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रिश्ता निभाता भी रहा

2122 2122 2122 212

प्यार भी करता रहा दिल को जलाता भी रहा
जिंदगी भर मेरी चाहत आज़माता भी रहा

बेबसी की दास्तां किसको सुनाये दिल भला
उम्र भर गम भी रहा और मुस्कुराता भी रहा

बेकरारी में कोई पागल रहा कुछ इस कदर
लौ जलाता भी रहा और लौ बुझाता भी रहा

दिल्लगी भी क्या गज़ब की दास्तां है दोस्तो

कोई हाल ए दिल छुपाता और सुनाता भी रहा

आज तक हैरान है दिल सोचता है बारहा
था नहीं जाना जहाँ उस राह जाता भी रहा

कब सफ़र में छोड़कर कोई चला जाये कहीं
इश्क में अक्सर यही इक डर सताता भी रहा

वो जो था नायाब आज़ी बाद पाने के यूँ ही
उस को खोता भी रहा रिश्ता निभाता भी रहा

(मौलिक व अप्रकाशित) 

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Comment

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Comment by Aazi Tamaam on February 14, 2021 at 2:48pm

क्या इस ग़ज़ल के मक्ते को इस तरह कर सकता हूँ कृपया सलाह दें

वो जो था नायाब "आज़ी" बाद पाने के उसे

पा के खोता भी रहा रिश्ता निभाता भी रहा................. 

आभार..........!! 

Comment by Aazi Tamaam on February 12, 2021 at 10:28am

बेहद ही शुक्रगुजार है दिल

इस हौसला अफजाई का

शुक्रिया अमिता तिवारी जी

Comment by amita tiwari on February 12, 2021 at 1:20am

   बेबसी की दास्तां किसको सुनाये दिल भला
उम्र भर गम भी रहा और मुस्कुराता भी रहा

बहुत सुंदर 

Comment by Aazi Tamaam on February 11, 2021 at 11:09pm
आ० जान गोरखपुरी जी का भी शुक्रिया
आपकी ही सुझाव से रदीफ़ आकर्षक हो सका

कृपया ध्यान दे...

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