For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

उत्तर खोजो श्रीमान जी...

एकदम से ये नए प्रश्न हैं
जिज्ञासा हममें है इतनी
बिन पूछे न रह सकते हैं
बिन जाने न सो सकते हैं
इसीलिए टालो न हमको
उत्तर खोजो श्रीमान जी....

ऐसे क्यों घूरा करते हो
हमने प्रश्न ही तो पूछा है
पास तुम्हारे पोथी-पतरा
और ढेर सारे बिदवान
उत्तर खोजो ओ श्रीमान...

माना ऐसे प्रश्न कभी भी
पूछे नही जाते यकीनन
लेकिन ये हैं ऐसी पीढ़ी
जो न माने बात पुरानी
खुद में भी करती है शंका
फिर तुमको काहे छोड़ेगी
उत्तर तुमको देना होगा..
मौन तोडिये श्रीमान जी.....
----------------अ न व र सु है ल ---------

(मौलिक अप्रकाशित)

Views: 493

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on January 30, 2014 at 5:00pm

ये क्या पूछती कविता है ? वैसे प्रयोगात्मक स्वरूप में तथ्यात्मकता की गुंजाइश रहती है

सादर


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on January 24, 2014 at 12:14pm

ऐसे बिना पूछे गए प्रश्नों के उत्तर भी बिना शब्दों के ही होते हैं... :)) शायद! ...जो बिना कहे ही मिल जाते हैं अनायास शायद आँखों में.

फिर भी कुछ अनुत्तरित बातें सदा ही बैचानी का कारण बनी रहती हैं. इसलिए प्रश्नों का उत्तरित होना भी ज़रूरी ही होता है.

एक अलग सी प्रस्तुति लगी.. कुछ अधूरी सी भी.

शुभकामनाएं 

Comment by annapurna bajpai on January 23, 2014 at 12:32am

आ0 अनवर जी कुछ अलग संदेश सुनाती हुई रचना के लिए बधाई ।  


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on January 22, 2014 at 7:05pm

बहुत बढ़िया आदरणीय अनवर सर

Comment by अरुन 'अनन्त' on January 22, 2014 at 3:23pm

आदरणीय अनवर साहब बहुत अच्छी रचना कुछ अलग बयानी की है  बधाई आपको

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

भादों की बारिश

भादों की बारिश(लघु कविता)***************लाँघ कर पर्वतमालाएं पार करसागर की सर्पीली लहरेंमैदानों में…See More
7 hours ago
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . . . विविध

मंजिल हर सोपान की, केवल है  अवसान ।मुश्किल है पहचानना, जीवन के सोपान ।। छोटी-छोटी बात पर, होने लगे…See More
7 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - चली आयी है मिलने फिर किधर से ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय चेतन प्रकाश भाई ग़ज़ल पर उपस्थित हो उत्साह वर्धन करने के लिए आपका हार्दिक …"
11 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - चली आयी है मिलने फिर किधर से ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय सुशील भाई  गज़ल की सराहना कर उत्साह वर्धन करने के लिए आपका आभार "
11 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - चली आयी है मिलने फिर किधर से ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय लक्ष्मण भाई , उत्साह वर्धन के लिए आपका हार्दिक आभार "
11 hours ago
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"विगत दो माह से डबलिन में हूं जहां समय साढ़े चार घंटा पीछे है। अन्यत्र व्यस्तताओं के कारण अभी अभी…"
yesterday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"प्रयास  अच्छा रहा, और बेहतर हो सकता था, ऐसा आदरणीय श्री तिलक  राज कपूर साहब  बता ही…"
yesterday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"अच्छा  प्रयास रहा आप का किन्तु कपूर साहब के विस्तृत इस्लाह के बाद  कुछ  कहने योग्य…"
yesterday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"सराहनीय प्रयास रहा आपका, मुझे ग़ज़ल अच्छी लगी, स्वाभाविक है, कपूर साहब की इस्लाह के बाद  और…"
yesterday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"आपका धन्यवाद,  आदरणीय भाई लक्ष्मण धानी मुसाफिर साहब  !"
yesterday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"साधुवाद,  आपको सु श्री रिचा यादव जी !"
yesterday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"धन्यवाद,  आज़ाद तमाम भाई ग़ज़ल को समय देने हेतु !"
yesterday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service