For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

قتل حین

कातिल हैं

तेरी बेरुखी तेरा ग़म
मेरी तकदीर में शामिल है
कभी तो करते हमपे यकीं
के हम भी तेरे काबिल हैं
तेरी बेरुखी तेरा ग़म----
लाख जुदाई हो तो क्या
यादों में कभी हो ना कमीं
बचा लेंगे मंझधार से भी
हम ही तेरे साहिल हैं
तेरी बेरुखी तेरा ग़म----
क़त्ल भी कर दो उफ़ ना करें
हँसते हँसते मर जाएंगे
ना ज़िक्र करेंगे दुनियां से
कि आप ही मेरे कातिल हैं
तेरी बेरुखी तेरा ग़म----
हम 'दीपक' थे जल जाते खुद
क्यों आपने ज़हमत की ए-दोस्त
अफ़सोस है मुझे जलाने में
आप भी तो शामिल हैं
तेरी बेरुखी तेरा ग़म---

दीपक शर्मा 'कुल्लुवी'
09136211486
دیپاک شارما کوللووی

Views: 316

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Anand Vats on August 18, 2010 at 11:04am
जबरदस्त लिखा है | बहुत बहुत बधाई |

सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Rana Pratap Singh on August 17, 2010 at 11:15pm
बेहतरीन....अफ़सोस है मुझे जलाने में
आप भी तो शामिल हैं

दाद कबूल करे
Comment by Deepak Sharma Kuluvi on August 17, 2010 at 12:17pm
DHANYABAAD EVERYBODY
Comment by आशीष यादव on August 17, 2010 at 12:50am
हम 'दीपक' थे जल जाते खुद
क्यों आपने ज़हमत की ए-दोस्त
अफ़सोस है मुझे जलाने में
आप भी तो शामिल हैं
kya khubsurat panktiya pesh ki hai aapne.

मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on August 16, 2010 at 11:08pm
क़त्ल भी कर दो उफ़ ना करें
हँसते हँसते मर जाएंगे
ना ज़िक्र करेंगे दुनियां से
कि आप ही मेरे कातिल हैं
वाह दीपक साहब वाह, ऐसी मुहब्बत को कौन ना सजदा करेगा, अच्छी अभिव्यक्ति, इस शानदार रचना पर बहुत बहुत बधाई,

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"आदरणीय भाई लक्ष्मण धामी ' मुसफ़िर' जी सादर अभिवादन!आपका बहुत- बहुत धन्यवाद आपने वक़्त…"
5 minutes ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"आ. भाई दयाराम जी, सादर अभिवादन। अच्छी गजल हुई है । हार्दिक बधाई।"
46 minutes ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"आ. भाई जयहिन्द जी, सादर अभिवादन।सुंदर गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
48 minutes ago
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी सादर नमस्कार आपका बहुत धन्यवाद आपने समय दिया ग़ज़ल तक आए और मेरा हौसला…"
53 minutes ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। बहुत सुंदर गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
5 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"जी, सादर आभार।"
5 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"आ. रिचा जी, अभिवादन। अच्छी गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
5 hours ago
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"जी सहृदय शुक्रिया आदरणीय इस मंच के और अहम नियम से अवगत कराने के लिए"
9 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। सादर"
10 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"आदरणीय दयाराम मैठानी जी बहुत बढ़िया ग़ज़ल कही है। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई स्वीकारें। सादर"
10 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"मेरे कहे को मान देने के लिए हार्दिक आभार। आपका सुधार श्लाघनीय है। सादर"
10 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"मेरे कहे को मान देने के लिए हार्दिक आभार। सादर"
10 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service