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आदरणीय साथियो
सादर वन्दे !

केवल साहित्यक रचनायों को प्रकाशित करना ही ओबीओ का एकमात्र उद्देश्य नहीं रहा, बल्कि साहित्य की विभिन्न विधायों में अपने फन की धार और तेज़ करने के मकसद से भी यहाँ बहुत संजीदगी से काम किया जाता है ! इसी उपलक्ष्य में ओबीओ के मंच पर हर माह तीन भव्य साहित्यक आयोजन करवाए जाते हैं !, "ओबीओ लाइव तरही मुशायरा", "ओबीओ लाईव महाउत्सव" तथा  "चित्र से काव्य प्रतियोगिता" ! जहाँ तरही मुशायरे में रचनाकारों को दिए गए तरही मिसरे पर ग़ज़ल कहने की दावत दी जाती है, तो वहीँ महाउत्सव में एक विषय विशेष पर अपनी बात कहने का आमंत्रण दिया जाता है ! तीसरे आयोजन यानि कि "चित्र से काव्य प्रतियोगिता" में रचनाधर्मियों को एक दिए गए चित्र को अपनी कविता के माध्यम से परिभाषित करने के लिए कहा जाता है ! रचनाकार को चित्र के हर छुए-अनछुए पहलू पर बहुत ही पैनी नज़र रखते हुए अपनी बात कहनी होती है, जोकि बहुत सरल काम नहीं है ! 

ओबीओ के मंच पर "ओबीओ लाइव तरही मुशायरा" के १५, "ओबीओ लाईव महाउत्सव" के १० तथा  "चित्र से काव्य प्रतियोगिता" के ६ बेहद सफल आयोजनों के बाद  "चित्र से काव्य प्रतियोगिता" अंक-७ का आयोजन श्री अम्बरीष श्रीवास्तव जी के कुशल संचालन में दिनांक १७ अक्टूबर से १९ अक्टूबर २०११ तक की अवधि में सफलतापूर्वक संपन्न हुआ !

"चित्र से काव्य प्रतियोगिता" अंक-७ का शुभारम्भ भी संयोगवश श्री अम्बरीष श्रीवास्तव जी के कुण्डलिया छंद से ही हुआ !  तीन दिन तक चली इस प्रतियोगिता में "प्रतियोगिता के लिए" तथा "प्रतियोगिता से अलग" लगभग ३ दर्जन रचने प्रस्तुत की गईं जिन्हें मिलकर कुल ६५४ कमेंट्स/एंट्रीज़ रहीं !  काव्य की विभिन्न विधायों कुंडली, दोहा, हाईकु, गीत, ग़ज़ल, छन्दमुक्त कविता, सवय्या, कहमुकरी, घनाक्षरी छंद इत्यादि में दिए गए चित्र को बहुत ही सुन्दरता से परिभाषित किया गया ! श्री दिलबाग विर्क जी जोकि ब्लॉग जगत के जाने माने चेहरे हैं, उनका इस आयोजन के माध्यम से ओबीओ के साथ जुड़ना हमारे लिए गर्व की बात रही ! जिस तन्मयता से श्रीमती सिया सचदेव जी तथा श्री अविनाश बागडे जी इस दफा सरगर्म रहे , वह भी हर्ष का विषय रहा ! अन्य रचनाकारों की रचनायों पर श्री अश्विनी रमेश जी को टिप्पणियाँ देते देखना भी एक सुखद अनुभव रहा !

हर बार की तरह  इस बार भी  पाठक केवल कोरी वाहवाही तक ही सीमित नहीं रहे,  बल्कि उन्होंने रचनायों पर दिल खोल कर न केवल टिप्पणियाँ ही दीं बल्कि रचनाकारों को उचित सुझाव भी दिए ! रचनायों पर इतनी विस्तृत और सारगर्भित टिप्पणियाँ देने का जो चलन ओबीओ से प्रारंभ हुआ उसे देखकर हर रचनाधर्मी मन प्रफुल्लित हो जाना स्वाभाविक है ! जिस प्रकार आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी, श्री अम्बरीष श्रीवास्तव जी, श्री गणेश बाग़ी जी, संजय मिश्र हबीब जी  एवं श्री बृज भूषण चौबे जी ने पूरे तीन दिन आयोजन को अपनी सारगर्भित टिप्पणियों से गतिमान रखा उसके लिए उन्हें कोटिश नमन ! छंद के जवाब में छंद कहना हरेक के बूते की बात नहीं, मगर श्री अम्बरीष श्रीवास्तव जी, श्री सौरभ पांडे जी एवं भाई संजय मिश्र हबीब जी ने जिस सहजता से यह काम किया वह हम सब के लिए गर्व का विषय है ! कहमुकरी विधा पर संजीदगी से काम करने के लिए भी भाई संजय मिश्र हबीब जी साधुवाद के पात्र हैं !  

निजी व्यस्त्तयों के चलते मैं इस आयोजन में शरीक होने से वंचित रहा जिसका मुझे बेहद अफ़सोस है ! मैं इस आयोजन में सम्मिलित सभी रचनाकारों व पाठकों का दिल से शुक्रिया अदा करता हूँ जिन्होंने आयोजन को सफल बनाने में अपना बहुमूल्य योगदान दिया ! मैं सभी साथियों से एक गुज़ारिश भी करना चाहूँगा कि बहुत बेहतर होगा कि वे अपनी टिप्पणियाँ भी देवनागरी में ही दें, अंग्रेजी में दी गई प्रतिक्रियाएँ ज़रा अटपटी सी महसूस होती हैं !  

अन्य में मैं ओबीओ के बाणी श्री गणेश बाग़ी जी एवं "चित्र से काव्य प्रतियोगिता" के संचालक भाई अम्बरीष श्रीवास्तव जी को इस कामयाब आयोजन की बधाई देता हूँ ! जय ओबीओ ! सादर !

योगराज प्रभाकर
(प्रधान सम्पादक)

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Replies to This Discussion

आदरणीय सिया सचदेव जी - सादर आभार ! 

आदरणीय योगी जी,                                                                                                                                       नागपुर:२५/१०/११.

  चित्र से काव्य प्रतियोगिता के समापन पर जिस बेखुबी व् बेबाकी से आपने अपना मनोगत प्रस्तुत किया है वह सटीक तथा शानदार है.
निसंदेह इस प्रतियोगिता में चित्र को मद्दे नज़र की गई सभी रचनाये लाजवाब रही और उससे भी ज्यादा सारगर्भित,  रचनाकारों का इक दूसरे की रचनाओं के प्रति किया गया खुले मन से संवाद.
  परदे के पीछे ओ बी ओ के कर्णधारो सर्व श्री बागी जी,धर्मेन्द्र जी,सोरभ जी तथा संयोजक अम्बरीश जी के प्रयासों का कोई जवाब नहीं.
मेरी रचनाओं को मान देकर निर्णायको ने जिस तरह से मुझे नायक बनाया उस हेतु ह्रदय से आभार.साथ ही श्रीमती सिया जी व् श्रीमती मोहिनी जी को भी बधाइयाँ.
 पुनःश्च आप सभी का धन्यवाद्.
आपका अपना
अविनाश बागडे.

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