For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

"OBO लाइव महा उत्सव" अंक १० (छंद विशेषांक) {Now closed with 673 Reply}

सभी साहित्य प्रेमियों को

प्रणाम !

साथियों जैसा की आप सभी को ज्ञात है ओपन बुक्स ऑनलाइन पर प्रत्येक महीने के प्रारंभ में "महा उत्सव" का आयोजन होता है, उसी क्रम में ओपन बुक्स ऑनलाइन प्रस्तुत करते है ......

 

"OBO लाइव महा उत्सव" अंक  १० (छंद विशेषांक)

इस बार महा उत्सव का विषय है "रक्षा बंधन"

आयोजन की अवधि :- ७ अगस्त २०११ रविवार से ०९ अगस्त २०११ मंगलवार तक

महा उत्सव के लिए दिए गए विषय को केन्द्रित करते हुए आप सभी अपनी अप्रकाशित रचना छंद काव्य विधा में स्वयं द्वारा लाइव पोस्ट कर सकते है साथ ही अन्य साथियों की रचनाओं पर लाइव टिप्पणी भी कर सकते है |

इस बार हम प्रस्तुत कर रहे है "छंद विशेषांक" यानी इस अंक में केवल भारतीय छंद विधा में काव्य प्रस्तुत किये जा सकेंगे |

भारतीय छंद के कुछ प्रचलित प्रकार निम्न है ....

दोहा, रोला, चौपाई, कुंडलिया, कवित्त/घनाक्षरी, छप्पय, सवैया, हरिगीतिका इत्यादि |

साथियों बड़े ही हर्ष के साथ कहना है कि आप सभी के सहयोग से साहित्य को समर्पित ओबिओ मंच नित्य नई बुलंदियों को छू रहा है OBO परिवार आप सभी के सहयोग के लिए दिल से आभारी है, इतने अल्प समय में बिना आप सब के सहयोग से कीर्तिमान पर कीर्तिमान बनाना संभव न था |

इस १० वें महा उत्सव में भी आप सभी साहित्य प्रेमी, मित्र मंडली सहित आमंत्रित है, इस आयोजन में अपनी सहभागिता प्रदान कर आयोजन की शोभा बढ़ाएँ, आनंद लूटें और दिल खोल कर दूसरे लोगों को भी आनंद लूटने का मौका दें |

अति आवश्यक सूचना :- इस छंद विशेषांक में सिर्फ और सिर्फ भारतीय छंद आधारित रचनायें ही पोस्ट करने की कृपा करें, नियम विरुद्ध व निम्न स्तरीय प्रस्तुति को बिना कोई कारण बताये और बिना कोई पूर्व सूचना दिए प्रबंधन सदस्यों द्वारा अविलम्ब हटा दिया जायेगा, जिसके सम्बन्ध में किसी भी किस्म की सुनवाई नहीं की जायेगी |

( फिलहाल Reply Box बंद रहेगा जो ७ अगस्त लगते ही खोल दिया जायेगा )

यदि आप अभी तक ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार से नहीं जुड़ सके है तो www.openbooksonline.com पर जाकर प्रथम बार sign up कर लें |

नोट :- यदि आप ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार के सदस्य है और किसी कारण वश महा इवेंट के दौरान अपनी रचना पोस्ट करने मे असमर्थ है तो आप अपनी रचना एडमिन ओपन बुक्स ऑनलाइन को उनके इ- मेल admin@openbooksonline.com पर ७ अगस्त से पहले भी भेज सकते है, योग्य रचना को आपके नाम से ही महा उत्सव प्रारंभ होने पर पोस्ट कर दिया जायेगा, ध्यान रखे यह सुविधा केवल OBO के सदस्यों हेतु ही है |

( "OBO लाइव महा उत्सव" सम्बंधित किसी भी तरह के पूछताक्ष हेतु पर यहा...

मंच संचालक

धर्मेन्द्र शर्मा (धरम)

Views: 14226

Replies are closed for this discussion.

Replies to This Discussion

 

सादर................

सौरभ भईया...

एकदम दिल तक पहुंचते हैं आपके दोहे...

"दोहे बांचे बैठ के, सौरभ भाई पास.

हर दोहा है दे रहा, ऐसा ही आभास."

सादर नमन...

संजयभइया को कहूँ अपना बहुत आभार

असर करे सत्संग क्या, देख लिया इसबार.

bahot uttam

 

आपकी है प्रतिक्रिया,  मेरे  लिये  फुहार..

धन्यवाद मुमताज़जी, ’उत्तम बहुत’ दुलार !!

 

हर बहना को जान से प्यारा मनभावन राखी त्यौहार.

भाई द्वारा रक्षा के आश्वासन का राखी त्यौहार.

धागा एक जो पर्व से बढ़कर धर्म -कर्म का गहना है.

भाई दौड़ा -दौड़ा आये कष्ट में जब भी बहना है.

ऐसा होता पूज्य -पुनीत औ पावन राखी का त्यौहार.

हर बहना को जान से प्यारा मनभावन राखी त्यौहार.

जाति-धरम औ कूल-समाज से राखी का नहीं है सरोकार.

वक़्त पे मदद मिले बहना को बहना का ये है अधिकार.

है कर्तव्य ये हर भाई का दे बहना को मान -सम्मान.

फ़र्ज़ और चाहत का संगम होता है राखी त्यौहार

हर बहना को जान से प्यारा मनभावन राखी त्यौहार.

कहता है तारीख़ हुई थीं एक अजीब वो घटना.

शाहे मुग़ल शाहजँहा को राखी भेजी हिन्दू -ललना .

ना वो भेद किया -ना सोचा झट से हुआ रवाना.

पर वह वक़्त पे पहुँच सका ना मिल न सकी हिन्दू -बहना.

