For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

कटी पतंग (एक बलात्कार -पीड़िता का ग़म)

 
ना मैं हंसी हूँ - ना मैं ख़ुशी हूँ, ना मैं रंग -उमंग हूँ.
मेरा जीवन एक अफसाना , मैं एक कटी पतंग हूँ.
डोर से कटकर लटक गयी हूँ, मंजिल -पथ से भटक गयी हूँ.
कोई रंग चढ़े भी कैसे , मैं ऐसा बदरंग हूँ.
मेरा जीवन एक अफसाना , मैं एक कटी पतंग हूँ.
तूफानों में जकड़ गयी हूँ, साहिल से मैं बिछड़ गयी हूँ.
किस मुँह से बाबुल से कहूँ मैं, रंज़ोग़म के संग हूँ.
मेरा जीवन एक अफसाना , मैं एक कटी पतंग हूँ.
किस -किस का मैं दोष गिनाऊं, किस -किस को शूली पे चढ़ाऊं.
मर्दों की नामर्दी देख के, सच कहती मैं दंग हूँ .
मेरा जीवन एक अफसाना , मैं एक कटी पतंग हूँ.
                      ........... सतीश मापतपुरी

Views: 559

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by राज लाली बटाला on March 8, 2012 at 9:39pm

मर्दों की नामर्दी देख के, सच कहती मैं दंग हूँ .!khoob

Comment by satish mapatpuri on March 8, 2012 at 7:48pm
मीनू जी और हरीश जी , सराहना के लिए दिल से आभार
Comment by Harish Bhatt on March 6, 2012 at 2:29am

आदरणीय सतीश जी सादर प्रणाम

दिल को झकझोरने वाली रचना के लिए बधाई.

Comment by minu jha on March 5, 2012 at 4:27pm

भाव विह्वल करती रचना सतीश जी,बधाई

Comment by satish mapatpuri on March 5, 2012 at 12:21am
सराहना के लिए आभार प्रदीप जी और शैलेन्द्र जी 
Comment by CA (Dr.)SHAILENDRA SINGH 'MRIDU' on March 4, 2012 at 7:02pm

आदरणीय सतीश सर बहुत ही भाव पूर्ण रचना  ,बधाई स्वीकार करें 

Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on March 4, 2012 at 6:51pm

कोई रंग चढ़े भी कैसे , मैं ऐसा बदरंग हूँ.

KYA BAAT HAI. SUNDAR BHAV, SIR JI, BADHAI.

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"आदरणीया प्रतिभा जी, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। बहुत बहुत धन्यवाद। आपने सही कहा…"
Wednesday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"जी, शुक्रिया। यह तो स्पष्ट है ही। "
Tuesday
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"सराहना और उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक आभार आदरणीय उस्मानी जी"
Tuesday
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"लघुकथा पर आपकी उपस्थित और गहराई से  समीक्षा के लिए हार्दिक आभार आदरणीय मिथिलेश जी"
Tuesday
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"आपका हार्दिक आभार आदरणीया प्रतिभा जी। "
Tuesday
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"लेकिन उस खामोशी से उसकी पुरानी पहचान थी। एक व्याकुल ख़ामोशी सीढ़ियों से उतर गई।// आहत होने के आदी…"
Tuesday
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"प्रदत्त विषय को सार्थक और सटीक ढंग से शाब्दिक करती लघुकथा के लिए हार्दिक बधाई स्वीकार करें आदरणीय…"
Tuesday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"आदाब। प्रदत्त विषय पर सटीक, गागर में सागर और एक लम्बे कालखंड को बख़ूबी समेटती…"
Tuesday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"हार्दिक धन्यवाद आदरणीय मिथिलेश वामनकर साहिब रचना पटल पर अपना अमूल्य समय देकर प्रतिक्रिया और…"
Tuesday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"तहेदिल बहुत-बहुत शुक्रिया जनाब मनन कुमार सिंह साहिब स्नेहिल समीक्षात्मक टिप्पणी और हौसला अफ़ज़ाई…"
Tuesday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"आदरणीया प्रतिभा जी प्रदत्त विषय पर बहुत सार्थक और मार्मिक लघुकथा लिखी है आपने। इसमें एक स्त्री के…"
Tuesday
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"पहचान ______ 'नवेली की मेंहदी की ख़ुशबू सारे घर में फैली है।मेहमानों से भरे घर में पति चोर…"
Tuesday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service