For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

 

 

 

 

पिताजी की डायरी से.....

नेता जी.

राजनीती कहवा से सिखलीं, नेता भयिलिन कहिया .
हम  ता   देखली  कोल्हुवाड़े  में,चाटत  रहलीं महिया.  
त्यागी तपस्वी बनी नाही,कैसे चली यी गाड़ी.
काहें जाएब पटना दिल्ली ,गउएं चाटी हांड़ी .
आसन पर  बैठब जब राउया,नाश हो जाई तहिया.
हम टी देखली  कोल्हुवाड़े  में,चाटत  रहलीं महिया.  
आपन गदही पाड़ी  लेके ,वापस घर के जाईं.
हंसा कोई बिरला होला , रौवा तनि सरमायीं
आपन जोर लगाईं तनिको, धशिं जाई ई पहिया .
हम ता  देखली  कोल्हुवाड़े  में,चाटत  रहलीं महिया.  
राउर ई तिहार जेल ह  ,राउर चम्बल घाटी.
सोची समझी सिर न उठायीं  ,अति तोरी परिपाटी .
रौवा जैसे लगत बानी , पाकिस्तानी अहिया.
हम ता   देखली  कोल्हुवाड़े  में, चाटत  रहलीं महिया.  
प्रजा तंत्र के बोली बोलनी,  नेता तंत्र ले ऐली.
ज्ञान श्रधा सच्चाई जग से, नोच नोच के खैली.
इंसानियत  के   कैली बिदाई, राजा भएली जहिया.
 हम ता  देखली  कोल्हुवाड़े  में, चाटत  रहलीं महिया. 
रोज रोज चुनाव करायीं , बाटे  नाही आशा.
राउर ई सरकार कभी ,ना चली बारहों मासा .
कुर्सी के लो भी के  चलते, देश नाश के रहिया .
हम  ता  देखली  कोल्हुवाड़े  में, चाटत  रहलीं महिया. 
राज पद ह ऊँचा आसन , बैठे सब बिचारीं.
काहें रौया धईले बा, मोहि ले चल के बीमारी .
देशवा जली के राख हो जाई ,बात बुझाई तहिया .
हम ता  देखली  कोल्हुवाड़े  में, चाटत  रहलीं महिया. 
एक छत्र  छाया के निचे ,रौवा  सब चली आयीं
जाती पात के भेद भुला के ,सबके गले लगाईं
सुमति राखि कुमति के छोड़ीं , राम राज होई तहिया .
हम ता  देखली  कोल्हुवाड़े  में, चाटत  रहलीं महिया. 
----अवधेश कुमार तिवारी


Views: 449

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Abhinav Arun on January 28, 2011 at 1:01pm

इस श्रृंखला के ज़रिये अच्छा भोजपुरी साहित्य सामने आ रहा है | बढ़िया प्रयास | अच्छी काव्य रचना |

Comment by guddo dadi on January 28, 2011 at 7:17am

सुंदर रचना

थोड़ी थोद्दे समझ आई

 

Comment by Lata R.Ojha on January 28, 2011 at 12:07am
mazaa aaya padh ke ..bahut samay ke baad itni sundar rachna .. dhanyavaad  aapka .

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कापुरुष है, जता रही गाली// सौरभ
"आदरणीय मिथिलेश भाई, रचनाओं पर आपकी आमद रचनाकर्म के प्रति आश्वस्त करती है.  लिखा-कहा समीचीन और…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on Saurabh Pandey's blog post कापुरुष है, जता रही गाली// सौरभ
"आदरणीय सौरभ सर, गाली की रदीफ और ये काफिया। क्या ही खूब ग़ज़ल कही है। इस शानदार प्रस्तुति हेतु…"
yesterday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .इसरार

दोहा पंचक. . . .  इसरारलब से लब का फासला, दिल को नहीं कबूल ।उल्फत में चलते नहीं, अश्कों भरे उसूल…See More
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय सौरभ सर, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। आयोजन में सहभागिता को प्राथमिकता देते…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय सुशील सरना जी इस भावपूर्ण प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। प्रदत्त विषय को सार्थक करती बहुत…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, प्रदत्त विषय अनुरूप इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। सादर।"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। बहुत बहुत धन्यवाद। गीत के स्थायी…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय सुशील सरनाजी, आपकी भाव-विह्वल करती प्रस्तुति ने नम कर दिया. यह सच है, संततियों की अस्मिता…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आधुनिक जीवन के परिप्रेक्ष्य में माता के दायित्व और उसके ममत्व का बखान प्रस्तुत रचना में ऊभर करा…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय मिथिलेश भाई, पटल के आयोजनों में आपकी शारद सहभागिता सदा ही प्रभावी हुआ करती…"
Sunday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"माँ   .... बताओ नतुम कहाँ होमाँ दीवारों मेंस्याह रातों मेंअकेली बातों मेंआंसूओं…"
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"माँ की नहीं धरा कोई तुलना है  माँ तो माँ है, देवी होती है ! माँ जननी है सब कुछ देती…"
Saturday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service