हर एक साल में आता है सावन में राखी त्यौहार.

हर बहना को जान से प्यारा मनभावन राखी त्यौहार.

गीतकार -सतीश मापतपुरी

सतीश जी, आपको भी बधाई इतनी सुंदर रचना के लिये और इस पर्व पर आपको ढेरों शुभकामनायें. 

आदरणीय सतीश मापतपुरी जी, जैसा कि आप सबको पता है कि "OBO लाइव महा उत्सव" का यह अंक "छंद विशेषांक" है | आप की प्रस्तुत रचना किस छंद में लिखी गयी है कृपया उल्लेख करे और यदि संभव हो तो उस छंद विधान को भी लिख दे जिससे युवा रचनाधर्मियों को सिखने में मदद मिल सके |

धन्यवाद |  

एडमिन जी , आपके प्रश्न के स्पष्टीकरण में मैं मात्र यही कह सकता हूँ कि यह कविता छंद -विधान के तहत लिखी ही नहीं गयी है.मेरे इस जवाब से पुन: एक प्रश्न पैदा हो जाएगा कि तब आपने इस आयोजन में इस कविता को क्यों डाला? इसके लिए मैं अत्यंत विनम्र भाव से क्षमा प्रार्थी हूँ, OBO के तमाम साहित्यकार बंधुओं को जो अनजाने मैनें आहत किया है, उनसे करवद्ध खेद व्यक्त करता हूँ.मैं अपने समर्थन में कोई मिथ्या तर्क देना नहीं चाहूँगा,

क्योंकि मैं अवगत हूँ कि मेरी यह कविता वर्णिक , वर्णिक वृत्त,मात्रिक और मुक्त - छंद के किसी भी विधान के तहत नहीं है. मैं जानता था, फिर मैंने ऐसा क्यों किया? इस सन्दर्भ में संक्षेप में कुछ कहना चाहूँगा.मैं राखी पर "हरिगीतिका" में लिखने बैठा था.संभवत आपमें से कईयों को यह अनुभूति हुई होगी कि जब हम कोई कथा या कविता आदि कागज़ पर लिखने बैठते हैं तो पात्र,भाव,घटनाएं स्वत: सजीव हो उठती हैं और फिर रचनाकार उसी पथ पर चल पड़ता है या चलने को विवश हो जाता है जिधर पात्र, भाव या घटनाएं चलने को इंगित करते हैं.मैनें राखी पर जो कविता लिखा है उसके लिए मुझे वही शिल्प मिला.महा उत्सव का विषय मेरी पसंद का है, इसलिए मैं मित्रों तक अपनी रचना ले जाने से स्वयं को रोक न सका,किन्तु आपका सर्वाधिकार सुरक्षित है.आप मेरी इस कविता को आयोजन से हटाकर मेरे ब्लॉग में स्थान्तरित कर सकते हैं,मैं कदापि अन्यथा नहीं लूंगा.

एडमिन जी, मैं हिंदी साहित्य का बहुत उच्च कोटि का जानकार नहीं हूँ.मैं काव्य - लेखन में दो ही बात समझ पाता हूँ -- छंद युक्त कविता -- छंद मुक्त कविता.

sundar rachna satish jee bhaaeee bahan ke parv ka maan badhati is  kavita ke liye badhaaiyaan !!

आदरणीय सतीश मापतपुरी जी ! आपकी इस रचना के भाव बहुत अच्छे है जिसके लिए आपको बधाई ! कृपया आदरणीय एडमिन जी द्वारा पूछे गये प्रश्न का उत्तर दें !

आदरणीय श्रीवास्तव साहेब, आपके निर्देशानुसार मैं एडमिन जी का उतर दे दिया हूँ -- सूचनार्थ.

RSS

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Sushil Sarna posted blog posts
Thursday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आ. भाई सौरभ जी, सादर अभिवादन। बेहतरीन गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
Wednesday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

देवता क्यों दोस्त होंगे फिर भला- लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

२१२२/२१२२/२१२ **** तीर्थ जाना  हो  गया है सैर जब भक्ति का यूँ भाव जाता तैर जब।१। * देवता…See More
Wednesday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey posted a blog post

कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ

२१२२ २१२२ २१२२ जब जिये हम दर्द.. थपकी-तान देते कौन क्या कहता नहीं अब कान देते   आपके निर्देश हैं…See More
Nov 2
Profile IconDr. VASUDEV VENKATRAMAN, Sarita baghela and Abhilash Pandey joined Open Books Online
Nov 1
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदाब। रचना पटल पर नियमित उपस्थिति और समीक्षात्मक टिप्पणी सहित अमूल्य मार्गदर्शन प्रदान करने हेतु…"
Oct 31
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार। रचना पटल पर अपना अमूल्य समय देकर अमूल्य सहभागिता और रचना पर समीक्षात्मक टिप्पणी हेतु…"
Oct 31
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . सागर प्रेम

दोहा सप्तक. . . सागर प्रेमजाने कितनी वेदना, बिखरी सागर तीर । पीते - पीते हो गया, खारा उसका नीर…See More
Oct 31
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदरणीय उस्मानी जी एक गंभीर विमर्श को रोचक बनाते हुए आपने लघुकथा का अच्छा ताना बाना बुना है।…"
Oct 31

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय सौरभ सर, आपको मेरा प्रयास पसंद आया, जानकार मुग्ध हूँ. आपकी सराहना सदैव लेखन के लिए प्रेरित…"
Oct 31

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय  लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर जी, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार. बहुत…"
Oct 31

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहजाद उस्मानी जी, आपने बहुत बढ़िया लघुकथा लिखी है। यह लघुकथा एक कुशल रूपक है, जहाँ…"
Oct 31

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service