाहिए.

जीवन पथ पर तुम्हारा स्नेह चाहिए .

प्रेम की पराकाष्ठ में ही नहीं,

कंटीले पथ पर भी तुम्हारी बाँहें चाहिए.

 

मैं जब मुस्कुराऊं, तो तुम्हारे ठहाके चाहिए.

और जो रो दूँ घबरा के तन्हाई में,

तो तुम्हारा संबल चाहिए. 

 

सच कहूँ तो किश्तों किश्तों में नहीं,

मुझे इस जीवन में तुम्हारा संपूर्ण समर्पण चाहिए.    

                                                                                                                                                                                                    मोनिका जैन "डोली"

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Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on March 10, 2012 at 6:57pm

सच कहूँ तो किश्तों किश्तों में नहीं,

मुझे इस जीवन में तुम्हारा संपूर्ण समर्पण चाहिए.    

बहुत सुंदर , बधाई. 

Comment by minu jha on March 10, 2012 at 11:15am

बहुत अच्छा लिखा है मोनिका जी

हर किसी के दिल में छुपी भावनाओं को सुंदर शब्दों में ढालने की ढेर

सारी बधाईयां

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