For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

अब होश करौ मदहोश न हो,
नहीं तौ फिर से दुख पइहौ।
उप्पर सफेद अंदर करिया,
ई नेता केर स्वरूप आय।
घड़ियाली आंसू ढुरुकि क्यार,
वोटन का लेवैक रूप आय।
जौ जाति धर्म मां बंटि जइहौ,
तौ पांच साल तक पछितइहौ
अब होश करौ मदहोश न हो,
नाहीं तौ फिर से................।
ई प्रजा तंत्र तब बचि पाई,
जब रिश्ता नाता ना देखौ,
टेटे कै पैसा ना लेखौ,
गाड़ी कै बवंडर ना देखौ।
अब होश करौ मदहोश न हो,
नाहीं तौ फिर से................।
ई देश बचावै के खातिर,
गुंडन का भगावै की खातिर।
जो करैं देश कै सौदा,
उनका सबक सिखावै के खातिर।
अब होश करौ मदहोश न हो,
नाहीं तौ फिर से................।
अतुल अवस्थी *अतुल*
मो.-9838642000

मौलिक व अप्रकाशित

Views: 419

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on April 11, 2014 at 7:50am

जागृति का आह्वाहन करती बहुत ही सामयिक और सार्थक प्रस्तुति आदरणीय अतुल अवस्थी जी 

बहुत बहुत बधाई 

Comment by VISHAAL CHARCHCHIT on April 9, 2014 at 11:09pm

ई प्रजा तंत्र तब बचि पाई,
/// जब रिश्ता नाता ना देखौ,
टेटे कै पैसा ना लेखौ,
गाड़ी कै बवंडर ना देखौ।
अब होश करौ मदहोश न हो,
नाहीं तौ फिर से.............../// 

वाह - वाह...... अत्यन्त सुन्दर !!!

Comment by Meena Pathak on April 9, 2014 at 4:14pm

बहुत बहुत बधाई ..... बहुत सुन्दर रचना 

Comment by विजय मिश्र on April 9, 2014 at 4:01pm
स्पष्ट शब्दों में खड़ी चेतावनी , सारगर्भित और यथार्थपरक |अनेक आभार |
Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on April 8, 2014 at 9:47am

ई प्रजा तंत्र तब बचि पाई,जब रिश्ता नाता ना देखौ

उनका सबक सिखावै के खातिर।,अब होश करौ मदहोश न हो,------सार्थक प्रस्तुति के लिए बधाई 

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on April 8, 2014 at 12:17am

sundr सुंदर रचना प्रस्तुति , बधाई स्वीकारें आदरणीय अतुल जी

Comment by coontee mukerji on April 7, 2014 at 3:54pm

सुंदर प्रस्तुति केलिये हार्दिक बधाई.

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"धन्यवाद आ. तिलकराज सर,आपकी विस्तृत टिप्पणी ने संबल मिला है.मैं स्वयं के अशआर को बहुत कड़ी परीक्षा से…"
10 minutes ago
Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"धन्यवाद आ. लक्षमण धामी जी "
26 minutes ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"श्रद्धेय श्री तिलक राज कपूर जी, आप नाचीज़ की ग़ज़ल तक  पहुँचे, आपका अतिशय आभार, …"
28 minutes ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"आदरणीय भाई लक्ष्मण सिंह 'मुसाफिर' ग़ज़ल तक आप आये और अपना बहुमूल्य समय दिया, आपका आभारी…"
44 minutes ago
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"आदरणीय भाई लक्ष्मण धामी जी बहुत- बहुत धन्यवाद आपका "
2 hours ago
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"आदरणीय गुरमीत सिंह जी बहुत- बहुत धन्यवाद आपका छतरी की मात्रा गिराने हेतु आपकी चिंता ठीक…"
2 hours ago
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"आदरणीय शिज्जु शकूर जी बहुत शुक्रिया आपका "
2 hours ago
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"जी "
2 hours ago
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"आदरणीय कपूर साहब नमस्कार बहुत शुक्रगुज़ार हूँ आपका आपने वक़्त दिया मतला   "तुम्हारी…"
2 hours ago
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"पगों  के  कंटकों  से  याद  आया सफर कब मंजिलों से याद आया।१। देखा जाये तो…"
4 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"आ. भाई शिज्जू शकूर जी, सादर अभिवादन। बेहतरीन गजल हुई है। गिरह भी खूब हुई है। हार्दिक बधाई।"
4 hours ago
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"उन्हें जो आँधियों से याद आया मुझे वो शोरिशों से याद आया याद तो उन्हें भी आया और शायर को भी लेकिन…"
5 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service