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"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-159

आदरणीय साहित्य प्रेमियो,

जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर नव-हस्ताक्षरों, के लिए अपनी कलम की धार को और भी तीक्ष्ण करने का अवसर प्रदान करता है. इसी क्रम में प्रस्तुत है :

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-159

विषय : "प्रतिशोध"

आयोजन अवधि- 13 जनवरी 2024, दिन शनिवार से 14 जनवरी 2024, दिन रविवार की समाप्ति तक अर्थात कुल दो दिन.

ध्यान रहे : बात बेशक छोटी हो लेकिन 'घाव करे गंभीर’ करने वाली हो तो पद्य- समारोह का आनन्द बहुगुणा हो जाए. आयोजन के लिए दिये विषय को केन्द्रित करते हुए आप सभी अपनी मौलिक एवं अप्रकाशित रचना पद्य-साहित्य की किसी भी विधा में स्वयं द्वारा लाइव पोस्ट कर सकते हैं. साथ ही अन्य साथियों की रचना पर लाइव टिप्पणी भी कर सकते हैं.

उदाहरण स्वरुप पद्य-साहित्य की कुछ विधाओं का नाम सूचीबद्ध किये जा रहे हैं --

तुकांत कविता, अतुकांत आधुनिक कविता, हास्य कविता, गीत-नवगीत, ग़ज़ल, नज़्म, हाइकू, सॉनेट, व्यंग्य काव्य, मुक्तक, शास्त्रीय-छंद जैसे दोहा, चौपाई, कुंडलिया, कवित्त, सवैया, हरिगीतिका आदि.

अति आवश्यक सूचना :-

रचनाओं की संख्या पर कोई बन्धन नहीं है. किन्तु, एक से अधिक रचनाएँ प्रस्तुत करनी हों तो पद्य-साहित्य की अलग अलग विधाओं अथवा अलग अलग छंदों में रचनाएँ प्रस्तुत हों.
रचना केवल स्वयं के प्रोफाइल से ही पोस्ट करें, अन्य सदस्य की रचना किसी और सदस्य द्वारा पोस्ट नहीं की जाएगी.
रचनाकारों से निवेदन है कि अपनी रचना अच्छी तरह से देवनागरी के फॉण्ट में टाइप कर लेफ्ट एलाइन, काले रंग एवं नॉन बोल्ड टेक्स्ट में ही पोस्ट करें.
रचना पोस्ट करते समय कोई भूमिका न लिखें, सीधे अपनी रचना पोस्ट करें, अंत में अपना नाम, पता, फोन नंबर, दिनांक अथवा किसी भी प्रकार के सिम्बल आदि भी न लगाएं.
प्रविष्टि के अंत में मंच के नियमानुसार केवल "मौलिक व अप्रकाशित" लिखें.
नियमों के विरुद्ध, विषय से भटकी हुई तथा अस्तरीय प्रस्तुति को बिना कोई कारण बताये तथा बिना कोई पूर्व सूचना दिए हटाया जा सकता है. यह अधिकार प्रबंधन-समिति के सदस्यों के पास सुरक्षित रहेगा, जिस पर कोई बहस नहीं की जाएगी.
सदस्यगण बार-बार संशोधन हेतु अनुरोध न करें, बल्कि उनकी रचनाओं पर प्राप्त सुझावों को भली-भाँति अध्ययन कर संकलन आने के बाद संशोधन हेतु अनुरोध करें. सदस्यगण ध्यान रखें कि रचनाओं में किन्हीं दोषों या गलतियों पर सुझावों के अनुसार संशोधन कराने को किसी सुविधा की तरह लें, न कि किसी अधिकार की तरह.

आयोजनों के वातावरण को टिप्पणियों के माध्यम से समरस बनाये रखना उचित है. लेकिन बातचीत में असंयमित तथ्य न आ पायें इसके प्रति टिप्पणीकारों से सकारात्मकता तथा संवेदनशीलता अपेक्षित है.

इस तथ्य पर ध्यान रहे कि स्माइली आदि का असंयमित अथवा अव्यावहारिक प्रयोग तथा बिना अर्थ के पोस्ट आयोजन के स्तर को हल्का करते हैं.

रचनाओं पर टिप्पणियाँ यथासंभव देवनागरी फाण्ट में ही करें. अनावश्यक रूप से स्माइली अथवा रोमन फाण्ट का उपयोग न करें. रोमन फाण्ट में टिप्पणियाँ करना, एक ऐसा रास्ता है जो अन्य कोई उपाय न रहने पर ही अपनाया जाय.

फिलहाल Reply Box बंद रहेगा जो - 13 जनवरी 2024, दिन शनिवार लगते ही खोल दिया जायेगा।

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महा-उत्सव के सम्बन्ध मे किसी तरह की जानकारी हेतु नीचे दिये लिंक पर पूछताछ की जा सकती है ...
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ई. गणेश जी बाग़ी 
(संस्थापक सह मुख्य प्रबंधक)
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स्वागतम

जय जय

सादर अभिवादन।

दोहे (प्रतिशोध)
***
घृणा जिस की मात है, और तात है क्रोध
हिंसा भगिनी लाड़ली, इठलाता प्रतिशोध।१।
*
द्वेष-द्वंद प्रतिशोध की, जहाँ अग्नि भरपूर
सुख से वह जीवन सदा, रहता कोसों दूर।२।
*
रावण सा प्रतिशोध जो, मन में रखता पाल
कर देता  निज  गेह  का, लंका  जैसा हाल।३।
*
ज्ञानी कहते  हैं  सदा, निभा  न  इस की रस्म
ज्वाला में प्रतिशोध की, होता सब कुछ भस्म।४।
*
नारी के अपमान पर, दण्डित कर दो न्याय
पीड़ित मन प्रतिशोध का, बने न तब पर्याय।५।
*
भस्मासुर सा  भाव  ये, हुआ न इन को वोध
द्रुपद, द्रोण औ' द्रोपदी, लिए तभी प्रतिशोध।6।
*
केवल हो अन्याय का, जग में सतत विरोध
पालो मन में मत उसे, बना कभी प्रतिशोध।७।
*
राजनीति में अब विपक्ष, करता कहाँ विरोध
कुर्सी उसके हित बनी, सिर्फ यहाँ प्रतिशोध।७।
*
जीवन के हर पीर की, नींव महज प्रतिशोध
फलित तभी नव वर्ष है, पायें जब यह वोध।८।
**
मौलिक/अप्रकाशित

बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति आदरणीय धामी साहब

बहुत बहुत बधाई 

आ. भाई सुरेश जी, सादर अभिवादन। दोहोंपर उपस्थिति व उत्साहवर्धन के लिए आभार।

          दोहे (प्रतिशोध)

जला आग प्रतिशोध की, जलते क्यों दिन रैन।

वयस घटे रे मूढ़ नर, घटे नींद अरु चैन।।

जलते क्यों प्रतिशोध में, भली नहीं ये आग।

जलकर क्या हासिल हुआ, जल्द नींद से जाग।।

विष अमृत में बदल कर, मिटा हृदय का क्रोध।।

जीवन सुंदर सा बने, नहीं रहे प्रतिशोध।।

मौलिक एवम् अप्रकाशित

आ. भाई सुरेश जी, सादर अभिवादन। प्रदत्त विषय पर सुन्दर दोहे हुए हैं। बहुत बहुत हार्दिक बधाई।

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आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

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