For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

कुण्डलिया ( चिंता व चिंतन )

(सभी गुरुजनों की समीक्षार्थ ... सादर -)

चिंता चित पर ज्यों चढ़े, पल-पल मन झुलसाय|

चिंता रथ पर  जो चढ़े, चिता तलक पहुँचाय ||

चिता तलक पहुँचाय , रहे तन छिन-छिन घुलता |

छिने दिमागी चैन , नींद से वंचित फिरता ||

देत न कोय उपाय, सुख व सेहत की हंता |

करें  चिंतन सदैव, करें न कभी भी चिंता ||

.

मौलिक व अप्रकाशित

Views: 557

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Madan Mohan saxena on July 3, 2014 at 4:52pm

बहुत सुंदर.हार्दिक बधाई शालिनी जी


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on July 3, 2014 at 2:45pm

आदरणीया शालिनी जी 

कुण्डलिया छंद पर सार्थक कथ्य को प्रस्तुत करने का सुन्दर प्रयास हुआ है..और मात्रिकता निर्वहन भी सम्यक हुआ है...इस पर आपको बहुत बहुत बधाई 

लेकिन प्रस्तुति की शैली के साथ झुलसाय पहुँचाय देत कोय जैसे आंचलिक शब्द आरोपित से लग रहे हैं..जिनसे बचा जा सकता था 

साथ ही शब्द समुच्चयों में आतंरिक व्यस्था पर भी कुछ और कसावट की ज़रुरत है.. 

http://www.openbooksonline.com/group/chhand/forum/topics/5170231:To...

इस लिंक पर शब्द संयोजन के विन्यास को पुनः अवश्य ही देखें 

शुभकामनाएं 

Comment by shalini rastogi on June 27, 2014 at 9:40am

आदरणीय गिरिराज भंडारी  जी , आपका अनुमोदन मेरे लिए गर्व का विषय है .. मार्गदर्शन बनाए रखिये .. 

Comment by shalini rastogi on June 27, 2014 at 9:32am

उत्साह वर्द्धन के लिए आभार  coontee mukerji जी एवं जितेन्द्र 'गीत' जी 

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on June 26, 2014 at 11:22pm

आज के इस आपा-धापी वाले समय में सिर्फ चिंताएं ही रह गई है, बहुत अच्छा सन्देश देती रचना. बधाई स्वीकारें आदरणीया शालिनी जी

Comment by coontee mukerji on June 26, 2014 at 10:21pm

बहुत सुंदर.....हार्दिक बधाई.


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on June 26, 2014 at 7:21pm

आदरनीया शालिनि जी , सुन्दर सार्थक संदेश देती कुन्दलिया रचना के लिये बधाइयाँ ।

Comment by shalini rastogi on June 24, 2014 at 11:21am

धन्यवाद आदरणीय Laxman Prasad Ladiwala जी .. आपका सुझाव बहुत उपयुक्त है .. आगे भी मार्गदर्शन की अभिलाषा है .. सधन्यवाद !

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on June 24, 2014 at 11:05am

सार्थक सन्देश देती कुंडलिया छंद के प्रयास हेतु बधाई | कुछ शब्द लय की द्रष्टि से ठीक किये जा सकते है | जैसे -

करें  चिंतन सदैव की जगह - "चिंतन करे सदैव" अधिक उपयुक्त रहेगा 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"आदरणीय भाई लक्ष्मण धामी जी बहुत- बहुत धन्यवाद आपका "
33 minutes ago
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"आदरणीय गुरमीत सिंह जी बहुत- बहुत धन्यवाद आपका छतरी की मात्रा गिराने हेतु आपकी चिंता ठीक…"
36 minutes ago
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"आदरणीय शिज्जु शकूर जी बहुत शुक्रिया आपका "
42 minutes ago
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"जी "
43 minutes ago
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"आदरणीय कपूर साहब नमस्कार बहुत शुक्रगुज़ार हूँ आपका आपने वक़्त दिया मतला   "तुम्हारी…"
44 minutes ago
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"पगों  के  कंटकों  से  याद  आया सफर कब मंजिलों से याद आया।१। देखा जाये तो…"
2 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"आ. भाई शिज्जू शकूर जी, सादर अभिवादन। बेहतरीन गजल हुई है। गिरह भी खूब हुई है। हार्दिक बधाई।"
3 hours ago
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"उन्हें जो आँधियों से याद आया मुझे वो शोरिशों से याद आया याद तो उन्हें भी आया और शायर को भी लेकिन…"
3 hours ago
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"तुम्हें अठखेलियों से याद आया मुझे कुछ तितलियों से याद आया इस शेर की दूसरी पंक्ति में…"
4 hours ago
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"कहाँ कुछ मंज़िलों से याद आया सफ़र बस रास्तों से याद आया. मतले की कठिनाई का अच्छा निर्वाह हुआ।…"
4 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"आ. भाई चेतन जी , सादर अभिवादन। अच्छी गजल हुई है। हार्दिक बधाई। "टपकती छत हमें तो याद आयी"…"
5 hours ago
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"उदाहरण ग़ज़ल के मतले को देखें मुझे इन छतरियों से याद आयातुम्हें कुछ बारिशों से याद आया। स्पष्ट दिख…"
5 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service