For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

लिस्ट में नाम (लघुकथा)

                                                       

 

लिस्ट में से नाम और पता लेकर अमर ने खुद को विजट पर जाने के लिए तैयार कर लिया मोटर साइकल स्टार्ट कर वो सलेमपुर की तरफ निकल पड़ा।

अपना प्रोग्राम उसने ऐसे तैयार किया था कि कम से कम तीन कैंसर पीड़ित मैंबर के किसी फैमली मैंबर से वह मिल सके ।

चलने से पहले लिस्ट क्रम में इक नंबर पर महिंद्र कौर के घर वालों की तरफ से दिए गए नंबर पर उसने फौन लगाया ऐसा करना इस लिए भी जरूरी था कि कोई घर मिल जाए खास करके वह आदमी जो उस मरीज़ का ध्यान रख रहा हो।

फौन पे बात करते हुए अमर ने कहा, "तुम महिंद्र कौर जी के घर से बोल रहे हो।

“हाँ जी, दूसरी तरफ से आवाज़ आई”।

"मैं आप से मिलना चाहता हूँ, आप के घर में महिंद्र कौर नाम का कैंसर का  मरीज़ ....." ।

"हाँ जी", उस ने बात को बीच में ही काटते हुए कहा, "अभी तक  हमें सरकार की तरफ से पैसा नहीं मिला है"।

“मैं आप की तरफ से आप से मिलना चाहता हूँ”, अमर ने कहा ।

कुछ देर बाद अमर आवाज़ की बताई हुई जगह पर जा पहुंचा ।

वह पहले से ही वहां खड़ा था, तब अमर ने उसको अपने  साथ चलने को कहा ।

"तब उस ने मेरे साथ चलने के स्थान पर बाजार में  दुकान दिखा दी"।

"जी, ये जगना है जी, हम ने इलाज के लिए इनसे कर्जा लिया था ।

“हाँ जी, हम ने इन से ही  इलाज़ के लिए पैसे उधार लिए थे,आप इनको सरकार की तरफ लाए पैसे  दे दो,दस्तखत मैं कर दूंगा जी"। 

"कौन से पैसे?" अमर ने कहा।

"जो सरकार कैंसर के मरीजों को दे रही"।

"सरकार पैसे नगद नहीं इलाज़ के रूप में दे रही है",अमर ने कहा।

अमर उसे बता रहा था कि "मैं तो ये पता करने के लिए आप से मिलना चाहता हूँ कि आप मरीज़ का ख्याल कैसे रख रहें?, क्या इस के लिए  आपको कोई ट्रेनिंग ।

 मिली है ? आप को मरीज़ की सेवा करते कैसे महसूस होता है?, आप को किसी तरह की कोई ट्रेनिंग तो नहीं चाहिए?, और अब मरीज़ की हालत कैसी है... ।

उसका चेहरा उतर गया और दुकानदार भी अमर की तरफ देखने लगा।

साहिब जी, इस की माँ तो वाहिगुरू को प्यारी हुई  को तीन महीने हो गए हैं,  अमर उस और दुकानदार की तरफ ध्यान से देखने लगा, और फिर अमर ने कहा हमारी लिस्ट में आपकी माता जी का  नाम था, इस लिए ........ , बात बीच में ही रह गई।

"मौलिक व अप्रकाशित" 

Views: 333

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by pratibha pande on April 26, 2017 at 8:44pm

सरकार  से मिलने वाली सहूलियतों के दुरुपयोग पर आपने बहुत अच्छी रचना गढ़ी  है आदरणीय ,,,हार्दिक बधाई 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"यूॅं छू ले आसमाॅं (लघुकथा): "तुम हर रोज़ रिश्तेदार और रिश्ते-नातों का रोना रोते हो? कितनी बार…"
yesterday
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"स्वागतम"
Sunday
Vikram Motegi is now a member of Open Books Online
Sunday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .पुष्प - अलि

दोहा पंचक. . . . पुष्प -अलिगंध चुराने आ गए, कलियों के चितचोर । कली -कली से प्रेम की, अलिकुल बाँधे…See More
Sunday
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम मेठानी जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दयाराम जी, सादर आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई संजय जी हार्दिक आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. रिचा जी, हार्दिक धन्यवाद"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दिनेश जी, सादर आभार।"
Saturday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय रिचा यादव जी, पोस्ट पर कमेंट के लिए हार्दिक आभार।"
Saturday
Shyam Narain Verma commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: ग़मज़दा आँखों का पानी
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
Saturday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service