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गज़ल -साँस लेने में दखल देता है

2 1 2 2  1 1 2 2   2 2

वो मेरी रूह मसल देता है
साँस लेने में दखल देता है

जाने आदत भी लगी क्या उसको
खुद की ही बात बदल देता है

राज़ की बात उसे मत कहना
बाद में राज़ उगल देता है

मैं  उसे रोज़ दुवायें देती
वो मुझे रोज़ अज़ल देता है


उसको मालूम नहीं, गम में भी
वो मुझे रोज़ ग़ज़ल देता है

संजू शब्दिता मौलिक व अप्रकाशित

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Comment

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Comment by sanju shabdita on October 23, 2013 at 8:27pm

aap sabhi sudhijanon ka mera hriday se aabhar....aapke anumodan se likhna sarthak hua..


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on October 17, 2013 at 3:04am

उसको मालूम नहीं, गम में भी
वो मुझे रोज़ ग़ज़ल देता है... 

क्या अंदाज़ है.. !!!

बधाई-बधाई-बधाई !

Comment by Meena Pathak on October 13, 2013 at 7:42pm

बहुत खूब .... बधाई आप को 

Comment by बृजेश नीरज on October 13, 2013 at 6:19pm

बहुत सुन्दर! आपको हार्दिक बधाई!

Comment by mrs manjari pandey on October 12, 2013 at 9:38pm

     

   उसको मालूम नहीं, गम में भी
वो मुझे रोज़ ग़ज़ल देता है                  बहुत नाज़ुक और उम्दा गज़ल ! संजू जी बधाई कुबूल करें !

                              

Comment by रामनाथ 'शोधार्थी' on October 12, 2013 at 6:03pm

बहुत ही खूबसूरत  ग़ज़ल...................विशेषकर यह अश'आर बेहद पसंद आया...........

जाने आदत भी लगी क्या उसको 
खुद की ही बात बदल देता है 

राज़ की बात उसे मत कहना 
बाद में राज़ उगल देता है 

Comment by वीनस केसरी on October 12, 2013 at 1:46am

जिंदाबाद जिंदाबाद

आपकी अब तक की सबसे बेहतरीन ग़ज़ल पढ़ रहा हूँ
एक एक शेर को आपने तराशा है
एक एक शेर पर ढेरो दाद देता हूँ ....मतला बेपनाह खूबसूरत हुआ है ....

जाने आदत भी लगी क्या उसको
खुद की ही बात बदल देता है

इस शेर की जितनी तारीफ़ की जाए कम होगी
आख़िरी शेर भी बहुत शानदार है
बहर को बहुत को अच्छे से निभाया है ...

भविष्य की जानकारी के लिए ... दखल का मूल वज्न २१ होता है क्योकि मूल शब्द दख्ल होता है

Comment by Dr Ashutosh Mishra on October 11, 2013 at 4:06pm

आदरणीय संजू जी उसको मालूम नहीं, गम में भी 
वो मुझे रोज़ ग़ज़ल देता है ..बेहतरीन ग़ज़ल का ये शेर तो बिलकुल दिल को छू गया ..ढेरो बधाइयों के साथ 

Comment by vandana on October 11, 2013 at 7:11am

उसको मालूम नहीं, गम में भी 
वो मुझे रोज़ ग़ज़ल देता है

वाह आदरणीया संजू जी बहुत खूब 

Comment by ajay sharma on October 10, 2013 at 11:01pm

वो मेरी रूह मसल देता है 
साँस लेने में दखल देता है  bahut hi khoob .

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