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रोला छंद . . . .

हृदय न माने बात, कभी वो काम न करना ।
सदा सत्य के साथ , राह  पर  चलते  रहना ।
पथ में  अनगिन  शूल , करेंगे   पैदा   बाधा ।
जीवन का संकल्प , छोड़ना कभी न आधा ।
***
जब तक तन में साँस , बहे यह   जीवन   धारा ।
विपदाओं  से  यार, भला   कब   जीवन   हारा ।
सुख - दुख का यह चक्र , सदा से चलता आया ।
उस दाता के खेल,  जीव यह  समझ  न   पाया ।
***
जब होता  अवसान ,मृदा  में  मिलती  काया ।
जब तक चलती साँस , साथ में चलती छाया ।
भोगों में  यह  जीव , सदा  ही  लिपटा  रहता ।
भक्ति भाव को छोड़, काम को जीवन कहता ।

सुशील सरना / 15-11-24

मौलिक एवं अप्रकाशित 

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Comment by Sushil Sarna 5 hours ago
आदरणीय जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय जी
Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on Friday

आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर रोला छंद हुए हैं। हार्दिक बधाई।

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