For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

कुर्सी वाले लोग

क्या क्या मँशा उनसे बैठे पाले लोग

क्या करते हैँ सत्ता के ठैले वाले लोग

 

यहाँ दिन भर खटकर  चुल्हा जलता

कुछ जनता की खाते बैठे ठाले लोग

 

सरकारेँ बनती पूँजीपतियोँ के पैसे से

ताकत वोट की समझेँ भोले-भाले लोग

 

कुछ सालोँ बाद हवा खुद बदलती है

बुझा पुरानी नई मशाल सँभालेँ लोग

 

कुर्सी पर बैठे लोगोँ के हैँ ऊँचे सपने

जनता को सपने बेचेँ कुर्सी वाले लोग

देश विदेश के दौरे  हैँ उनकी मजबूरी

टेक्स से खर्चा भरेँ मजदूरी वाले लोग

 

नेताओँ ने तो देश की डोर है सँभाली

अपना घर खुद सँभाले घर वाले लोग

"मौलिक व अप्रकाशित" 

मोहिन्दर कुमार

Views: 454

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Mohinder Kumar on November 10, 2014 at 11:48am
धन्यवाद योगराज जी, सोमेश जी, लक्ष्मण जी एँव अरुण जी.

गजल के मीटर पर शायद मेरी रचना पूरी तरह से खरी न उतरे.... बस मन को भावो को शब्दोँ मेँ पिरो कर परस्तुत किया है.

हौसला अफजाई के लिये आप सब का शुक्रिया.

प्रधान संपादक
Comment by योगराज प्रभाकर on November 10, 2014 at 11:22am

अच्छी ग़ज़ल हुई है आ० मोहिन्दर कुमार जी, बधाई स्वीकारें।

Comment by somesh kumar on November 9, 2014 at 5:09pm

सुंदर ,बधाई इस रचनाकर्म के लिए 

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on November 8, 2014 at 6:35pm

यहाँ दिन भर खटकर  चुल्हा जलता

कुछ जनता की खाते बैठे ठाले लोग - बहुत खूब ! उम्दा गजल के लिए बधाई 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by अरुण कुमार निगम on November 7, 2014 at 10:53pm
आदरणीय मोहिंदर कुमार जी, सुन्दर गज़ल, बधाइयाँ.........

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"यूॅं छू ले आसमाॅं (लघुकथा): "तुम हर रोज़ रिश्तेदार और रिश्ते-नातों का रोना रोते हो? कितनी बार…"
Tuesday
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"स्वागतम"
Sunday
Vikram Motegi is now a member of Open Books Online
Sunday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .पुष्प - अलि

दोहा पंचक. . . . पुष्प -अलिगंध चुराने आ गए, कलियों के चितचोर । कली -कली से प्रेम की, अलिकुल बाँधे…See More
Sunday
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम मेठानी जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दयाराम जी, सादर आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई संजय जी हार्दिक आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. रिचा जी, हार्दिक धन्यवाद"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दिनेश जी, सादर आभार।"
Saturday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय रिचा यादव जी, पोस्ट पर कमेंट के लिए हार्दिक आभार।"
Saturday
Shyam Narain Verma commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: ग़मज़दा आँखों का पानी
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
Saturday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service