For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

वो ज़माना ही कुछ और था
हौसलों और उम्मीदों का दौर था !

आसमां के सितारे भी पास नज़र आते थे!
हर हद से गुज़र जाने का दौर था!!

माना कि मुफलिसी भरी थी वो ज़िन्दगी!
उस ज़िन्दगी में जीने का, मज़ा ही कुछ और था!!

नींद आती नही महलों के नर्म गद्दों पर!
झोपडी के चीथड़ों पर सोने का, मज़ा ही कुछ और था!!

न जाने क्यों हर वो शख़्स ख़फ़ा ख़फ़ा सा नज़र आता है!
मुस्कुराकर कर जिनसे गले लग जाने का,मज़ा ही कुछ और था!!

अब तो दिल की बातें दिल में ही रह जाती हैं!
बड़ी बेबाकी से हर बात कह देने का, ज़ज़्बा ही कुछ और था!!

(मौलिक एवम् अप्रकाशित)

माला झा "खुशबू"

Views: 586

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Dr Ashutosh Mishra on May 2, 2015 at 1:52pm

माला जी इस सुंदर प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई सादर 

Comment by Mala Jha on May 2, 2015 at 8:36am
आदरणीय डॉ विजय शंकरजी साभार धन्यवाद।मेरे मनोभावों को समझने के लिए तहे दिल से आपका शुक्रिया।
Comment by Mala Jha on May 2, 2015 at 8:31am
प्रिय महिमाश्री जी बहुत बहुत धन्यवाद।
Comment by Mala Jha on May 2, 2015 at 8:28am
साभार धन्यवाद आदरणीय मिथिलेश वामनकरजी।
Comment by Mala Jha on May 2, 2015 at 8:27am
आदरणीय श्री सुनीलजी सादर धन्यवाद।
Comment by shree suneel on May 2, 2015 at 1:27am
आदरणीया माला झा जी, बीते दिनों की याद दिलाती इस रचना के लिए बधाई आपको. मैं आदरणीय विजय शंकर सर से सहमत हूँ.
इस सुन्दर रचना के लिए पुनः बधाई.

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on May 1, 2015 at 8:45pm

सुन्दर प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई आदरणीया माला जी 

Comment by MAHIMA SHREE on May 1, 2015 at 7:18pm

बहुत सुंदर प्रवाह है इस प्रस्तुति में... बहुत बहुत बधाई  आपको

Comment by Dr. Vijai Shanker on May 1, 2015 at 6:57pm
प्रायः कष्ट के दिनों की स्मृतियाँ बड़ी सुखद और मीठी होती हैं ,और उनकीं खुशबू कहीं जाती नहीं , साथ रहती है.
भावपूर्ण, बहुत सुन्दर रचना , आदरणीय सुश्री माला झा ' खुशबू' जी, बधाई , सादर।
Comment by Mala Jha on May 1, 2015 at 3:12pm
कृष्णा मिश्रा जी साभार धन्यवाद।त्रुटियों को ठीक करने की कोशिश करुँगी।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"शेर क्रमांक 2 में 'जो बह्र ए ग़म में छोड़ गया' और 'याद आ गया' को स्वतंत्र…"
yesterday
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"मुशायरा समाप्त होने को है। मुशायरे में भाग लेने वाले सभी सदस्यों के प्रति हार्दिक आभार। आपकी…"
yesterday
Tilak Raj Kapoor updated their profile
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. भाई दयाराम जी, सादर अभिवादन। अच्छी गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. भाई जयहिन्द जी, सादर अभिवादन। अच्छी गजल हुई है और गुणीजनो के सुझाव से यह निखर गयी है। हार्दिक…"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. भाई विकास जी बेहतरीन गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. मंजीत कौर जी, अभिवादन। अच्छी गजल हुई है।गुणीजनो के सुझाव से यह और निखर गयी है। हार्दिक बधाई।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. भाई दयाराम जी, सादर अभिवादन। मार्गदर्शन के लिए आभार।"
yesterday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आदरणीय महेन्द्र कुमार जी, प्रोत्साहन के लिए बहुत बहुत धन्यवाद। समाँ वास्तव में काफिया में उचित नही…"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. मंजीत कौर जी, हार्दिक धन्यवाद।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. भाई तिलक राज जी सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति, स्नेह और विस्तृत टिप्पणी से मार्गदर्शन के लिए…"
yesterday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आदरणीय तिलकराज कपूर जी, पोस्ट पर आने और सुझाव के लिए बहुत बहुत आभर।"
yesterday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service