For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

हुनरबाज [लघु कथा ]

दर्जी रमेश के एक कमरे के घर में आज उत्साह पसरा हुआ था I टी वी के एक कार्यक्रम में बेटे राजू का गाना आनेवाला था I

“काकी टी वी नहीं खोला i राजू भैया का गाना शुरू हो गया है “  पडौस  की लड़की  हाँफती  अन्दर आई I

“सुबह से इंतज़ार था और इनकी मशीन की खट खट में समय का ध्यान नहीं रहा, चल लगा  दे जल्दी से “I  बेटे को टी वी में देखने को बेताब कांता , टी वी के एकदम पास बैठ गई  I

टी वी खोलने तक गाना हो चुका था I तालियों की गडगडाहट के बीच राजू को देख उसकी आँखें भर आईं Iमाथे के दोनों ओर उँगलियाँ चटका दीं उसने I

 निर्णायक राजू से बातें कर रहे थे I  अचानक कांता के चेहरे के भाव बदल गए ,आँखें अविश्वास से चौड़ी हो गईं I

“ले आ गया मै भी  , कैसा गाया अपने राजू ने ?” रमेश  पास आ गया था I

“ये राजू क्या कह रहा है जी i” कांता की आवाज भर्राई हुई थी  “ घर में तंगी थी , पापा जी चाहते थे कि मै उनकी दर्जी की दुकान पर बैठूँ , बड़ी मुश्किल से पैसे बचाकर पापा की मर्जी के खिलाफ संगीत सीखा ..क्या ..क्या  बोल रहा है ये सब i” कांता रोने लगी थी I

“रोना बंद कर तो मै भी कुछ सुन लूंI “

“ क्या सुनना है अब i  आप दिन रात खटते रहे पर उसके शौक को नहीं रोका ,संगीत सीखने भेजा I पढाई को लेकर भी कभी कुछ नहीं कहा I अभी यहाँ भेजने के लिए भी  मैंने अपनी चूड़ी...ये...ये  झूठ क्यों बोल रहा है जी “I पति के हाथ को पकड़ लिया उसने I

“अरे रो मत i”  रमेश ने पत्नी के कंधे पर धीरे से  हाथ रख दिया  “ देख उस लेडीज़ की कैसे आँखें भर आईं हैं ,और वो आदमी कैसे गले लगा कर पीठ थपथपा रहा है तेरे बेटे की I गाने के हुनर का तो पता नहीं, पर  ये तो मानना ही पड़ेगा कि बेटा अपना हुनरबाज है” I

 

मौलिक व् अप्रकाशित

 

Views: 1087

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by pratibha pande on September 3, 2016 at 1:25pm

हार्दिक आभार राहिला जी 

Comment by pratibha pande on September 3, 2016 at 1:25pm

हार्दिक आभार आदरणीय जवाहरलाल सिंह जी 

Comment by pratibha pande on September 3, 2016 at 1:24pm

हार्दिक आभार आदरणीया नीता जी 

Comment by pratibha pande on September 3, 2016 at 1:23pm

हार्दिक आभार आदर्णीय डॉ विजय शंकर जी ..सादर 

Comment by Rahila on July 26, 2016 at 3:40pm
बहुत शानदार रचना ,खूब बढ़िया कटाक्ष ।बहुत बधाई आदरणीया दीदी!सादर
Comment by JAWAHAR LAL SINGH on July 25, 2016 at 9:29pm

आज के सन्दर्भ में चोट करती हुई लघुकथा... 

Comment by Nita Kasar on July 25, 2016 at 4:24pm
प्रतिभा को तराशा तो माता पिता ने ही वरना बेटा कैसे नाम कमाता ,वाकई बेटा हुनरबाज निकला बधाई आपको आद०प्रतिभा पांडे जी ।
Comment by Dr. Vijai Shanker on July 25, 2016 at 10:10am
प्रतिभा के साथ हुनर परोसना भी आना चाहिए। कहानी अच्छी और सही बनी है , बधाई , आदरणीय सुश्री प्रतिभा जी , सादर।
Comment by pratibha pande on July 24, 2016 at 7:50pm

आपको रचना अच्छी लगी, आपका   हार्दिक आभार आदरणीय शुभ्रांशु जी 

//सुबह से इंतज़ार था और इनकी मशीन की खट खट में समय का ध्यान नहीं रहा,//  कार्यक्रम भूला नहीं गया था टी वी खोलने में कुछ  क्षणों की देरी हो गयी थी ...सादर 

Comment by Shubhranshu Pandey on July 24, 2016 at 7:34pm

आदरणीया प्रतिभा जी, आज कल के टीवी पर जिस तरह से आंसू गिराने और गिरवाने की एक प्रथा चल पडी है उसे ले कर एक सुन्दर कथा कही गयी है. एक बात जो साफ़ नहीं हो पा रही है कि जिस बच्चे के लिये इतना कुछ किया गया है उसके के मां- पिताजी उसका गाना देखना कैसे भूल जाते है?  कार्यक्रम को भूल जाना अचंभित करता है. सादर.

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"यूॅं छू ले आसमाॅं (लघुकथा): "तुम हर रोज़ रिश्तेदार और रिश्ते-नातों का रोना रोते हो? कितनी बार…"
Tuesday
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"स्वागतम"
Sunday
Vikram Motegi is now a member of Open Books Online
Sunday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .पुष्प - अलि

दोहा पंचक. . . . पुष्प -अलिगंध चुराने आ गए, कलियों के चितचोर । कली -कली से प्रेम की, अलिकुल बाँधे…See More
Sunday
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम मेठानी जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दयाराम जी, सादर आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई संजय जी हार्दिक आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. रिचा जी, हार्दिक धन्यवाद"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दिनेश जी, सादर आभार।"
Saturday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय रिचा यादव जी, पोस्ट पर कमेंट के लिए हार्दिक आभार।"
Saturday
Shyam Narain Verma commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: ग़मज़दा आँखों का पानी
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
Saturday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service