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पल पल बढ़ चल 

बढ़ चल बढ़ चल....

 

पढ़ कर हर पल, 

चढ़ नभ थल जल. 

 

पल पल बढ़ चल.... 

 

कर कर कर छल 

तन कर मत चल  

मन मन मत जल 

तज मन छल खल  

पल पल बढ़ चल..... 

 

कर पर धन चट 

मत कर झन झट, 

लख अब मर घट 

जन गण मन रट 

बढ़ चल सर पट  

बढ़ चल बढ़ चल.... 

 

पर धन पर पल 

मत कर सब हल 

तज कर अब छल 

कर मन, सम जल 

बढ़ चल बढ़ चल....... 

 

पथ पर पनघट, 

भर झट पट घट 

बढ़ चल बढ़ चल 

बढ़ चल बढ़ चल.... 

कवि : डा. अजय कुमार शर्मा

Note : Bina Matra ki Kavita in HINDI.....

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Comment by Dr Ajay Kumar Sharma on December 29, 2011 at 12:29pm

हृदय से आभार ..सभी संचालकों का ...नमन
डा . अजय कुमार शर्मा

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